महादानी कर्ण की स्मृतियों से जुड़ा काली मंदिर का निर्माण शुरू

संवाद सूत्र करमाटांड़ (जामताड़ा) जामताड़ा जिले के करमाटांड़ प्रखंड ऐतिहासिक धरोहर

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 05:52 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 05:52 PM (IST)
महादानी कर्ण की स्मृतियों से जुड़ा काली मंदिर का निर्माण शुरू
महादानी कर्ण की स्मृतियों से जुड़ा काली मंदिर का निर्माण शुरू

संवाद सूत्र, करमाटांड़ (जामताड़ा): जामताड़ा जिले के करमाटांड़ प्रखंड ऐतिहासिक धरोहर के लिए काफी चर्चित है। यहां से स्वतंत्रता सेनानी व महापुरुषों के साथ-साथ महाभारत के महान दानी भगवान कर्ण की भी स्मृतियां जुड़ी है। करमाटांड़ प्रखंड से सटे हुए करौं महादानी कर्ण के नाम पर ही बसा हुआ है। इसी के नजदीक सुनसुनडबरा गांव में ऐतिहासिक काली मंदिर है। इससे भी कर्ण की स्मृतियां जुड़ी है। पर विडंबना है कि सर्वे सेटलमेंट व नक्शा में पर मंदिर का जिक्र है पर मौजूदा नक्शा में नामोनिशान नहीं है। ऐसे में मंदिर के अस्तित्व को गांव के समाजसेवी व व्यवसायी ने मंदिर को बचाने का जिम्मा उठाया। अब वहां फिर से मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।

करमाटांड़ से देवघर जिला के करौं प्रखंड को जोड़ने वाली मुख्य सड़क स्थित सुनसुन डबरा गांव में आदिकाल से मां काली मंदिर स्थित था। अब मंदिर का नामोनिशान नहीं हैं। सिर्फ पिडी बची है। हर वर्ष एक बार ग्रामीण यहां धूमधाम से सार्वजनिक पूजा करते रहे हैं। फिलहाल कई वर्षों से मंदिर ध्वस्त होने के उपरांत मंदिर के बगल के पेड़ में पिडी रखकर पूजा की जाती है। मान्यता है कि महाभारत काल के दानवीर कर्ण ने यह मंदिर बनाया था। यहां से सात किलोमीटर दूर देवघर जिला के करों मे कर्णेश्वर मंदिर कर्ण के नाम से ही जाना जाता है। उस समय दानवीर कर्ण ही यहां आकर मंदिर को स्थापित किए थे जो मिटने के कगार पर था। इसी मंदिर को पुन: भव्य रूप देने का बिड़ा बड़ासुनसुन डबरा निवासी अवधेश रवानी ने उठाया है। रवानी ने बताया कि परा मंदिर वह खुद के खर्च से बनवाएंगे। कोई सहयोग करना चाहते हैं वह माता रानी के मंदिर में आकर स्वत: दान कर सकते हैं। उसमें मनाही नहीं है। बताया कि जैसे ही मंदिर का निर्माण पूर्ण होगा, भव्य गाजे-बाजे के साथ पूजा-अर्चना की जाएगी और मां काली की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। किया जाएगा।

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