तंत्र की बेदर्दी से मरीजों का बढ़ा दर्द

करमाटांड़ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र इन दिनों मरीजों को इलाज की सुविधा देने के बजाए संसाधन के अभाव में खुद बीमार चल रहा है। इलाज के नाम पर मरीजों की मुलाकात चिकित्सकों से कभी-कभार ही होती है। मरीजों का इलाज एएनएम व स्वास्थ्यकर्मियों के भरोसे हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 07:07 PM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 07:07 PM (IST)
तंत्र की बेदर्दी से मरीजों का बढ़ा दर्द
तंत्र की बेदर्दी से मरीजों का बढ़ा दर्द

संवाद सूत्र, करमाटांड़ (जामताड़ा) : करमाटांड़ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र इन दिनों मरीजों को इलाज की सुविधा देने के बजाए संसाधन के अभाव में खुद बीमार चल रहा है। इलाज के नाम पर मरीजों की मुलाकात चिकित्सकों से कभी-कभार ही होती है। मरीजों का इलाज एएनएम व स्वास्थ्यकर्मियों के भरोसे हो रहा है। ऐसे में रात में दुर्घटना होने की स्थिति में जख्मी का इलाज करवाना पुलिस के लिए भी बड़ी परेशानी बन जाती है। जख्मी को इलाज के लिए निजी क्लीनिक में भर्ती करवाना पड़ता है। अस्पताल में लंबे समय से चिकित्सक की कमी खल रही है। इसे मुद्दे पर स्वास्थ्य विभाग व स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौन बैठे हुए हैं।

प्रभार में हैं एक चिकित्सक : करमाटांड़ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक चिकित्सक प्रतिनियुक्त हैं। समय पर माकूल चिकित्सा सेवा नहीं मिलने पर कई बार अस्पताल में हंगामा भी हो चुका है। फिर भी स्थिति जस की तस है। एक भी महिला चिकित्सक नहीं होने के कारण क्षेत्र की महिलाएं इलाज कराने नहीं आना चाहती। महिलाओं को इलाज के लिए जामताड़ा,धनबाद व देवघर की दूरी तय करनी पड़ती है। छोटे बच्चों को इलाज कराने में दूसरे जिले या फिर बंगाल का सहारा लेना पड़ता है। -चिकित्सक अन्यत्र भी करते ड्यूटी : ओपीडी प्रतिदिन नौ बजे सुबह से दोपहर तीन बजे तक खुला रहता है। परंतु इस दौरान चिकित्सक अपनी ड्यूटी निभाने के लिए कभी जामताड़ा तो कभी करमाटांड़ तो कभी मिहिजाम का चक्कर लगाते हैं। ऐसे में यहां ओपीडी भी खाली रहता है। मरीज का इलाज संभव नहीं हो पाता। कभी डॉक्टर ओपीडी में मिलते हैं। परंतु दोपहर तीन बजने के बाद ढूंढने से भी डॉक्टर नहीं मिलते।

---पानी की व्यवस्था लचर : विभाग की ओर से मरीजों व स्वास्थ्य कर्मियों के पेयजल के लिए मशीन की व्यवस्था की गई है पर उसका लाभ मरीजों को नहीं मिलता। लाखों खर्च के बाद भी मरीजों को स्वच्छ पानी मशीन से नहीं मिल रहा है। करीब तीन साल से यह शोभा की वस्तु बनी हुई है। केंद्र के डॉक्टर संजय कुमार पासवान ने बताया कि केंद्र में पेयजल के लिए मशीन की व्यवस्था की गई थी पर रखरखाव के अभाव में यह बेकार हो गया है।

दस की जगह पांच एएनएम कर रही काम : विभाग के मुताबिक करमाटांड़ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 10 एएनएम की रिक्तियां हैं परंतु वर्तमान में पांच एएनएम मौजूद है। डॉक्टर की रिक्तियां दो है पर एक भी डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति नियमित नहीं है। इसके साथ ही नाइट गार्ड, महिला सफाई कर्मी, दाई समेत कई कर्मियों की कमी है। इस वजह से मरीज स्वास्थ्य केंद्र आने से कतराते हैं। लैब टेक्नीशियन को भी यहां से जामताड़ा ब्लड बैंक में भेज दिया गया है। इस कारण यहां पर शुगर, टीवी जैसे बीमारी की जांच लैब में नहीं हो रही। दवा की भी कमी यहां मरीजों को खलती है। चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति जरूरी है। सरकार ने यहां एंबुलेंस की सुविधा दी है पर डॉक्टर की व्यवस्था नहीं रहने से मरीजों को इलाज के लिए अन्य जिलों की ओर रुख करना पड़ता है। देवनारायण मंडल, करमाटांड़। विभाग को करमाटांड़ प्रखंड पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यहां एएनएम के भरोसे ही केंद्र चल रहा है। डॉक्टर ओपीडी में नजर आते हैं पर आपातकाल में इलाज की कोई व्यवस्था नहीं होती।

---श्याम देव मंडल,

----दूर दराज से लोग इलाज के लिए करमाटांड़ पहुंचते हैं परंतु डॉक्टर की कमी के कारण उन्हें निराशा हाथ लगती है। रात में इलाज की समस्या जानलेवा बन जाती है। ऐसे में हंगामा भी होता है। ---

गुलाम मुर्तजा, करमाटांड़। ---- क्या कहते हैं प्रमुख : प्रमुख ममता कोल ने कहा कि डॉक्टर और अन्य सुविधा की कमी का सबसे ज्यादा खामियाजा पुलिस प्रशासन व महिलाओं को भुगतना पड़ता है। महिला डॉक्टर नहीं रहने के कारण उन्हें इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है। गरीब महिलाओं के लिए यह बड़ी परेशानी की वजह है। डॉक्टर उपलब्ध कराने के लिए कई बार विभागीय अधिकारी को लिखा गया पर अब तक मांग पूरी नहीं की गई।

---पुलिस भी परेशान : थाना प्रभारी रजनीश आनंद ने बताया कि पुलिस प्रशासन को रात में होनेवाली घटना-दुर्घटना में जख्मी को इलाज करवाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। डॉक्टरों की कमी के कारण निजी अस्पताल में उनका इलाज कराना पड़ता है। अपराधियों को चिकित्सकीय जांच के लिए कभी नारायणपुर तो कभी जामताड़ा लेकर जाना पड़ता है। क्या कहते हैं प्रभारी चिकित्सक : प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर सुनील कुमार किस्कू ने कहा कि डॉक्टरों की कमी तो पूरे राज्य में है। इस बाबत जिला मुख्यालय से कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। करमाटांड़ में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी पहले से है। अगर यहां स्वास्थ्य महकमा को प्रखंड का दर्जा मिलता तो अवश्य ही सुविधाएं बढ़ती।

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