समय के पहले वृद्ध हो गया बुद्धा बाबू तालाब

मिहिजाम (जामताड़ा) रेलपार शांति नगर स्थित लगभग सौ वर्ष पुराना बुद्धा बाबू तालाब के अस्तित्व की

By JagranEdited By: Publish:Fri, 09 Apr 2021 07:05 PM (IST) Updated:Fri, 09 Apr 2021 07:05 PM (IST)
समय के पहले वृद्ध हो गया बुद्धा बाबू तालाब
समय के पहले वृद्ध हो गया बुद्धा बाबू तालाब

मिहिजाम (जामताड़ा) : रेलपार शांति नगर स्थित लगभग सौ वर्ष पुराना बुद्धा बाबू तालाब के अस्तित्व की उलटी गिनती शुरू हो गई है। रखरखाव के अभाव में तालाब में नाम मात्र का पानी रह गया है। इतना कम पानी पहले कभी नहीं था। रखरखाव की कमी की वजह से तालाब की यह बदहाली है। तालाब में पानी की कमी का असर आसपास के क्षेत्रों पर पड़ने लगा है। जलस्तर रसातल जाने से लोगों के कुआं व चापाकल से पानी कम मिल रहा है। जबकि जलसंरक्षण के लिए तालाबों की अपनी अहमियत होती है। तालाब का समय पर गहरीकरण व सफाई की जाती तो इस गर्मी में भी पानी की कमी नहीं होती और आसपास की आबादी से जुड़े क्षेत्रों में जलस्तर बरकरार रहता। वर्षा के पानी से तालाब को जीवनदान मिल जाता।

---बडी आबादी फेंक रही कूड़ा : तालाब की अनदेखी कर ग्रामीणों ने इसे कूड़ेदान बन कर रख दिया है। लोग तालाब में ही कूड़ा फेंकते हैं। नियमित सफाई नहीं होने से तालाब में जलकुंभी ने घर बसा लिया है। तालाब में मुहल्ले के घरों से निकलने वाला नाली का पानी अनवरत बहाया जा रहा है। जबकि मिहिजाम क्षेत्र के लिए यह तालाब ऐतिहासिक है। अब भी तालाब को संरक्षित करने की पहल नहीं हुई तो दो-चार वर्षों में ही इसका अस्तित्व मिट जाएगा। साथ ही आसपास के क्षेत्र का जलस्तर कायम नहीं रहने पर एक बड़ी आबादी को जलसंकट से भी जूझना पड़ेगा।

---पहले वर्ष भर बनी रहती थी निर्भरता : पूर्व के वर्षों में दुर्गापूजा के उपरांत मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन यहीं किया जाता था। इसके अलावा लोग छठ पूजा से लेकर वर्ष भर कपड़े साफ करते थे। स्नान करने के अलावा यहां तक खाना बनाने के लिए भी तालाब का पानी का उपयोग में लाया जाता था। सरकारी सहायता के नाम पर केवल छठ पूजा के पूर्व नगर पर्षद से मामूली खर्च दे कर तालाब की सफाई करवाती है। पर आज आज तक तालाब का गहरीकरण नहीं किया गया। तालाब के कारण आसपास क्षेत्र के लगभग एक हजार परिवार के घरों के कुआं व चापाकल का जल स्तर बना रहता है। अब तालाब सूख रहा है तो इन घरों का जलस्त्रोत भी जवाब देने लगा है।

क्या कहते है ग्रामीण :

---जब से हटिया परिसर में मां दुर्गा की पूजा आरंभ हुई, तब से लगभग सौ वर्ष पूर्व जमींदार बुद्धा बाबू ने इस तालाब का निर्माण कराया था। लेकिन अभी यह तालाब काफी उपेक्षित हो चुका है। हमलोग किसी तरह तालाब को संरक्षित रखने की जद्दोजहद कर रहे है।

---- जयप्रकाश भगत, ग्रामीण, मिहिजाम। ---तालाब में नाली का गंदा पानी का प्रवेश बंद करने के लिए नगर पर्षद से कई बार गुहार लगाई गई पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। लोग तालाब में ही अपने घरों का कचरा फेंक देते है। इसे बंद करने के लिए नगर पर्षद से कूड़ादान देने को कहा गया पर वह भी नहीं हुआ। तालाब को संरक्षित करना जरूरी है।

---अजय कुमार चौधरी, ग्रामीण, मिहिजाम। ---तालाब को जीवत रखने व पानी संग्रह बराबर रखने को आपसी सहयोग से तालाब को गहरीकरण व सौंदर्यीकरण का अभियान शुरू किया जाएगा। तालाब को संरक्षित रखने के लिए सरकार व नगर पर्षद को भी सहयोग करना चाहिए।

--- गुड्डू पांडे, ग्रामीण, मिहिजाम। ---तालाब संरक्षित रहेगा तो घरों के कुआं व चापाकल में पानी की कमी नहीं होगी। तालाब की साफ-सफाई कर इसको गहरीकरण करने का प्रयास किया जाएगा। शासन-प्रशासन को भी तालाब बचाने को आगे आना चाहिए। ---- धनंजय चौधरी, मिहिजाम। ---- तालाब जिदा रहेगा तो आसपास के लोगों को भी कभी जलसंकट नहीं झेलना पड़ेगा। कुआं व चापाकल से लोगों की प्यास मिटती रहेगी फिर तालाब की चिता किसी को नहीं हो रही। यथा संभव स्थानीय सहयोग से गहरीकरण कराने का फैसला लिया गया है। नगर पर्षद तालाब किनारे कूड़ेदान की व्यवस्था करे।

---- महबूब आलम, ग्रामीण, मिहिजाम। --तालाब को संरक्षित करने के लिए आपसी सहयोग से गहरीकरण व सौंदर्यीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है। तालाब में पानी नहीं रहेगा तो कई तरह का संकट खड़ा होगा। जलसंकट तो अहम है ही। तालाब की सुरक्षा के प्रति सरकार को भी ध्यान देना चाहिए।

---- रामनरेश गोप, ग्रामीण, मिहिजाम।

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