महुलबोना तालाब नहीं हुआ जीर्णोद्धार, जल संकट गहराया

हिरेन सिंह बिदापाथर (जामताड़ा) ग्रामीण क्षेत्र में तालाबों की हाल बद से बदतर होती जा रही

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 07:05 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 07:05 PM (IST)
महुलबोना तालाब नहीं हुआ जीर्णोद्धार, जल संकट गहराया
महुलबोना तालाब नहीं हुआ जीर्णोद्धार, जल संकट गहराया

हिरेन सिंह, बिदापाथर (जामताड़ा) : ग्रामीण क्षेत्र में तालाबों की हाल बद से बदतर होती जा रही है। रख- रखाव के अभाव में तालाबों का अस्तित्व संकट में है। जबकि इलाके का जलस्तर कायम रखने के लिए तालाब, जलाशयों का अहम योगदान है। बिदापाथर थाना क्षेत्र के महुलबोना गांव स्थित हीड़ तालाब का पानी सूखने के कगार पर है। नाममात्र का पानी रह गया है। गर्मी के दिनों में तालाब का हाल कई वर्षों से ही ऐसा रहा है। गर्मी के मौसम आते ही जैसे- जैसे तालाब का पानी सूखने लगता हैं, ग्रामीणों के समक्ष जलसंकट उत्पन्न होने लगती है। फिर भी तालाब की गहरीकरण या फिर बारिश व बाहर से पानी के प्रवेश के उपाय नहीं किए गए। बाहरी जल के प्रवेश का मार्ग प्रशस्त हो जाता तो तालाब में मानसून के पहले सूखा नहीं पड़ता। ये उपाय गांव वाले भी सामूहिक पहल से कर सकते थे पर ध्यान नहीं दिया गया। नतीजतन तालाब का बुरा हाल आज सबके सामने है।

जबकि हीड़ तालाब निजी होने के बावजूद गांव के करीब चार सौ लोगों की निर्भरता इस पर बारह महीने टीकी रहती है। भले ही अब तक तालाब पूरी तरह नहीं सूखा है पर बढ़ते गर्मी से पूरी तरह से पानी विहीन होना तय है। तालाब पूरी तरह सुख जाने के बाद पानी को लेकर लोगों के बीच परेशानी और बढ़ेगी। अगर ससमय तालाब की गहरीकरण कर दिया जाए तो तालाब का अस्तित्व मिटने से बच जाएगा। अभी गहरीकरण करने से बारिश का पानी भी संग्रह हो जाता और अगली गर्मी में तालाब सूखता भी नहीं। जबकि देखरेख के अभाव में प्रति वर्ष गर्मी के मौसम में तालाब जवाब देने लगता है। जलस्तर नीचे खिसकने से आसपास के कुआं व चापाकल से पानी मिलना मुश्किल होने गला है। तालाब के सूखने से आम लोगों के साथ साथ पशुओं को भी परेशानी होने लगेगी।

यह तालाब करीब 50 वर्ष पुराना है। तालाब के पानी से लोग कृषि कार्य व मछली पालन भी करते रहे हैं। अधिकतर लोग तालाब के पानी से स्नान करते हैं। तालाब का सूखना यहां बड़ी आबादी के लिए चिता का विषय बना हुआ है। तालाब सूखने से पशुपालकों भी भारी परेशानी होगी। लोगों ने जल संरक्षण के लिए तालाब का जीर्णोद्धार की मांग की है। कहा कि अगर तालाब का जीर्णोद्धार हो जाता तो लोगों को काफी हद तक पानी की समस्या से मुक्ति मिल जाती। मछली पालन, सब्जी व अन्य कृषि कार्य कर लोग आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी रहते।

---क्या कहते हैं ग्रामीण :

---तालाब को जल्द संरक्षित नहीं किया गया तो पानी की कमी से आसपास के कुआं व चापाकल में पानी की किल्लत हो जाएगी। इससे पानी के लिए हाहाकार मचेगा। सरकार को तालाब की सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। तालाब सूखने के कगार पर है और सिचाई की सुविधा हाथ से निकल चुकी है। - ---मिलन गांधी, ग्रामीण , बिदापाथर ----जल संरक्षण के लिए तालाब का जीर्णोद्धार होना चाहिए। सरकार की ओर से तालाब की गहरीकरण व गाद को निकालने के लिए सकारात्मक पहल की जरूरत है। कई बार मांग की गई पर कभी विभाग ने ध्यान नहीं दिया। अब तालाब को बचाना जरूरी है। गांव का जलस्तर रसातल जाने लगा है।

---कालीचरण गोराई, ग्रामीण, महुलबोना

----जल ही जीवन हैं, लेकिन लोग इसका ख्याल नहीं रखते। अगर ऐसा होता तो तालाब सूखने के कगार पर नहीं पहुंचता। तालाब के घटते पानी के साथ लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है। तालाब का जीर्णोद्धार जरूरी है। यदि समय पर बारिश नहीं हुई तो बड़ी आबादी को जलसंकट का सामना करना पड़ेगा।

----काजल गोराई, ग्रामीण, बिदापाथर।

----जल संरक्षण के लिए तालाब का जीर्णोद्धार होना चाहिए। सरकार को समय पर तालाब में जमा गाद निकालने की व्यवस्था करनी चाहिए थी। इस बार भी तालाब पर ध्यान दिया जाता तो अगले वर्ष पानी से यह भरा रहता। अब तक तालाब में स्नान लायक भी पानी नहीं रह गया है। बारिश के जल के प्रवेश का रास्ता बनाना भी जरूरी है।

---शंभू गोराई, ग्रामीण, महुलबोना

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