आरके-तोते को किसने दिया ग्रेड वार्ता करने का अधिकार

टाटा मोटर्स प्रबंधन और टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के बीच ग्रेड

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Apr 2019 07:01 PM (IST) Updated:Sat, 27 Apr 2019 06:50 AM (IST)
आरके-तोते को किसने दिया ग्रेड वार्ता करने का अधिकार
आरके-तोते को किसने दिया ग्रेड वार्ता करने का अधिकार

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : टाटा मोटर्स प्रबंधन और टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के बीच ग्रेड रिवीजन पर लगातार वार्ता का दौर जारी है। वहीं विपक्ष के नेता अभय सिंह ने सवाल उठाया है कि आखिर गुरमीत व आरके सिंह किस हैसियत से प्रबंधन के साथ वार्ता कर रहे हैं? उन्हें वार्ता का अधिकार किसने दिया जबकि इनकी यूनियन न ही श्रम विभाग द्वारा रजिस्टर बी में दर्ज है और न ही इन्होंने आमसभा कराकर सदस्यों से कोई मंजूरी ली है। फिर इन्हें प्रबंधन के साथ वार्ता करने और मजदूर के भविष्य का निर्णय लेने का अधिकार किसने दिया?

विपक्ष के नेता अभय सिंह ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में ये बातें कहीं। आरोप लगाया है कि गुरमीत सिंह व आरके सिंह को सिर्फ सत्ता चाहिए। इसके लिए इन्होंने केवल अपने स्वार्थ के लिए मजदूर भाइयों को गुमराह कर संविधान में संशोधन करा लिया। संशोधन भी एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार। अभय सिंह ने इन दोनो यूनियन नेताओं से अपील की है कि वे मजदूर भाइयों को बताएं, सार्वजनिक मंच से जानकारी दें कि वर्तमान में टाटा मोटर्स में न तो कोई इंडस्ट्रियल डिसपुट है और न ही कंपनी में ग्रेड रिवीजन 16 माह से लंबित है। ऐसे में इन्होंने क्यों नहीं पहले संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर ग्रेड रिवीजन पर वार्ता शुरू की। समय पर ग्रेड हो यह कर्मचारी चाहता है, लेकिन संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त द्वारा हो ताकि भविष्य में मजदूरों के समक्ष कोई नई समस्या न खड़ी हो।

प्रतिनियुक्ति की मियाद कब होगी पूरी : अभय सिंह ने सवाल उठाया कि टीएमएल एंड ड्राइवलाइंस यूनियन ने पिछली बार आमसभा कर यूनियन के नाम में संशोधन की जानकारी आम सदस्यों को दी। साथ ही कंपनी में लंबित ग्रेड रिवीजन व टेल्को वर्कर्स यूनियन के कारण उत्पन्न इंडस्ट्रियल डिसपुट का हवाला देते हुए गुरमीत सिंह व आरके सिंह ने खुद को कर्मचारी प्रतिनिधि के रूप में प्रतिनियुक्त कराया। इसके बाद इन्होंने कंपनी में 31 जुलाई 2017 में बतौर वर्कमैन ग्रेड रिवीजन और फिर बोनस समझौता भी कराया। लेकिन ग्रेड रिवीजन के बाद ही आमसभा से मिली प्रतिनियुक्ति का अधिकार स्वत: समाप्त हो गया, लेकिन दोनो यूनियन नेता लगातार संविधान, श्रम विभाग और मजदूर प्रतिनिधियों की आंखों में धूल झोक रहे हैं। ऐसे में इनकी सारी प्रक्रिया असंवैधानिक तरीके से हो रहा है।

अभय सिंह की ये हैं आपत्तियां

-कंपनी में जब 31 जुलाई 2017 में ग्रेड रिवीजन समझौता हुआ। वे भले ही आमसभा के माध्यम से टीएमएल एंड ड्राइवलाइंस से जुड़े, लेकिन तब भी इनका चंदा टेल्को वर्कर्स यूनियन के नाम से कट रहा था। उस समय टेल्को यूनियन के अध्यक्ष के रूप में अजय भगत और महामंत्री के रूप में गुरमीत सिंह का नाम था। इसके बावजूद इन्होंने ग्रेड रिवीजन पर बतौर वर्कमैन हस्ताक्षर किया।

-अक्टूबर 2016 में टीएमएल ड्राइवलाइंस यूनियन ने आम सभा कर यूनियन के नाम में संशोधन कर टीएमएल एंड ड्राइवलाइंस यूनियन बनाई। जबकि यूनियन की रजिस्ट्रेशन संख्या वहीं, 211 ही रहा और वर्तमान में टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन का भी यहीं रजिस्ट्रेशन संख्या है।

-यूनियन ने असंवैधानिक तरीके से संविधान में संशोधन किया। इस पर मामला झारखंड हाईकोर्ट में लंबित था। इसके बावजूद जब हाईकोर्ट में अवकाश के समय इन्होंने टीएमएल ड्राइवलाइंस यूनियन में 21 से 28 दिसंबर 2016 में चुनाव करा लिया। इसमें एमएन राव अध्यक्ष और आरके सिंह महामंत्री बने। यहीं यूनियन ही अब भी श्रम विभाग के रजिस्टर बी में दर्ज है।

-जुलाई 2017 में टीएमएल एंड ड्राइवलाइंस यूनियन नेतृत्व ने आमसभा कराया और आम सदस्यों ने गुरमीत सिंह व आरके सिंह को कंपनी के साथ वार्ता व समझौता करने के लिए प्रतिनियुक्त किया।

-31 जुलाई 2017 में टाटा मोटर्स में ग्रेड रिवीजन समझौता हुआ, लेकिन समझौते में टीएमएल ड्राइवलाइंस की ओर से वर्कमैन के रूप में गुरमीत सिंह तोते और आरके सिंह ने हस्ताक्षर किया। जबकि उस समय भी गुरमीत सिंह टेल्को वर्कर्स यूनियन जबकि आरके सिंह टीएमएल ड्राइवलाइंस यूनियन के प्रतिनिधि थे।

-अक्टूबर 2018 में कंपनी में बोनस समझौता हुआ। उसमें भी दोनो यूनियन नेताओं ने वर्कमैन के रूप में ही हस्ताक्षर किया।

- 24 से 31 दिसंबर 2018 में फिर चुनाव हुआ। जबकि यूनियन का कार्यकाल तीन वर्षो का होता है। नाम बदलकर चुनाव कराया। इसमें 85 में से 43 कमेटी मेंबर निर्विरोध निर्वाचित हो गए थे, लेकिन अप्रैल माह बीतने को आया, अब तक यूनियन रजिस्टर बी में दर्ज नहीं हुआ।

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