मनसागेड़िया तालाब सूखने से गहराया संकट

संवाद सहयोगी फतेहपुर (जामताड़ा) फतेहपुर प्रखंड की जामजोड़ी पंचायत के मोहुलबना गांव क

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 07:21 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 07:21 PM (IST)
मनसागेड़िया तालाब सूखने से गहराया संकट
मनसागेड़िया तालाब सूखने से गहराया संकट

संवाद सहयोगी फतेहपुर (जामताड़ा) : फतेहपुर प्रखंड की जामजोड़ी पंचायत के मोहुलबना गांव का मनसागेड़िया तालाब पूरी तरह से सूख गया है। करीब 35 साल पहले जल है जान है योजना से इस तालाब का निर्माण किया गया था। इसके बाद से एक बार भी इस तालाब का जीर्णोद्धार नहीं कराया गया है। तालाब सूखने के कारण आम लोगों के साथ-साथ पशुओं को भी परेशानी हो रही है। अनदेखी की वजह से पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी तालाब समय से पहले सूख गया, जबकि कई वर्ष पूर्व यह तालाब पानी से गर्मी में भी भरा रहता था। तालाब को बचाने की न तो प्रशासनिक पहल हुई और ने ग्रामीण ही आग आकर श्रम दान का निर्णय लिया। बाहरी जल के प्रवेश का विकल्प तैयार कर तालाब को बचाया जा सकता था पर इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

इसका खमियाजा आज सबसे ज्यादा आसपास के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। सिचाई लायक नहीं रहने से जेठुआ फसल का लाभ कई किसान नहीं ले पाए। अब तक पशुओं को पानी मिलना तक मुश्किल हो गया है। तालाब सूखने से आसपास का जलस्तर भी नीचे जाने लगा है। ऐसे में नजदीक के कुआं व चापाकल भी कुछ दिनों में जवाब देने लगेंगे। ग्रामीणों के लिए सबसे बड़ी चिता जलसंकट गहराने का है।

जबकि इस तालाब का उपयोग लोग पटवन व स्नान करने समेत मछली पालन के लिए करते थे। वर्षा का जल तालाब में ठीक से प्रवेश नहीं होता । इस वजह से समय से पूर्व तालाब सूख जाता है। विभिन्न माध्यम से इस तालाब का जीर्णोद्धार की मांग कई बार की गई। लेकिन ने शासन-प्रशासन न जनप्रतिनिधि जलसंरक्षण के प्रति सजग हुए। आज तालाब मैदान बन चुका है। ग्रामीण कहते हैं कि तालाब का समय पर जीर्णोद्धार होने से तालाब में पानी रहता। यह लोगों के लिए के उपयोगी होता। अभी समय हाथ से नहीं गया है। गहरीकरण किया जाए तो अगले वर्ष गर्मी में पानी मिल सकता है। इस पंचायत के कई अन्य तालाब का जीर्णोद्धार हुआ, पर इस तालाब की ओर विभाग व जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं गया है। तालाब के सूखने से आसपास के चापाकल व कुआं का भी जलस्तर नीचे चला गया है। तालाब में मिट्टी भर जाने से इसका क्षेत्रफल भी छोटा हो गया है । ----क्या कहते हैं ग्रामीण :

---विभिन्न माध्यम से कई बार इस तालाब के जीर्णोद्धार की मांग की गई है लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। जनप्रतिनिधियों को तालाब को बचाने के लिए आगे आना चाहिए था। तालाब का जीर्णोद्धार नहीं कराया गया तो आगे भी अस्तित्व खतरे में रहेगा। तालाब सूखने से आज जलसंकट सिर पर है। ---निताई टुडू ग्रामीण मोहुलबना ।

---करीब 35 साल पहले जल है जान है योजना के माध्यम से इस तालाब का निर्माण किया गया था। उसके बाद से इस तालाब का जीर्णोद्धार नहीं हुआ है। जीर्णोद्धार होने से तालाब में पानी रहता और आज कम से कम पशुओं को प्यास बुझाने के लिए भटकना नहीं पड़ता। जलसंरक्षण जरूरी है। सभी जानते पर पहले के लिए आगे नहीं आते। --- प्रफुल्ल मंडल ग्रामीण मोहुलबना ।

--- मनसागेड़िया तालाब वर्तमान में पूरी तरह से सूख गया है। आम लोगों के साथ साथ पशुओं को भी परेशानी हो रही है। तालाब का उपयोग लोग स्नान करने, कपड़े साफ करने में करते थे। परंतु विभागीय उपेक्षा के कारण तालाब का अस्तित्व मिटने के कगार पर है। तालाब का गहरीकरण जरूरी है। ---संतोष भंडारी ग्रामीण मोहुलबना।

---वर्षा का जल तालाब में प्रवेश नहीं होता है। यह सबसे बड़ी समस्या है। जल संरक्षण के लिए तालाब का जीर्णोद्धार होना चाहिए। सरकार को तालाब को गहरीकरण कर तालाब में जमा कीचड़ व गाद हो निकालना चाहिए। तालाब की साफ सफाई भी जरूरी है। ---बसंत मरांडी ग्रामीण मोहुलबना ।

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