विस अध्यक्ष के गृहक्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा लचर, मरीज हलकान

क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की कमी का खमियाजा लोगों को बराबर भुगतना पड़ता है। लोगों को पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के विभिन्न सरकारी गैर-सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए जाना पड़ता है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 06:49 PM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 06:57 PM (IST)
विस अध्यक्ष के गृहक्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा लचर, मरीज हलकान
विस अध्यक्ष के गृहक्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा लचर, मरीज हलकान

संवाद सहयोगी, नाला (जामताड़ा): राज्य गठन के बाद लोगों में उम्मीद जगी थी कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होगी। 24 घंटे बिजली मिलेगी। बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलेगा। किसानों के खेतों में पानी उपलब्ध होगा। किसान समृद्ध होंगे। गांवों का चौतरफा विकास होगा, लेकिन लगभग डेढ़ लाख आबादी वाले नाला प्रखंड की जनता की ये उम्मीदें आज तक पूरी नहीं हो पाई। खासकर चिकित्सा सेवा के मामले में मरीज से उनके परिजन तक बराबर परेशान रहते हैं। इलाज के लिए जाना पड़ता है बंगाल: क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की कमी का खमियाजा लोगों को बराबर भुगतना पड़ता है। लोगों को पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के विभिन्न सरकारी, गैर-सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए जाना पड़ता है। नाला में सरकारी चिकित्सा व्यवस्था की लचर स्थिति देख मरीज को एक बार अस्पताल ले जाने के बाद दुबारा वहां नहीं ले जाना चाहते। इतना ही नहीं सीएचसी में मरीज के पहुंचने के साथ परिजनों को रेफर लेटर थमा दिया जाता है। ताकि चिकित्सक को किसी परेशानी से वास्ता ही न पड़े। गरीब मरीज चुपचाप बंगाल जाने को विवश होते हैं। करोड़ों के भवन बने, पर डॉक्टर नदारद: राज्य गठन के बाद भले ही नाला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बदल दिया गया। विभिन्न गांवों के उप स्वास्थ्य केंद्र को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तब्दील किया गया। सरकार ने केंद्रों के भवन बनाने में करोड़ों रुपए खर्च किए, लेकिन चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति में अब तक पीठ दिखाती रही है।

सीएचसी में एक महिला चिकित्सक तक नहीं: नाला विधानसभा क्षेत्र की तीस पंचायतों के मरीजों के लिए एक सीएससी है। पर एक भी महिला चिकित्सक नहीं उपलब्ध हैं। नतीजतन महिला मरीजों का समुचित इलाज संभव नहीं हो पाता। क्षेत्र के अफजलपुर, सारसकुंडा, गेड़िया, कालिपहाड़ी, पैकबड़, बिदापाथर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का बड़े-बड़े भवन तैयार है, लेकिन इन अस्पतालों में एक भी चिकित्सा पदाधिकारी नहीं हैं। कही पर एएनएम के भरोसे तो कहीं स्वास्थ्य कर्मी के भरोसा से अस्पताल चल रहा है। दर्जन भर से अधिक उप स्वास्थ्य केंद्र हैं, लेकिन चिकित्सक नहीं हैं।

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चिकित्सा व्यवस्था में सुधार की जरूरत: समाजसेवी तापस भट्टाचार्य, समर माजि, कन्हाई माल पहाड़िया, विजन राय, पंकज झा, गुलशन आली आदि ने अस्पतालों में चिकित्सक की नियुक्ति कर चिकित्सा व्यवस्था में सुधार की मांग की है। कहा कि यहां के मरीजों को साधारण से साधारण बीमारी के इलाज को लेकर बंगाल जाना पड़ता है। अस्पताल में पहुंचते ही मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। यह जनता के समक्ष एक गंभीर समस्या है।

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