आप भी जान लीजिए, यहां बेकार चायपत्ती से बनाया जा रहा जैविक खाद

अगर आप उपयोग में लाई गई चायपत्ती से जैविक खाद बनाना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए जरूरी है। जुगसलाई नगर परिषद की ओर से यह पहल की गई है। परिषद महिला समिति से सहयोग भी ले रही है।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Fri, 11 Dec 2020 11:27 AM (IST) Updated:Fri, 11 Dec 2020 11:27 AM (IST)
आप भी जान लीजिए, यहां बेकार चायपत्ती से बनाया जा रहा जैविक खाद
जुगसलाई में चायपत्ती से बनी जैविक खाद के साथ महिलाएं

जमशेदपुर : अगर आप उपयोग में लाई गई चायपत्ती से जैविक खाद बनाना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए जरूरी है। जुगसलाई नगर परिषद की ओर से यह पहल की गई है। परिषद महिला समिति से सहयोग भी ले रही है। यह महिला समूह जुगसलाई व टाटानगर स्टेशन के आसपास के दुकानों से उपयोग में लाई गई चायपत्ती को इकट्ठा करती है और उससे जैविक खाद बनाती है।

शुक्रवार को जुगसलाई नगर परिषद की ओर से क्षेत्र के सभी चाय दुकानदारों व होटल संचालकों को उपयोग में आने के बाद बेकार चाय को जमा करने के लिए डस्टबीन का वितरण किया। इस तरह जुगसलाई की महिला समिति आठ माह बाद  एक बार फिर बेकार चायपत्ती से जैविक खाद बनाने का काम शुरू कर दी हैं। जुगसलाई नगर परिषद की स्वच्छता विशेषज्ञ सोनी कुमारी ने बताया कि जैविक खाद का निर्माण इस क्षेत्र की महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। नगर परिषद की सफाईकर्मी होटलों, चाय दुकानों से चायपत्ती का अपशिष्ट जमा कर उसे एक अलग कंटेनर में जमा कर देते हैं। उसके बाद स्थानीय महिला समिति उस चायपत्ति में कुछ पेड़ की पत्तियों व सब्जी के छिलके मिलाकर कड़े धूप में सुखा देती हैं। इस तरह एक निश्चित अवधि में जैविक खाद बनकर तैयार हो जाती है। जैविक खाद बनाने वाली महिलाओं नजमा, शशि व सुषमा ने बताया कि चायपत्ती से खाद बनाना सीख गए। इसका बाजार में बिक्री करना शुरू भी कर दिए थे। इसी बीच कोरोना के कारण लगाए लॉकडाउन के कारण काम को बंद कर दिया गया था। एक बार दुबारा काम चालू होने से महिलाओं में खुशी है। 

महिलाओं को घर बैठे मिल सकेगा रोजगार 

जुगसलाई नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी जगदीश प्रसाद यादव कहते हैं कि टोवैसो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रतिनिधियों ने घर में बैठी 100 से अधिक महिलाओं को जैविक खाद बनाने का प्रशिक्षण स्वच्छता विशेषज्ञ सोनी कुमारी व अन्य ने दिया। उनका कहना है कि दुकानदार पहले सड़क किनारे नाली में या इधर-उधर चायपत्ती फेंक देते थे। जिससे धीरे-धीरे नालियां जाम हो जाती थी, अब जाम भी नहीं होगी बल्कि कचरा से रोजगार का साधन मिल गया। 

फूलों के लिए वरदान है जैविक खाद 

चायपत्ती से जैविक खाद बनाने का प्रशिक्षण देने वाली स्वच्छता विशेषज्ञ सोनी कुमारी कहती हैं कि फूलों के लिए तो वरदान है यह जैविक खाद। उन्होंने बताया कि इसका प्रयोग से गुलाब, लाल जवा फूल, चमेली, गेंदा आदि फूल बड़े आकार में सुुंदर व काफी दिनों तक सुरक्षित रहते हैं। उन्होंने बताया कि चायपत्ती में बहुत सारे तत्व पाए जाते हैं जो पौधों के लिए काफी लाभदायक होते हैं। बाजार में 100 प्रतिशत नेचुरल टी कंपोस्ट नाम से पैकेट में खाद बिक्री करना शुरू कर दिया गया था। 

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20 दिन में तैयार हो जाता है जैविक खाद 

स्वच्छता विशेषज्ञ सोनी कुमारी ने बताया कि उपयोग में आए चायपत्ती को अलग कंटेनर में जमा किया जाता है। इसमें सब्जी के छिलके और पेड़ की पत्तियां डालकर मिला दिया जाता है। अच्छे से मिलाकर उसे 20 दिन तक सुखा देंगे। सुखाने के बाद दुबारा उसे अच्छी तरह मिलाएंगे। यदि जरुरत हो तो उसमें थोड़ा खुशबू मिला सकते हैं, इसके बाद उसे पैकेट में डाल कर पैक कर दें। खाद बनकर तैयार।

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