15 लाख की लागत से बनीं नौ दुकानों को कर दिया एक पेड़ के हवाले !
जामताड़ा विभागीय दावों से भले ही बेरोजगारी दूर करने की बातें दोहरायी जाती रही हों
जामताड़ा : विभागीय दावों से भले ही बेरोजगारी दूर करने की बातें दोहरायी जाती रही हों, लेकिन यहां की हकीकत कुछ और है। जामताड़ा सदर प्रखंड समीप सड़क किनारे पिछले 10 से एसजीएसवाई योजना के तहत बनीं नौ दुकानें विभागीय पेच से अब तक किसी के काम न आ सकी। हद तो यह है कि 15 लाख की लागत से बनी इन दुकानों पर एक बड़ा पेड़ जा अटका है। पेड़ के इन दुकानों पर गिरते ही सारी दुकानें और यह योजना धराशयी हो जाएंगी।
लेकिन हद तो यह है कि वर्षो गुजर जाने के बाद भी न तो इस ओर किसी विभाग की नजर पड़ी और न ही इन दुकानों से किसी बेरोजगार का ही भला हो सका। कुछ महीने पहले जेएसएलपीएस ने उपायुक्त को आवेदन देकर जैसल पीएसके दीदियों के नाम इन दुकानों को आवंटित करने का आग्रह किया था, लेकिन पेड़ हटने और दुकानों के बंटने का सिलसिला अब तक फाइलों में ही कैद होकर रह गया।
बेरोजगारों को रोजगार देने का जरिया बननी थी ये दुकानें : विभागीय सूत्रों की मानें तो इन दुकानों का निर्माण बेरोजगारों को रोजगार देने के नाम पर किया गया था। साथ ही इसके मार्फत विभाग और सरकार को ठीकठाक राजस्व भी मिल पाता, लेकिन विभागीय उदासीनता की वजह से न तो इसका सही रेट निर्धारण हो सका और न ही आबंटन ही हुआ। योजना जस की तस फाइलों में ही कैद होकर रह गई और सरकारी पैसों से बनी ये दुकानें बुत बन पड़ी रह गई।
बयान :
मेरे संज्ञान में यह मामला आया है। जल्द ही इसकी डिटेल जानकारी और इसके आबंटन में क्या-क्या परेशानियां आ रही हैं, इसका पता लगाया जाएगा। कोशिश होगी विभागीय स्तर पर पहल कर इन दुकानों का आबंटन निर्धारित किया जाए।
जावेद अनवर सिद्दकी, डीआरडीए निदेशक