विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस : अपने बेटों के आगे हाथ फैला रहे बुजुर्ग

World Elder Abuse Awareness Day 2021 झारखंड में सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत माता-पिता को अपने बच्चों से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है। इसके तहत बेटों की आमदनी के मुताबिक अधिकतम 10000 रुपये तक गुजारा भत्ता देने का प्रावधान है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 04:34 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 09:37 AM (IST)
विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस : अपने बेटों के आगे हाथ फैला रहे बुजुर्ग
बुजुर्ग गुजारा करने के लिए अपने बेटों के आगे हाथ फैलाने को मजबूर हैं।

वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर।  हर कोई अपने बच्चों को बड़े लाड़-प्यार से उसकी परवरिश करता है। यथासंभव उसे अच्छी शिक्षा दिलाता है, ताकि बड़ा होकर वह अपने पैरों पर खड़ा हो सके और बुढ़ापे का सहारा बन सके। अधिकतर बच्चे ऐसा करते भी हैं, जबकि कुछ इतने नालायक होते हैं कि अपने ही मां-बाप को तिरस्कृत कर देते हैं। जमशेदपुर में भी कुछ ऐसे बुजुर्ग हैं, जो एक अदद छत और अपना गुजारा करने के लिए अपने बेटों के आगे हाथ फैलाने को मजबूर हैं।

इनमें से कई बुजुर्ग भरण-पोषण भत्ता के लिए जिला प्रशासन के यहां अर्जी तक दे चुके हैं, लेकिन वहां से भी कोई राहत नहीं मिल रही है। ऐसे बुजुर्गों के लिए संघर्ष कर रहे सिंहभूम केंद्रीय वरिष्ठ नागरिक समिति के अध्यक्ष शिवपूजन सिंह बताते हैं कि झारखंड में सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत माता-पिता को अपने बच्चों से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है। इसके तहत बेटों की आमदनी के मुताबिक अधिकतम 10,000 रुपये तक गुजारा भत्ता देने का प्रावधान है। इसके लिए जो ट्रिब्यूनल बनी है, उसके चेयरमैन अनुमंडल अधिकारी होते हैं।

किसी तरह मांग कर कर रहे गुजारा

जमशेदपुर में अनुमंडल अधिकारी, धालभूम के कार्यालय में 2016 से ही 75 आवेदन लंबित हैं। यहां से 2020 में रामजनमनगर, कदमा निवासी रामराज राम और परसुडीह के शंभूनाथ घासी के पक्ष में फैसला हुआ था। इसमें रामराज राम के एक बेटे को 10 हजार रुपये और घासी के दो बेटों को पांच-पांच हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी हुआ। लेकिन इनमें से किसी को उनके बेटे गुजारा भत्ता नहीं दे रहे हैं। उन्हें जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने एसडीओ आफिस से इन नालायक बेटों के नाम से वारंट भी जारी किया, लेकिन इससे भी उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। बेचारे बुजुर्ग किसी-किसी से मांगकर गुजारा कर रहे हैं। गनीमत है कि ये बुजुर्ग अपने घर में रहे हैं, कुछ तो ऐसे हैं जिनके बेटों ने अपने मां-बाप को उनके ही बनाए घर से बेदखल कर दिया है।

कोरोना की वजह से बाधित हो रहा मामला

शिवपूजन सिंह बताते हैं कि कोरोना की वजह से एसडीओ कोर्ट में शारीरिक रूप से सुनवाई नहीं हो रही है। इसकी वजह से इन मामलों में आगे की कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इस एक्ट में माता-पिता व उनके बेटों को एक साथ बुलाकर फैसला सुनाने का प्रावधान है। इस एक्ट में गुजारा भत्ता कम करने के लिए किसी कोर्ट में भी नहीं जा सकते हैं, सिर्फ उपायुक्त से अपील कर सकते हैं।

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