जीर्णोद्धार नहीं होने से डागरापाड़ा तालाब सूखा

बिदापाथर (जामताड़ा) कड़ी धूप व गर्मी से ग्रामीण क्षेत्र में तालाबों के जीवन की उल्टी गिनती श

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 06:46 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 06:46 PM (IST)
जीर्णोद्धार नहीं होने से डागरापाड़ा तालाब सूखा
जीर्णोद्धार नहीं होने से डागरापाड़ा तालाब सूखा

बिदापाथर (जामताड़ा) : कड़ी धूप व गर्मी से ग्रामीण क्षेत्र में तालाबों के जीवन की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। रख-रखाव के अभाव में से तालाबों का अस्तित्व संकट में है। क्षेत्र के कई तालाब सूख चुके हैं तो कई सूखने के कगार पर हैं। तालाब सूखने से भूमि का जल स्तर दिन प्रति दिन नीचे जा रहा है। जल संरक्षण से ही भूमि के जलस्तर को कायम रखा जा सकता है। फिर भी तालाबों को बचाने की पहल नहीं हो रही है। ऐसी ही अनदेखी फतेहपुर प्रखंड की धसनियां पंचायत के डागरापाड़ा गांव स्थित पलाश बगान तालाब के साथ अब तक की गई। नतीजतन तालाब गर्मी के दस्तक के साथ ही पूरी तरह सूख चुका है। अब लोग पानी के लिए भटकना शुरू कर चुके हैं। जबकि समय पर तालाब के गहरीकरण पर ध्यान दिया जाता तो तालाब की यह बदहाली नहीं होती। तालाब में पानी रहता और पशुओं को भी प्यास बुझाने के लिए भटकना नहीं पड़ता।

गर्मी के दिनों में तालाब का हाल कई वर्षो से ही ऐसा ही रहा है। गर्मी के मौसम आते ही जैसे-जैसे तालाब का पानी सूखने लगा, ग्रामीणों के समक्ष जलसंकट उत्पन्न होने लगा है। लोग पानी के लिए इधर-उधर भटकने को विवश हैं। तालाब की गहराई कम हो जाने से गर्मी के दस्तक से ही तालाब सूख जाता है। तालाब सूख जाने के बाद पानी को लेकर लोगों के बीच परेशानी और बढ़ गई है। अगर ससमय तालाब का गहरीकरण कर दिया जाता तो तालाब में पानी का अस्तित्व मिटने से बच जाता। देखरेख के अभाव में प्रतिवर्ष गर्मी के मौसम में तालाब सूखने लगता है व जलस्तर भी नीचे खिसकने लगता है। नतीजन गांव के कुआं व चापाकल से पानी मिलना मुश्किल हो चुका है। पानी के अभाव में आम लोगों के साथ-साथ पशुओं को भी परेशानी हो रही है। तालाब के पानी से लोग कृषि कार्य व मछली पालन भी करते हैं। इस बार ये लाभ नहीं मिल पाया। तालाब का सूखना ग्रामीणों के लिए चिता का अहम विषय बना हुआ है। पशुपालक भी परेशानी में देखे जा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि तालाब के जीर्णोद्धार की पहल होती तो तालाब में अब तक पानी रहता। अब अगले वर्ष भी यही परेशानी झेलनी होगी। क्योंकि तालाब की सुध लेनेवाला कोई नहीं है। लोगों ने जल संरक्षण के लिए तालाब के जीर्णोद्धार की मांग की। कहा कि तालाब का जीर्णोद्धार हो जाता तो लोगों को काफी हद तक पानी की समस्या से मुक्ति मिल जाती।

---क्या कहते ग्रामीण : जल संरक्षण के लिए तालाब को जल्द जीर्णोद्धार जरूरी है। पानी की कमी से आसपास के कुआं व चापाकल में पानी की किल्लत हो रही है। सब्जी की खेती करनेवाले किसानों को सिचाई की सुविधा इस मौसम में नहीं मिल पाई। आगे भी यही समस्या रहेगी। यदि सरकार तालाब की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दी तो।

---शिव ठाकुर सोरेन, ग्रामीण, डागरापाड़ा

सरकार की ओर से तालाब के गहरीकरण के लिए पहल होनी चाहिए। तालाब के गहरीकरण हो जाने से लोगों को पानी के लिए सुविधा होगी। ग्रामीण सब्जी की फसल के लिए सिचाई के साथ-साथ पशु को भी पानी दे पाएंगे। महीनेभर से ग्रामीणों को यहां पानी की किल्लत हो रही है।

---वकील सोरेन, ग्रामीण, डागरापाड़ा

---गर्मी के दस्तक के साथ ही गांव का तालाब हर साल सूख जाता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ। बाहरी जल के प्रवेश का रास्ता तालाब को मिल जाता तो जल संग्रहण की क्षमता कुछ बढ़ती पर इस ओर भी कभी ध्यान नहीं दिया गया। तालाब सूखने से जलस्तर नीचे जा रहा है। हर तरफ जल संकट दस्तक दे चुका है। तालाब को बचाना जरूरी था। विभाग जीर्णोद्धार पर ध्यान दे।

---अनिल सोरेन, ग्रामीण, डागरापाड़ा

---तालाब की गहराई कम हो गई है। लोग पानी के लिए चितित हैं। सरकार तालाब के गहरीकरण पर ध्यान नहीं दे रही। मांग कई बार की गई। जीवन के लिए जलसंरक्षण जरूरी है फिर भी सरकारी तंत्र ध्यान नहीं दे रहा। परिणाम आज सबसे सामने जलसंकट के रूप में खड़ा है। तालाब का जीर्णोद्धार हो जाने से लोगों को पानी की समस्या से मुक्ति मिलती। मछली पालन व कृषि कार्य को बढ़ावा मिलता।

---छुतार हांसदा, ग्रामीण, डागरापाड़ा

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