टीकाकरण के दुष्प्रभाव से अब तक जिले में किसी की मौत नहीं

जामताड़ा कोरोना संक्रमण के खिलाफ पूरा देश जंग लड़ रहा है। महामारी नियंत्रण के शतो

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 07:30 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 07:30 PM (IST)
टीकाकरण के दुष्प्रभाव से अब तक जिले में किसी की मौत नहीं
टीकाकरण के दुष्प्रभाव से अब तक जिले में किसी की मौत नहीं

जामताड़ा : कोरोना संक्रमण के खिलाफ पूरा देश जंग लड़ रहा है। महामारी नियंत्रण के शर्तो के अनुपालन के साथ टीकाकरण व नमूना जांच भी संक्रमण से बचाव का एक माध्यम है। मास्क, शारीरिक दूरी और टीकाकरण के बदौलत लोग कोरोना से जंग जीत सकते हैं। बावजूद हाल के दिनों में कोरोना से बचाव का टीका लेनेवालों की संख्या दो माह बाद भी रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। कोरोना से बचाव को टीकाकरण को रफ्तार देना जरूरी है। ग्रामीणों को किसी प्रकार की भ्रांति से दूर रहकर टीका लेने में रुचि लेनी होगी। जबकि एक अहम सत्य यह भी है कि जिले में टीका के दुष्प्रभाव से किसी की मौत नहीं हुई है। गठित मेडिकल बोर्ड ने भी इसकी पुष्टि पहले कर चुकी है।

पिछले दो माह की अवधि में 89993 लोगों का टीकाकरण किया गया है जिसमें से 73223 को पहली डोज जबकि 16770 को दूसरी डोज का टीका लगाया गया है। अब तक हुए टीकाकरण का आकलन करें तो 70 फीसदी शहर के लोगों ने जबकि 30 फीसदी ही ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने टीका लिया है। वहीं आंकड़ा यह भी दर्शाता है कि जिस गति से लोगों ने पहला डोज का टीका लगवाया, उसी रफ्तार से दूसरी डोज का टीका लगाने में रुचि नहीं ले रहे हैं, इसी का परिणाम है कि 50,000 से अधिक लोगों ने दूसरी डोज का टीका नहीं लगाया है, जबकि अब यह स्थापित हो चुका है, कोरोना से बचाव का सबसे बड़ा व अहम उपाय कोरोना रोधी टीका है। फिर भी जागरूकता की कमी व निरर्थक भ्रांति की वजह से ग्रामीण टीका लेने में रुचि नहीं ले रहे हैं। यह पूरे समाज के लिए घातक साबित हो सकता है।

---ग्रामीण क्षेत्रों में तीन अंक को नहीं छू रहा टीकाकरण : जिले में 18 वर्ष से अधिक उम्र की आबादी 578420 है। पिछले 16 मार्च से जिले के शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण कार्य अभियान के तहत चल रहा है। उक्त आंकड़ा से स्पष्ट परिलक्षित होता है कि ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में ज्यादा लोग टीकाकरण करा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्थित अधिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप केंद्र, पंचायत भवन स्थित टीकाकरण केंद्र में टीकाकरण का दैनिक आंकड़ा दो अंकों में सिमट कर रह जा रहा है। जबकि विभाग ने प्रत्येक टीकाकरण केंद्र को कम से कम एक सौ लोगों का प्रतिदिन टीकाकरण करने का निर्धारित लक्ष्य रखा था। आधा दर्जन से अधिक ग्रामीण क्षेत्र के टीकाकरण केंद्र हैं। वहां टीकाकरण कराने के लिए एक- दो लोग पहुंचते हैं जबकि एक वाइल वैक्सीन में 10 डोज होती है। टीकाकरण केंद्र में 10 लोग की उपस्थिति नहीं रहने पर वैक्सीन का वाइल खोला जाए तो शेष टीका की डोज बर्बाद हो जाती है। ऐसे में केंद्र पहुंचे एक दो लोगों को बगैर टीका लिए घर वापस आना पड़ता है। ऐसी स्थिति में पंचायत स्तरीय कई अस्थाई टीकाकरण केंद्रों को बंद भी कर दिया गया है।

---अफवाह को मन से निकाल दें ग्रामीण : को आत्मसात कर रखा है ग्रामीण : पिछले अप्रैल माह में टीकाकरण के कई दिन बाद विभिन्न बीमारी से दो महिला व तीन पुरुष की मौत हुई थी। टीकाकरण के उपरांत करीब आधा दर्जन महिला, पुरुष संक्रमित हुए थे। यह बात अफवाह के तौर पर शहर से तथा ग्रामीण क्षेत्रों तक फैला। शहर के लोग जागरूकता की वजह से ध्यान नहीं दिए पर ग्रामीण क्षेत्र के लोग भ्रम पाल रखे हैं। यह कोरोना के खिलाफ जंग के लिए कतई सही नहीं है।

----ग्रामीणों को टीकाकरण केंद्र की जानकारी पहले देनी होगी : टीकाकरण की सूचना ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को टीकाकरण के दिन ही मिलती है जिस कारण लोग टीकाकरण लेने में चूक जाते हैं। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश लोग सुबह रोजगार की तलाश में निकल जाते हैं। सूर्यास्त के बाद उन्हें घर वापसी होती है। ऑनलाइन जानकारी के माध्यम से कम ही ग्रामीणों का वास्ता रहता है। अगर इन्हें एक या दो पर निकलेंगे और टीकाकरण करवा भी लेंगे।

--टीकाकरण जरूरी : जरूआ के ग्राम प्रधान मंसूर अंसारी कहते हैं कि संयोग बस टीकाकरण के कई दिनों बाद जिले में पांच महिला व पुरुष की मौत हुई। चिकित्सक टीम ने जांच उपरांत स्पष्ट भी कर दिया कि टीकाकरण से नहीं बल्कि अन्य बीमारियों के ग्रसित होने से मौत हुई है, लेकिन ग्रामीण भ्रम पाल रखे हैं। कोरोना से बचाव को सभी को टीका लेना जरूरी है। प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ऐसे लोगों को जागरूक करें और टीकाकरण को प्रेरित करें। ग्राम प्रधान अजीत दुबे ने कहा कि टीकाकरण का प्रचार-प्रसार ग्रामीण क्षेत्रों में करने की आवश्यकता है। ग्रामीणों को टीकाकरण केंद्र व तिथि की जानकारी पहले मिले। ऐसी व्यवस्था विभाग को बनानी होगी। गौरी शंकर तिवारी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षित लोगों की संख्या कम है जबकि टीकाकरण के पूर्व पंजीकरण समेत अन्य कई जटिल प्रक्रियाओं से लोगों को गुजरना पड़ता है। प्रक्रिया पूर्ण नहीं होने पर उन्हें टीकाकरण केंद्र से बगैर टीका लिए वापस आना पड़ता है। दोबारा टीकाकरण केंद्र जाने से कतराते हैं। इन समस्याओं का निदान आवश्यक है।

----वर्जन : टीका के बाद मौत की बात निराधार : टीकाकरण के दुष्प्रभाव से जिले में कोई भी महिला, पुरुष की मौत नहीं हुई है। इसकी पुष्टि जिला स्तरीय गठित चिकित्सक बोर्ड ने की है। लोगों के बीच इस प्रकार का अफवाह फैलाने का प्रयास किया गया है। लोगों को अफवाह पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आसानी से वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन सक्रिय है। आम लोग टीकाकरण को गति प्रदान के लिए आगे आवें। महामारी से बचाव का एकमात्र सबसे कारगर हथियार टीकाकरण है। टीकाकरण से स्वास्थ्य संबंधी किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। ---डॉ. दुर्गेश, प्रभारी कोविड अस्पातल।

-----वर्जन : दोनों डोज कोरोना के खिलाफ रामबाण : शहरी क्षेत्र की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र के लोग टीकाकरण के प्रति कम रुचि ले रहे हैं। नहीं टीकाकरण का आंकड़ा यह दर्शाता है। टीकाकरण की दोनों डोज महामारी नियंत्रण में रामबाण साबित हो रहा है। आम लोगों की अपेक्षा टीकाकरण करा चुके लोग ज्यादा सुरक्षित है। इसलिए 18 वर्ष से अधिक उम्र के तमाम लोग नजदीकी केंद्र पर आएं और टीकाकरण करा लें। टीकाकरण के प्रति समाज में फैल रहे अफवाहों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। टीका पूरी तरह सुरक्षित और कारगर है।

---डॉक्टर सीके शाही, जिला मलेरिया पदाधिकारी सह टीकाकरण नोडल पदाधिकारी।

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