सूखने के कगार पर सुगनीबासा का बाड़ी गढि़या तालाब

बिदापाथर (जामताड़ा) गर्मी की दस्तक व कड़ी धूप की तपिश से ग्रामीण क्षेत्र में तालाबों स्थिति बद

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 06:46 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 06:46 PM (IST)
सूखने के कगार पर सुगनीबासा का बाड़ी गढि़या तालाब
सूखने के कगार पर सुगनीबासा का बाड़ी गढि़या तालाब

बिदापाथर (जामताड़ा) : गर्मी की दस्तक व कड़ी धूप की तपिश से ग्रामीण क्षेत्र में तालाबों स्थिति बदतर होती जा रही है। रख-रखाव के अभाव में तालाबों का अस्तित्व संकट में है। जबकि इलाके का जलस्तर कायम रखने के लिए तालाब, जलाशयों का अहम योगदान रहता है। भूमि का जलस्तर बनाने रखने के लिए जल संरक्षण जरूरी है। इसके बावजूद फतेहपुर प्रखंड की पालाजोरी पंचायत के सुगनीबासा गांव स्थित बाड़ी गढि़या तालाब को सहेज कर रखने पर कभी समय पर ध्यान नहीं दिया है। नतीजतन यह तालाब इस गर्मी में जवाब देने लगा है। तालाब सूखने के कगार पर है। गर्मी के दिनों में तालाब का हाल कई वर्षो से ही ऐसा हो रहा है। गर्मी के मौसम आते ही जैसे-जैसे तालाब का पानी कम होने लगता है, ग्रामीणों के समक्ष जलसंकट की चिता बढ़ने लगती है। तालाब सूखने से आसपास का कुआं व चापाकल का जलस्तर भी प्रभावित होने लगा है।

बाड़ी गढि़या तालाब निजी तालाब होने के बावजूद गांव के करीब चार सौ आबादी की निर्भरता इसी के पानी से रहती है। भले ही अब तक तालाब पूरी तरह नहीं सूखा है पर बढ़ती गर्मी की वजह से अब पानी कम दिन ही बचा रह पाएगा। इसके बाद पशुओं को प्यास बुझाना भी मुश्किल हो जाएगा। आम लोगों की भी परेशानी और बढ़ेगी। अगर ससमय तालाब का गहरीकरण कर दिया जाता तो तालाब का अस्तित्व मिटने से बच जाता। देखरेख के अभाव में प्रतिवर्ष गर्मी के मौसम में तालाब जवाब देने लगता है व जलस्तर भी नीचे खिसकने लगता है। नतीजन कुआं व चापाकल से पानी मिलना मुश्किल हो जाता है।

जबकि तालाब के पानी से लोग कृषि कार्य व मछली पालन भी करते हैं। अधिकतर लोग तालाब के पानी से स्नान करते हैं। तालाब का सूखना यहां बड़ी आबादी के लिए मुश्किलें खड़ी करेगी। पशुपालकों को अभी से परेशानी होने लगी है। फिलहाल तालाब में गाद जमा है। पानी पीने लायक नहीं रह गया है। ऐसे में लोगों को पशुओं को पानी पिलाने के लिए दूर ले जाना पड़ता है। तालाब के जीर्णोद्धार के लिए कई बार मांग उठी पर उसपर अमल नहीं किया गया। ग्रामीणों ने फिर से लोगों से जल संरक्षण के लिए तालाब का जीर्णोद्धार की मांग की है। कहा कि अगर तालाब का जीर्णोद्धार हो जाता तो लोगों को काफी हद तक पानी की समस्या से मुक्ति मिल जाती। मछली पालन, सब्जी व अन्य कृषि कार्य कर लोग आर्थिक रूप आत्मनिर्भर हो पाते।

----क्या कहते ग्रामीण : तालाब को जल्द संरक्षित नहीं किया गया तो पानी की कमी से आसपास के कुआं व चापाकल में पानी की किल्लत हो जाएगी। इससे पानी के लिए हाहाकार मचेगा। सरकार को तालाब की सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। तालाब में बाहरी जल के प्रवेश का जरिया बनाना भी जरूरी है। ---अविता हांसदा, ग्रामीण, सुगनीबासा

---जल संरक्षण के लिए तालाब का जीर्णोद्धार होना चाहिए। सरकार की ओर से तालाब का गहरीकरण व गाद को निकालने के लिए पहल शीघ्र हो। अब भी वक्त है। यदि तालाब को दुरस्त कर दिया जाए तो अगली वर्ष पानी की कमी नहीं रहेगी। तालाब को बचाना जरूरी है।

---बीरु हांसदा, ग्रामीण, सुगनीबासा

---जल ही जीवन है, लेकिन लोग इसका ख्याल नहीं रखते। अगर ऐसा होता तो तालाब सूखने के कगार पर नहीं होता। तालाब में घटते पानी के साथ लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है। तालाब का जीर्णोद्धार जरूरी है। वर्षा जल के प्रवेश की व्यवस्था सामूहिक प्रयास से भी की जा सकती है। ---उमेश राणा, ग्रामीण, सुगनीबासा

---पानी की कमी दूर करने को जल संरक्षण जरूरी है। इसके लिए जलाशयों को बचाना जरूरी है, पर कभी इस दिशा में ध्यान नहीं दिया गया। तालाब का जीर्णोद्धार होना चाहिए। सरकार तालाब में जमा गाद को निकलवाए। तभी तालाब का भविष्य बच सकता है। तालाब का जीर्णोद्धार हो जाने से लोगों को पानी की समस्या से मुक्ति व मछली पालन व कृषि से रोजगार मिलता।

---पवन राणा, ग्रामीण, सुगनीबासा

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