ASIA Election : अप्रैल में होगा आदित्यपुर स्मॉल इंडस्ट्रीज एसाेसिएशन का चुनाव, सरगरमी शुरू
ASIA Election. वैसे तो हर बार एसिया का चुनाव सुर्खियों में रहता है लेकिन इस बार का चुनाव कुछ ज्यादा ही दिलचस्प होगा। इसकी वजह है कि तीन बार से लगातार अध्यक्ष चुने जा रहे इंदर अग्रवाल इस बार अध्यक्ष नहीं बनेंगे। इंदर चौथी बार अध्यक्ष नहीं बन सकते हैं।
आदित्यपुर, जासं । आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों के सबसे बड़े संगठन एसिया (आदित्यपुर स्मॉल इंडस्ट्रीज एसाेसिएशन) का कार्यकाल मार्च के अंतिम सप्ताह में समाप्त होने जा रहा है। इसके बाद अप्रैल के प्रथम सप्ताह में नई कमेटी के लिए चुनाव होना तय हुआ है।
वैसे तो हर बार एसिया का चुनाव सुर्खियों में रहता है, लेकिन इस बार का चुनाव कुछ ज्यादा ही दिलचस्प होगा। इसकी वजह है कि तीन बार से लगातार अध्यक्ष चुने जा रहे इंदर अग्रवाल इस बार अध्यक्ष नहीं बनेंगे। संवैधानिक वजह से इंदर चौथी बार अध्यक्ष नहीं बन सकते हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अब संगठन की कमान कौन संभालेगा। संवैधानिक बाध्यता के कारण इस बार इंदर अग्रवाल चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। सुगबुगाहट इस बात काे लेकर है कि इंदर अग्रवाल किसी को नामित करेंगे या मैदान खुला छोड़ देंगे। आगामी दो वर्ष के लिए संगठन की कमान किसके हाथ होगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
संविधान में किया गया था संशोधन
बताया यह भी जा रहा है कि पिछली बार भी इंदर अग्रवाल अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने को इच्छुक नहीं थे, लेकिन कमेटी में उन्हें अध्यक्ष बनाने के लिए संविधान में संशोधन किया। तब जाकर इंदर तीसरी बार सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुने गए थे। उस समय भी अध्यक्ष पद के दावेदारों में राजीव रंजन, संजय सिंह और प्रवीण गुटगुटिया का नाम काफी आगे चल रहा था। लेकिन जैसे ही संविधान में संशोधन की बात सामने आई, तीनों दावेदार बैकफुट पर चले गए। इस बार इंदर किंगमेकर की भूमिका में रह सकते हैं, जबकि इससे पहले भी इंदर किंगमेकर रह चुके हैं। देखने वाली बात होगी कि इंदर की जगह ऐसा कौन शख्स होगा, जो उद्यमियों के इतने बड़े संगठन का अध्यक्ष बन सके। उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती संगठन को एकजुट रखने और सर्वसम्मति बनाने की होगी।
एसिया में 1200 सदस्य
एसिया की वर्तमान कमेटी में 1200 सदस्य हैं, जिसमें 700 के करीब मतदाता हैं। आदित्यपुर में उद्यमियों की स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन व लघु उद्योग भारती जैसी संस्था भी है, लेकिन इतने सदस्य किसी के पास नहीं हैं। एसिया में गुप्त मतदान से चुनाव कराने की परंपरा रही है।