संक्रमितों की सेवा के लिए स्वजनों से बनाई दूरी

प्रमोद चौधरी जामताड़ा जामताड़ा जिले में कोरोना महामारी के दौरान कई ने कोरोना योद्धा के

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 01:15 AM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 01:15 AM (IST)
संक्रमितों की सेवा के लिए स्वजनों से बनाई दूरी
संक्रमितों की सेवा के लिए स्वजनों से बनाई दूरी

प्रमोद चौधरी, जामताड़ा : जामताड़ा जिले में कोरोना महामारी के दौरान कई ने कोरोना योद्धा के रूप में अपनी पहचान बनाई। चिकित्सा के क्षेत्र में ऐसी ही कोरोना योद्धा बबली कुमारी भी है। 24 वर्षीय बबली कुमारी स्वास्थ्य महकमा में सामुदायिक चिकित्सा पदाधिकारी हैं। महामारी की विषम परिस्थिति में वह यहां कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल में अपनी सेवा दे रही हैं। कोरोना को मात देकर फिर सेवा में जुट गई हैं। कहती हैं कि संक्रमण का खतरा स्वजन तक नहीं पहुंचे, इसलिए वह स्वजन से दूर जामताड़ा में अलग रह रहीं हैं।

ऐसे में संक्रमण का मार सबसे ज्यादा पुलिस के जवानों व चिकित्सा क्षेत्र के अधिकारी व कर्मियों को यहां झेलना पड़ा। पहली लहर में चार महिला चिकित्सक समेत कई कर्मी कोरोना की चपेट में आए। दूसरी लहर संक्रमण के मामले में ज्यादा खतरनाक बनी है। अब तक दो दर्जन चिकित्सक समेत कर्मी कोरोना की चपेट में आ चुके है। कई स्वस्थ होकर फिर अपनी जान हथेली पर रखकर सेवा देने में दिन रात जुटे हैं तो कई कई इलाज के मैदान में कोरोना को मात देने को दो-दो हाथ कर रहे हैं। इनमें सीएचओ बबली भी शामिल हैं। गोलपहाड़ी में सीएचओ पद पर मरीजों की सेवा कर रही थी। पिछले वर्ष कोविड अस्पताल में ड्यूटी निभाने का दायित्व मिला। वह संक्रमित मरीजों की सेवा में तनिक कोताही कभी नहीं बरतीं। तीनों शिफ्ट में काम की। इसी दौरान पिछले अगस्त माह में वह संक्रमित हो गई। कोविड अस्पताल में भी उनका इलाज चला। संक्रमण का ज्यादा प्रभाव रहने की वजह से उन्हें पांच माह का बेड रेस्ट भी दिया गया। वह धनबाद की रहने वाली है। पांच माह बाद अब फिर कोरोना की दूसरी घातक लहर आई तो बेहिचक वह पुन: कोविड अस्पताल में योगदान दी।

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रोज संक्रमितों को दवा, जांच, आक्सीजन उपलब्ध कराती

सीएचओ बबली यहां उदलबनी कोरोना अस्पताल में संक्रमितों को भर्ती लेने पंजीकरण करने से लेकर चिकित्सा के हर गतिविधि को बखूबी अंजाम दे रही हैं। संक्रमितों की जांच, दवा देने, आवश्यकता पड़ने पर आक्सीजन देने से लेकर हर कार्य वह बेखौफ कर रही हैं। फिलहाल ढाई सो के करीब यहां संक्रमित मरीज इलाज रत हैं।

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संक्रमण के दौरान बेचैनी बढ़ी थी

सीएचओ कहती हैं कि ड्यूटी करने को लेकर उनमें चिता या घबराहट कभी नहीं थी। क्योंकि आपात काल में सेवा देने का अवसर बार-बार किसी को नहीं मिलता। इसलिए सहर्ष संक्रमितों की सेवा कर रही थी। खुद हर सावधानी भी बरत रही थी। अचानक अगस्त में संक्रमण के लक्षण दिखने लगे। बाद में संक्रमण व अपने भविष्य को लेकर थोड़ी बेचैनी बढ़ी पर धैर्य नहीं खोए। परिणाम बेहतर निकला कि संक्रमण मुक्त हो गए।

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सीएचओ बबली कुमारी संक्रमितों को चिकित्सकीय सेवा देने के दौरान अगस्त माह में संक्रमित हुई थी। संक्रमण का असर ज्यादा रहने की वजह स्वस्थ होने के बाद भी कई माह उन्हें बेड रेस्ट करना पड़ा। कोरोना की दूसरी लहर में वे फिर से कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल में सेवा दे रही हैं। चिकित्सक व नर्स समेत अन्य कर्मियों की ड्यूटी जोखिम भरी होती है। फिर वह दायित्व निभाने से पीछे नहीं हटीं। ड्यूटी के दौरान उनका संक्रमित मरीजों से एक बार नहीं कई बार वास्ता पड़ता है। दूसरों को भी उनसे चिकित्सकीय दायित्व व कर्तव्य की सीख लेनी चाहिए।

---डा. दुर्गेश, प्रभारी, कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल।

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