विभागीय कार्यों के लिए शिक्षकों को चुकाना पड़ रहा पैसे

संवाद सहयोगी जामताड़ा सरकारी दफ्तरों व स्कूलों में उपलब्ध प्रबंधन राशि राज्य सरकार की अ

By JagranEdited By: Publish:Fri, 19 Nov 2021 05:22 PM (IST) Updated:Fri, 19 Nov 2021 05:22 PM (IST)
विभागीय कार्यों के लिए शिक्षकों को चुकाना पड़ रहा पैसे
विभागीय कार्यों के लिए शिक्षकों को चुकाना पड़ रहा पैसे

संवाद सहयोगी, जामताड़ा : सरकारी दफ्तरों व स्कूलों में उपलब्ध प्रबंधन राशि राज्य सरकार की ओर से वापस लेने के बाद कार्यालय प्रबंधन सुव्यवस्थित करने को लेकर कोई भी राशि उपलब्ध नहीं है। ऐसे में प्रबंधन से संबंधित सामान्य कार्य करने के लिए भी संस्थान के कर्मियों तथा पदाधिकारी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हा है। यहां कक्षा की साफ-सफाई, सामान्य मरम्मत, आनलाइन प्रतिवेदन समर्पित करने, छात्र-छात्राओं की परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र निर्गत करने को छाया प्रति उपलब्ध कराने व गोदाम से स्कूल तक एमडीएम का चावल लाने में शिक्षक को प्रतिमाह 2000 रुपये तक खर्च हो रहा है। यह वेतन सें भरना पड़ रहा है।

---चावल का बोरा बेचकर राशि जमा करने का आदेश : शिक्षक इसे सरकार के उपेक्षा पूर्ण रवैया मान रहे। कहा कि स्कूलों में ही नहीं बल्कि सरकारी दफ्तरों में भी प्रबंधन मद में राशि शून्य है। ऐसे विषम परिस्थिति में स्कूल सचिव को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कक्षा की साफ-सफाई मरम्मत, आनलाइन फार्म भरना आदि कार्य जैसे-तैसे हो रहा। गोदाम से स्कूल तक चावल पहुंचाने में शिक्षकों को अपने पैसे खर्च करने पड़ रहे। इस संबंध में विद्यालय सचिव व शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों ने आक्रोश प्रकट किया है। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रमंडलीय राज्य उपाध्यक्ष बाल्मीकि कुमार, जिला संगठन मंत्री विद्या सागर ने कहा कि कक्षा संचालन, साफ-सफाई, मरम्मत, आदि कार्यों में प्रतिमाह 1500 से 2000 रुपये तक खर्च हो रहे है। प्रखंड स्थित गोदाम से विद्यालय तक चावल पहुंचाने के लिए औसतन 50 से 150 रुपये प्रति क्विटल का अतिरिक्त खर्च आता है।

---छुट्टी के बाद रुकना नई मुसीबत : कहा कि अब एक नयी मुसीबत पैदा कर दी गई है। छुट्टी के बाद एक घंटे शिक्षक को विद्यालय में अतिरिक्त रुकना है। संघ का मानना है कि सुबह नौ से शाम चार बजे तक शिक्षकों से कार्य लेना शिक्षकों पर सरासर अन्याय है। गर्मी के दिनों में प्रात:कालीन विद्यालय विद्यार्थियों के बचाव लिए है ताकि वो ससमय घर लौट जाएं। सवाल किया कि सुबह सात से दोपहर दो बजे जेठ की दुपहरिया में भीषण लू से झुलसते, मुरझाए बच्चों की जिम्मेवारी कौन लेगा। शिक्षक पढ़ाने के अलावा, अनाज का हिसाब रखने, ललाकडाउन में घर- घर लाभुक को अनाज पहुंचाते आए हैं।

---मनोवैज्ञानिक दबाव का आरोप : कहा कि बायोमेट्रिक हाजिरी में एक मिनट विलंब होने पर विलंब नोट करना है और वेतन में कटौती होती है। शिक्षक पढ़ाएंगे या गैर शैक्षणिक कार्यों में व्यस्त होकर अपना ध्यान ससमय अंगूठा लगाने पर केंद्रित करेंगे। ऐसे बेतुका और बेबुनियाद निर्णय से सिर्फ मनोवैज्ञानिक दबाव का माहौल बनाया जा रहा है। बेहतर फलाफल नहीं निकल सकता। कहा कि समाज और देश का निर्माता शिक्षक ही थका, दबा और ऐसे बेबुनियाद सियासी आदेशों से हलकान रहेंगे तो समाज और राष्ट्र का निर्माण कैसे कर पाएंगे। संघ ने ऐसे बेतुका आदेश को निरस्त करने की मांग की।

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