Success Story : माइनिंग सेक्टर में पुरुषों के वर्चस्व को चुनौती दे रही महिलाएं
कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं जहां महिलाएं काम नहीं कर सकती। ट्रेनिंग में शामिल होकर हम अपने गांव व समाज की युवतियों को यही संदेश देना चाहते हैं। प्रीति मिश्रा कहती हैं माता-पिता का सहयोग के बिना यहां तक पहुंचना संभव नहीं है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सुदूर ग्रामीण इलाके की रहने वाली रेवती पूरती की आंखों में अलग चमक है। दो बच्चों की मां रेवती अपने गांव की मुखिया है। इसके बावजूद वह नोवामुंडी माइंस में डंपर ड्राइवर की ट्रेनिंग ले रही है। रेवती कहती है-कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं, जहां महिलाएं काम नहीं कर सकती। ट्रेनिंग में शामिल होकर हम अपने गांव व समाज की युवतियों को यही संदेश देना चाहते हैं। प्रीति मिश्रा कहती हैं, माता-पिता का सहयोग के बिना यहां तक पहुंचना संभव नहीं है।
23 युवतियां ले रही हैं प्रशिक्षण
माइनिंग सेक्टर में एक्सक्वेटर, डंपर, ड्रिल और डोजर ऑपरेटिंग ऐसा क्षेत्र हैं, जहां आज भी पुरुषों का वर्चस्व है। और इसी वर्चस्व को तोड़ने की कोशिश कर रही है टाटा स्टील का नोवामुंडी माइंस में प्रशिक्षणरत ये 23 युवतियां। जी हां, आदिवासी इलाकों से आने वाली यह युवतियां इतिहास रचने जा रही है। वह पहली बैच होगी, जो देश के किसी माइंस में इस तरह की काम करेंगी। एक शिफ्ट में सिर्फ महिलाएं ही काम करेंगी। ओर, माइंस व क्वेरीज (ओएमक्यू) डिवीजन ने एक सितंबर 2019 को यह अनोखी पहल की थी। यह भारत का पहला माइनिंग डिवीजन बन गया, जहां तीनों शिफ्टों में महिला कर्मचारियों को तैनात किया गया था। इस पहल में हर वर्ग की महिला कर्मचारी जैसे अधिकारी, कर्मचारी और ठेका कर्मचारी शामिल थे। फरवरी 2021 में शुरू हुई थी ट्रेनिंग
महिला कर्मचारियों को सशक्त बनाने की इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए ओएमक्यू डिवीजन द्वारा एक और बड़ा कदम उठाया गया है। ओएमक्यू मंडल में, भारी अर्थ मूविंग मशीन जैसे खुदाई, फावड़ा, डम्पर आदि अब महिला कर्मचारियों द्वारा संचालित की जा रही हैं। 1 फरवरी 2021 से, 23 महिलाओं के पहले बैच को "तेजस्विनी 2.0" पहल के तहत नोवामुंडी में शामिल किया गया था। यह पहल बाद में वेस्ट बोकारो में भी शुरू की गई थी। टाटा स्टील ने 2025 तक कुल कार्यबल में 20% महिला कर्मचारियों का लक्ष्य रखा है। खनन जैसे कठिन कार्यस्थल पर महिलाओं का होना यह बतलाता है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में योगदान देने में पूरी तरह सक्षम हैं।
टाटा स्टील में बी शिफ्ट में काम करती हैं महिलाएं
टाटा स्टील हमेशा महिलाओं को अधिक अवसर प्रदान करने का प्रयास करता है। इसी क्रम में झारखंड सरकार से रात 10 बजे तक ''''बी'''' शिफ्ट में महिलाओं को तैनात करने के आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इस आदेश का पालन करते हुए टाटा स्टील जमशेदपुर में कोक प्लांट विभाग और इलेक्ट्रिकल रिपेयर शॉप में फरवरी 2019 से "ए" और "बी" शिफ्ट में महिला कर्मचारियों को तैनात किया गया था। टाटा स्टील में लगभग 90 महिला कर्मचारी वर्तमान में "बी" शिफ्ट में काम कर रही हैं।