80 वर्ष पुराना नावाडीह तालाब सूखा

ग्रामीण इलाकों के तालाबों का हाल बदतर है। इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। नारायणपुर प्रखंड के नावाडीह तालाब भी उपेक्षा का दंश झेलने को मजबूर है। आलम यह है कि 80 वर्ष पुराना लगभग दो एकड़ में फैला तालाब में पानी तो है नहीं तालाब में जंगल उग आए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 07:20 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 07:20 PM (IST)
80 वर्ष पुराना नावाडीह तालाब सूखा
80 वर्ष पुराना नावाडीह तालाब सूखा

संवाद सहयोगी, नारायणपुर (जामताड़ा) : ग्रामीण इलाकों के तालाबों का हाल बदतर है। इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। नारायणपुर प्रखंड के नावाडीह तालाब भी उपेक्षा का दंश झेलने को मजबूर है। आलम यह है कि 80 वर्ष पुराना लगभग दो एकड़ में फैला तालाब में पानी तो है नहीं, तालाब में जंगल उग आए हैं। तालाब में काफी समय से गहरीकरण का कार्य नहीं हो पाया। तालाब में वर्षा का पानी बाहर से आने का कोई जरिया नहीं है। नतीजतन तालाब असमय ही सूख गया। तालाब में सूखा पड़ने का असर आसपास के क्षेत्र में अभी से दिखाई पड़ने लगा है। जलस्तर रसातल में जा रहा है। सिचाई की सुविधा से ग्रामीणों को हाथ धोना ही पड़ा, उनके कुआं व चापाकल की जलस्तर भी नीचे खिसकने गला है।

ग्रामीणों का कहना है कि तालाब में वर्षा का पानी पहुंचाने की तत्काल व्यवस्था होनी चाहिए ताकि तालाब में पानी का संग्रह हो सके और तालाब सूखे नहीं। तालाब में एक समय जहां छह-सात फीट से अधिक पानी रहता थी आज तालाब में पानी का नामो-निशान नहीं है। इस भीषण गर्मी में तालाब का पानी सूख जाने से लोगों के समक्ष परेशानी खड़ी हो गई है। पशुओं को भी दिक्कत हुई है। बताया कि तालाब सूखने से आस पास के कुआं व चापाकल का जलस्तर नीचे जाने का डर सताने लगा है। यह तालाब नावाडीह के लगभग 1000 लोगों के लिए उपयोगी माना जाता है। तालाब का उपयोग श्राद्ध कर्म, शादी विवाह के कार्यक्रम, पटवन, मछली पालन आदि कार्य में होता था। स्थानीय लोगों ने कई बार तालाब के सुंदरीकरण की मांग विभाग से की परंतु इस ओर ध्यान नहीं दिया गया । नतीजतन तालाब के जीर्णोद्धार और सुंदरीकरण का कार्य नहीं हो पाया है। वर्तमान समय में तालाब मिट्टी और गंदगी से भर चुका है।

---कई बार तालाब के जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण के लिए के लिए सर्वे किया गया है परंतु धरातल पर कुछ काम नहीं हुआ। तालाब को संरक्षित करने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए। अन्य स्थानों के तालाबों पर ध्यान दिया गया पर इसकी सुध नहीं ली गई। ---गुड्डू मंडल ग्रामीण। ---वर्षों पूर्व राजा ने इस तालाब का निर्माण करवाया गया था। उस समय यह तालाब साफ सुथरा पानी के लिए जाना जाता था। तालाब का जीर्णोद्धार काफी जरूरी है। गहरीकरण से तालाब में पानी संग्रह रहेगा। पानी के लिए लोगों को इधर उधर भटकना नही पड़ेगा। सिचाई के साथ कई सुविधाएं मिलने लगेगी। ---बासु पंडित, ग्रामीण। ---इस क्षेत्र के लोगों के लिए तालाब महत्वपूर्ण है। तालाब का जल लोग कपड़े साफ करने, स्नान करने, पूजा-पाठ के लिए उपयोग करते है। सरकारी उपेक्षा के कारण तालाब का अस्तित्व खतरे में है। तालाब सूख जाने से जलस्तर नीचे खिसकने लगा है। अब कुआं व चापाकल से पानी मिलना बंद हो जाएगा तो परेशानी और बढ़ेगी। ---निताय दास, ग्रामीण। ---- तालाब सूखने के कारण आम लोगों के साथ साथ पशुओं को भी परेशानी हो रही है। अगर तालाब का जीर्णोद्धार हुआ होता तो तालाब सूखता नहीं और लोगों को लाभ मिलता रहता। वर्षा का जल लंबे तक संग्रहित रखने को सामूहिक पहल होनी चाहिए। ----रामशरण पंडित, ग्रामीण। तालाब को जल्द संरक्षित नही किया तो पानी सहेजने के सरकारी अभियान को झटका लगेगा। इस भीषण गर्मी में पानी के लिए हाहाकार मचा है। अगर तालाब का जीर्णोद्धार समय पर किया जाता तो तालाब नहीं सूखता। आसपास के कुआं व चापाकल में पानी का स्तर भी कम नही होता। ---प्रेम कुमार ग्रामीण।

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