आप अकेले नहीं जिन्हें अपना पसंदीदा कैरियर नहीं मिला, रतन टाटा भी हैं उनमें शामिल; जानिए

आप ऐसे अकेले नहीं है जिन्हें उनकी पसंदीदा नौकरी नहीं मिली। आप जानते हैं टाटा समूह के अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा भी उनमें शामिल हैं जिन्हें उन्हें उनकी पसंदीदा नौकरी नहीं मिली। अपने युवावस्था में वे भी एक ड्रीम जॉब में अपना कैरियर बनाना चाहते थे।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Tue, 13 Jul 2021 09:10 AM (IST) Updated:Tue, 13 Jul 2021 09:33 AM (IST)
आप अकेले नहीं जिन्हें अपना पसंदीदा कैरियर नहीं मिला, रतन टाटा भी हैं उनमें शामिल; जानिए
टाटा समूह के अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा फाइल फोटो।

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। बचपन में हर कोई सपना देखता है कि वह बड़ा होकर ऐसा कुछ करें जिससे उसकी पहचान हो या अपने पसंदीदा जॉब करना चाहता है। लेकिन अक्सर जीवन में कुछ ऐसी परिस्थितियां आती हैं जो उनके सपनों को चूर-चूर कर देता है और समय के अनुरूप नौकरी करनी पड़ती है।

यदि आपके साथ भी ऐसा कुछ है तो निराश न हों। क्योंकि आप ऐसे अकेले नहीं है जिन्हें उनकी पसंदीदा नौकरी नहीं मिली। आप जानते हैं टाटा समूह के अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा भी उनमें शामिल हैं जिन्हें उन्हें उनकी पसंदीदा नौकरी नहीं मिली। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि भले टाटा समूह के चेयरमैन रह चुके रतन टाटा को भला नौकरी करने की क्या जरूरत। लेकिन अपने युवावस्था में वे भी एक ड्रीम जॉब में अपना कैरियर बनाना चाहते थे। तो आइए हम आपको बताते हैं कि उनकी ड्रीम जॉब क्या है...।

रतन टाटा बनना चाहते थे ये

रतन टाटा ने एक कार्यक्रम के दौरान अपने युवावस्था के उस सपने का जिक्र सभी युवाओं से किया, जो वे बनना चाहते थे लेकिन नहीं बन पाए। इसके बावजूद कभी निराश नहीं हुए। रतन टाटा बताते हैं कि वर्ष 1959 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से डिग्री करने के बाद वे आर्किटेक्चर बनाना चाहते थे। उनका कहना था कि मैं हमेशा आर्किटेक्चर बनना चाहता था क्योंकि यह मानवता को समझने की गहरी भावना पैदा करता है। वास्तुकला ने मुझे प्रेरित किया क्योंकि मुझमें इसमें गहरी रुचि थी। लेकिन मेरे पिता चाहते थे कि मैं एक इंजीनियर बनूं। इसलिए मैंने अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए इंजीनियरिंग का कोर्स किया और इंटर्नशिप के लिए टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट आ गया। लेकिन मुझे पछतावा नहीं है कि मैं आर्किटेक्ट नहीं बन पाया। अफसोस बस इस बात का है कि डिग्री करने के बाद भी मैं अपने काम के साथ-साथ अपने ड्रीम जॉब के लिए अभ्यास करता रहूं, जो मैं नहीं कर पाया। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि जीवन में कई ऐसे मोड आएंगे जो आपके इच्छानुसार न हो लेकिन इससे परेशान होने के बजाए परिस्थितियों का सामना करें। जब समय अनुकूल हो तब वह जरूर करें जो आपको अच्छा लगता है। आज मुझे लगता है कि मेरे पिता ने मेरे लिए जो निर्णय लिया, वह सहीं था। अभी टाटा समूह के हैं अंतरिम चेयरमैन

रतन टाटा ने पिछले दिनों फ्यूचर ऑफ डिजाइन एंड कंस्ट्रक्शन पर आयोजित एक ऑनलाइन संगोष्ठी में ये बातें कहीं। आपको बता दें कि रतन टाटा वर्ष 1962 में टाटा समूह में शामिल हुए और 1991 में समूह के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने दिसंबर 2012 तक समूह का नेतृत्व किया। वर्तमान में वे टाटा समूह के अंतरिम चेयरमैन के पद पर हैं।

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