World Enviornment Day 2021: जमशेदपुर के गोलुमरी के अशोक को पौधे लगाने का जुनून, आप भी जानिए
World Enviornment Day 2021 गोलमुरी निवासी अधिवक्ता अशोक लकड़ा को पौधे लगाने का ऐसा जुनून है कि वह देश भर से दुर्लभ पौधे मंगाकर अपनी जमीन पर लगाते हैं। अब तक वे अपनी चार बीघा जमीन पर 300 से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं।
वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर। गोलमुरी निवासी अधिवक्ता अशोक लकड़ा को पौधे लगाने का ऐसा जुनून है कि वह देश भर से दुर्लभ पौधे मंगाकर अपनी जमीन पर लगाते हैं। अब तक वे अपनी चार बीघा जमीन पर 300 से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं, जिसमें शीशम, साल, सागवान से लेकर बांस तक शामिल है।
बांस का पौधा उन्होंने असम और तमिलनाडु से मंगाया था। जब भी उन्हें किसी नए पौधे के बारे में पता चलता है, तो जब तक वे उसे मंगाकर लगा नहीं लेते, चैन नहीं आता है। उन्होंने कई लोगों को खाली जमीन पर पौधा लगाने के लिए प्रेरित भी किया है। अशोक बताते हैं कि टिनप्लेट स्थित काली मंदिर के पास उनकी पुश्तैनी जमीन है। यहां पहले धान की खेती होती थी। हालांकि उस समय भी दादाजी ने नीम, आम, अमरुद आदि कुछ पौधे लगाए थे, लेकिन ज्यादातर जमीन पर धान व सब्जी की खेती ही करते थे। पिता स्व. बिरसा लकड़ा सीआइएसएफ में नौकरी करते थे, लिहाजा उन्हें भी बागवानी का अवसर नहीं मिला। जब मैं बड़ा हुआ तो धान की खेती बंद हो गई, क्योंकि खेती करने वाला कोई नहीं था। मैंने खाली जमीन पर पौधे लगाना शुरू किया। जब पौधे बड़े होते थे और उसमें फूल और फल लगते थे, तो बड़ी खुशी मिलती थी। फिर क्या था मैं खोज-खोजकर पौधे लगाने लगा।
कई औषधीय पौधे भी लगाए
मैंने कई औषधीय पौधे भी लगाए हैं, जिसमें एक भेलुुआ नामक फल होता है। यह फल नवजात शिशु के सांस संबंधी तकलीफ में काफी काम आता है। बच्चों को ताकत भी मिलती है, तो रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है। इसे मैंने घाटशिला की नर्सरी से लाया था। इस तरह के अन्य पौधे हैं, जो अलग-अलग बीमारी में काम आते हैं। वह बताते हैं कि वैसे भी आदिवासी हैं, जो जन्मजात प्रकृति पूजक होते हैं। हमारे लिए पेड़-पौधे ही भगवान हैं। सरना धर्म में पेड़ पर ही आधारित पर्व-त्योहार होते हैं। मुझे इस बात से संतोष होता है कि मैं अपने पूर्वजों के बताए रास्ते पर चल रहा हूं।
जंगल में उगने वाले पौधे भी लगाए
पेशे से अधिवक्ता अशोक लकड़ा ने अपने यहां ऐसे पौधे भी लगाए हैं, जो जंगल में ही पाए जाते हैं। इसमें साल, शीशम, सागवान आदि हैं, तो फलदार पौधों में आम, अमरुद, जामुन, कटहल, कदंब, नारियल, सुपारी आदि के कई पेड़ हैं। इनके बागीचे में बांस के तीन गुच्छे लगे हैं। बागवानी के लिए ही इन्होंने बड़ा सा तालाब बनाया है, जिससे इन पेड़-पौधों की सिंचाई करते हैं। तालाब में करीब आधा दर्जन किस्म की मछली पालते हैं, तो बत्तख भी पाल रखा है।