गर्मी में मैदान बन जाता कालीभाषा तालाब

संवाद सहयोगी फतेहपुर (जामताड़ा) बरसात के समय में जो तालाब पानी से लबालब भरा रहता था इस

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Apr 2021 06:42 PM (IST) Updated:Wed, 28 Apr 2021 06:42 PM (IST)
गर्मी में मैदान बन जाता कालीभाषा तालाब
गर्मी में मैदान बन जाता कालीभाषा तालाब

संवाद सहयोगी, फतेहपुर (जामताड़ा) : बरसात के समय में जो तालाब पानी से लबालब भरा रहता था इस प्रचंड गर्मी में वही सूख चुका है। इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। फतेहपुर प्रखंड की आसनबेड़िया पंचायत के धसनियां का कालीभाषा खास तालाब गर्मी के आते ही सूख गया है। तालाब सूखने के कारण आम लोगों के साथ-साथ पशुओं को भी परेशानी हो रही है।

बरसात के मौसम में धान की फसल होती है। कभी-कभी बारिश नहीं होने से धान की फसल पानी के अभाव में बरबाद होने लगती है। उस वक्त इस तालाब में बारिश के जमा पानी से लोग पटवन कर धान की हरियाली को बचाते हैं। लेकिन, वर्तमान में यह तालाब पूरी तरह सूख गया है। जेठुआ फसल के लिए तालाब काम नहीं आ रहा है। जबकि बड़ी आबादी के लिए इसकी अहमियत पटवन व स्नान करने समेत विभिन्न कार्य में अधिक रहती है। वर्षा का जल तालाब में ठीक से प्रवेश नहीं होता। इस वजह से समय से पूर्व तलाब हर वर्ष सूख जाता है।

करीब 20 साल पहले जब कुंडहित प्रखंड था, उस वक्त किसी योजना के तहत प्रखंड के माध्यम से इस तालाब का जीर्णोद्धार किया गया था। लेकिन महज यह खानापूर्ति ही हुई थी। अगर तालाब का बेहतर ढंग से जीर्णोद्धार किया जाए तो यह तालाब लोगों के लिए काफी उपयोगी सिद्ध होगा और पानी के बिना तालाब नहीं सूखेगा। अन्य फसल भी लगाने के लिए ग्रामीण इच्छुक हैं। लेकिन पानी के अभाव में उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है। इस तालाब में अगर सालों भर पानी रहे तो कई प्रकार की फसल लगाकर ग्रामीण आर्थिक रूप से सबल बन सकेंगे। ग्रामीण बताते हैं कि जब इस तालाब में पानी रहता है तो गांव के अधिकांश लोग इस तालाब का उपयोग विभिन्न कार्य के लिए करते हैं। लोगों ने तालाब के जीर्णोद्धार की मांग की है। क्या कहते ग्रामीण :

कालीभाषा खास तालाब का जीर्णोद्धार होने से लोगों के लिए काफी कारगर सिद्ध होगा। बरसात के मौसम में तालाब पानी से भरा रहता है लेकिन गर्मी में यह तालाब सूख जाता है। इससे लोगों को परेशानी हो रही है। तालाब सूखने से जलस्तर रसातल जाने लगा है। कुआं व चापाकल से पानी कम मिलने लगा है।

- सदानंद साधु, ग्रामीण धसनियां। जब कुंडाहित प्रखंड के अधीन यह क्षेत्र था तो 20 साल पहले इस तालाब का जीर्णोद्धार किया गया था। जीर्णोद्धार के नाम पर महज खानापूर्ति हुई थी इसके बाद से इस तालाब पर न विभाग का और न ही जनप्रतिनिधि का ध्यान गया है। तालाब सूखने से लोगों के साथ पशुओं को भी कठिनाई हो रही है। पशु प्यास बुझाने के लिए भटक रहे हैं।

--तपन कुमार चौधरी, ग्रामीण धसनियां। -बरसात के मौसम में जब इस तालाब में पानी भरा रहता है उस वक्त लोग इस तालाब में स्नान समेत अन्य कार्य का उपयोग करते हैं। गर्मी के आते ही यह तालाब सूखने लगता है। फिर भी इसके गहरीकरण पर ध्यान नहीं दिया गया। जलसंरक्षण की पहल होनी चाहिए। इससे समृद्धि बढ़ेगी।

असलम मियां ग्रामीण धसनियां। -इस तालाब में गांव की एक बड़ी आबादी निर्भर करती है। तालाब का जीर्णोद्धार होने से साल भर पानी रहेगा। जिससे लोग धान के अलावे अन्य फसल पैदा करके आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होंगे। मनरेगा के तहत तालाब का अस्तित्व बचाया जा सकता है पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। नतीजतन आज हर वर्ग परेशानी में है। फसल की सिचाई नहीं हो रही। पशुओं की प्यास नहीं बुझ रही।

---काजू बाउरी, ग्रामीण धसनियां।

chat bot
आपका साथी