Weekly News Roundup Jamshedpur : पीपीई नहीं पहनने पर होगा निलंबन, पढ़िए कॉरपोरेट जगत की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur.कोविड -19 के कारण टाटा स्टील ने अपने सभी कर्मचारियों के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) पहनना अनिवार्य कर दिया है।
जमशेदपुर, निर्मल प्रसाद। Weekly News Roundup Jamshedpur कोविड -19 के कारण टाटा स्टील ने अपने सभी कर्मचारियों के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) पहनना अनिवार्य कर दिया है। नहीं पहनने पर कर्मचारियों पर निलंबन तक की कार्रवाई झेलनी होगी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आठ घंटे उच्च तापमान के सामने कर्मचारी मास्क और फेस शील्ड पहनकर कैसे काम कर पाएंगे।
कर्मचारियों की नाराजगी इस बात को लेकर ज्यादा है कि टाटा वर्कर्स यूनियन के शीर्षस्थ पदाधिकारी एसी के ठंडे कमरे में बैठकर निर्णय लेते हैं वे लिक्विड स्टील के सामने काम करने वालों की तकलीफ कैसे समझ पाएंगे। अब सवाल उठता है कि कर्मचारियों को मास्क और पीपीई कौन उपलब्ध कराएगा? एक कर्मचारियों को कितने दिनों पर यह सुविधा मिलेगी? पसीने से भीगने पर दोबारा इस मास्क का इस्तेमाल कैसे होगा? हालांकि पढ़े-लिखे कर्मचारी खुद जागरूक हैं ऐसे में भय का वातावरण फैलाने के बजाए इन्हें जागरूक और प्रोत्साहित किया जाता तो ज्यादा बेहतर होता।
श्रमायुक्त का डर आया काम
सीएसआर के तहत टाटा स्टील फाउंडेशन को फंड देने की टाटा वर्कर्स यूनियन (टीडब्ल्यूयू) की हसरत को श्रमायुक्त के डर ने ठंडा कर दिया। टाटा स्टील के साढ़े 13 हजार सदस्यों के अपने बेसिक-डीए के आधार पर यूनियन को निर्धारित चंदा दिए जाने के कारण ही टीडब्ल्यूयू के पास 36 करोड़ की जमा पूंजी है। कोविड-19 की आड़ में कार्यकाल के अंतिम वर्ष में कुछ पदाधिकारियों ने इस अवसर को भुनाने की सोची ताकि टाटा स्टील फाउंडेशन को एक बड़ी राशि देकर अपनी पीठ थपथपाई जा सके। तीन बैठकों के बाद बहुमत में फैसला भी हो गया, लेकिन जब कमेटी मेंबरों तक बात पहुंची तो यूनियन नेतृत्व की हसरतें जमींदोज होती नजर आई। उन्होंने संविधान का हवाला दिया कि यूनियन ऐसे फंड को सिर्फ अपने सदस्यों के कल्याण पर ही खर्च कर सकती है। जब श्रमायुक्त राजीव अरुण एक्का के पास शिकायत पहुंची तो उन्होंने भृकुटी तान चेतावनी दे डाली।
तीन को सिकनेस बेनीफिट का लाभ नहीं
टाटा वर्कर्स यूनियन अब भविष्य में अपने किसी भी सदस्य को सिकनेस बेनीफिट का लाभ नहीं देगी। जबकि यूनियन के कंडीशन ऑफ मेम्बरशिप में इसका उल्लेख है कि यदि कर्मचारी बीमार पड़े या उनकी छुट्टी खत्म हुई तो यूनियन उन्हें भरण-पोषण के रूप में सिकनेस बेनीफिट का लाभ देगी। जनवरी 2020 से यूनियन ने लीव बैंक बनाकर खूब अपनी पीठ थपथपाई। इसमें यूनियन के सभी सदस्यों के अलावे कंपनी के अधिकारियों ने भी अपना एक-एक दिन की सिक लीव दिया है। लेकिन अब किसे लीव बैंक का लाभ मिलेगा और किसे नहीं। इसका निर्णय यूनियन नेतृत्व के अलावे कंपनी के एचआर अधिकारी भी तय करेंगे। जबकि पूर्व में इस पर यूनियन का ही एकाधिकार था। ऐसे में बीते दिनों सीएस प्रसाद, मदन पांडेय सहित एक अन्य कर्मचारी सिकनेस बेनीफिट के लाभ से वंचित हो गए। जबकि यूनियन ने अपने संविधान में अब तक किसी तरह का कोई बदलाव नहीं हुआ है।
जहां प्रोडक्शन वहां भी आइबी बंद
टाटा स्टील के सभी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों को उत्पादन पर इंसेटिव बोनस (आइबी) मिलता है, लेकिन कोविड-19 के कारण कंपनी प्रबंधन ने उत्पादन घटाकर 50 फीसदी तक सीमित कर दिया है। ऐसे में कर्मचारियों के अप्रैल माह के आइबी को भी शून्य कर दिया गया है। इससे कर्मचारियों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ लेकिन टाटा वर्कर्स यूनियन के शीर्षस्थ अधिकारी ने अपनी मौन स्वीकृति दी। जबकि एलडी-1, एलटी-3, कोक प्लांट, एफ, जी, एच व आई ब्लास्ट फर्नेस में उत्पादन जारी है। ये विभाग अपने पुर्नरीक्षित मासिक एओपी के लक्ष्य को पूरा किया है। जबकि फील्ड मैकेनिकल मेंटिनेस, आरएमएम, जी ब्लास्ट फर्नेस, एलडी-1, हॉट स्ट्रीप मिल व सिंटर प्लांट का आइबी फ्रीज है। इन्हें तो संभव आइबी मिलना था। इन विभागों में से दो यूनियन पदाधिकारी भी आते हैं लेकिन इन्होंने भी चुप्पी साध ली। टीइएफ और एलयू मार्च माह के आधार पर निर्धारित होना था, वह भी नहीं हुआ।