बोरिंग ने चूस ली धरती की कोख, अब पानी को त्रहिमाम

जमशेदपुर के आसपास की बस्तियों की तकरीबन पांच लाख की आबादी पेयजल से महरूम है। यहां गर्मी में हर साल जबर्दस्त जल संकट होता है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Mon, 25 Mar 2019 01:18 PM (IST) Updated:Mon, 25 Mar 2019 01:18 PM (IST)
बोरिंग ने चूस ली धरती की कोख, अब पानी को त्रहिमाम
बोरिंग ने चूस ली धरती की कोख, अब पानी को त्रहिमाम

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। बागबेड़ा कॉलोनी रोड नंबर एक के रहने वाले संजय झा ने अपने मकान में तीन डीप बोरिंग कराई लेकिन, पानी नहीं निकला। पानी की तलाश में डीप बोर कराने के बाद मायूस रहने वाले संजय झा अकेले नहीं हैं। बागबेड़ा समेत जमशेदपुर के कई इलाकों में सैकड़ों लोगों ने डीप बोर कराया लेकिन, इनमें से पानी 30-40 लोगों के ही हाथ लगा। हालात ये हैं कि अगर डीप बोर कराने पर पानी निकल आए तो लोग खुद को खुशकिस्मत समझने लगे हैं। ऐसा इसलिए है कि शहर और उसके आसपास के इलाके में भूगर्भ जल स्तर 465 फीट यानि 141 मीटर से भी नीचे पहुंच गया है।

यही हाल मानगो का भी है। मानगो में 15 दिन पहले ओल्ड पुरुलिया रोड के आरिफ ने दो डीप बोर कराए लेकिन, पानी नहीं निकला। यही नहीं, मानगो के डिमना रोड स्थित रमेश कुमार के मकान का डीप बोर सूख गया है। घरौंदा अपार्टमेंट की डीप बोरिंग 15 दिन पहले जवाब दे चुकी थी। इसकी मरम्मत के बाद ये कुछ कुछ पानी उगल रही है।

छोटा गोविंदपुर में रांची रोड पर दो और तीन तल्ला चौक पर एक सरकारी बोरिंग सूख गई है। बागबेड़ा में टाटा स्टील ने भी दो जगह गांधी नगर में श्री कृष्ण पब्लिक स्कूल के पीछे और सोमाय झोपड़ी में जोगी मैदान में 450 फीट तक डीप बोरिंग कराई लेकिन पानी नहीं निकला। बागबेड़ा में कई मकानों की डीप बोरिंग सूखने लगी है। इसके साथ ही इस इलाके में जल संकट शुरू हो गया है। ऐसा इसलिए है कि डीप बोरिंग के जरिए अतिदोहन की वजह से धरती की कोख सूनी हो गई है।

शहर में 1960 के आसपास 10 मीटर पर पानी निकल आता था। लेकिन, जब से डीप बोरिंग होने लगी धरती का पानी नीचे सरकने लगा। मानगो का भी यही हाल है। मानगो वेलफेयर मिशन के डा. अफरोज शकील बताते हैं कि लोगों ने कंपटीशन में डीप बोर कराए। किसी ने 20 फीट का बोर कराया तो सामने वाले ने 40 बोर का कराया। डीप बोर की संख्या बढ़ती गई और जल दोहन की वजह से भूगर्भ का पानी नीचे सरकता चला गया। अब हालात ये है कि अगर गर्मी में मई के अंत तक बरसात नहीं हो तो डीप बोर फेल होने लगते हैं।

भूजल रिचार्ज के नहीं कराए गए इंतजाम : शहर में भूजल रिचार्ज के इंतजाम नहीं कराए जा रहे हैं। इस वजह से भूगर्भ जल साल दर साल नीचे सरक रहा है। जमशेदपुर में 70 फीसद, जुगसलाई में 85 फीसद और मानगो में 75 फीसद इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अब तक नहीं लगाया गया है। शहर में 2007 से अब तक 8300 इमारतें बनी हैं लेकिन, इनमें से कुछ में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग का इंतजाम है।

जमशेदपुर के आसपास पांच लाख की आबादी पेयजल से महरूम

जमशेदपुर के आसपास की बस्तियों की तकरीबन पांच लाख की आबादी पेयजल से महरूम है। यहां गर्मी में हर साल जबर्दस्त जल संकट होता है। इस साल भी जमशेदपुर की बस्तियों सिद्धो-कान्हो बस्ती, मानगो में गरीब नवाज कॉलोनी, समेत छोटा गोविंदपुर इलाके की 23 पंचायतों के 127 गांवों और बागबेड़ा इलाके की 21 पंचायतों के 113 गांवों में जल संकट शुरू हो चुका है। इन इलाकों में पानी के इंतजाम नहीं होने की वजह से लोग दूर-दराज से तलाश कर पानी घर ला रहे हैं। बागबेड़ा इलाके में गर्मी शुरू होते ही पानी के लिए हाहाकार मच गया है। हालात इतने बदतर हैं कि लोगों ने रेलवे स्टेशन और रेल कॉलोनी को आपूर्ति करने वाली रेलवे जलापूर्ति योजना की पाइपलाइन को कई जगह तोड़ दिया है और यहां पानी भरने वालों की दिन भर लाइन लगी रहती है।

रेलवे ने भी तीन जगह टैप लगा दिए हैं। इन टैप में बागबेड़ा के पोस्तो नगर, गांधी नगर, आनंद नगर, बजरंग टेकरी आदि इलाके के लोग पानी लेने के लिए आते हैं। हर साल लोग पानी से बदहाल रहते हैं लेकिन, कोई ध्यान नहीं दे रहा है। आनंद नगर के रामकुमार बताते हैं कि मई-जून में इस इलाके में भयावह जल संकट होता है। घर में खाना पकाने तक के लिए पानी के लाले पड़ जाते हैं। सुबोध झा के नेतृत्व वाली महानगर समिति ने संघर्ष कर यहां के लिए जलापूर्ति योजना के निर्माण की शुरुआत कराई।

2011 में हुआ था भयंकर जल संकट : शहर में 2011 में भयंकर जल संकट पैदा हुआ था। तब बागबेड़ा से लेकर मानगो तक हर तरफ पानी के लिए हाहाकार था। मानगो के लोग साकची व बिष्टुपुर से वाहनों के जरिए पानी लाते थे। खरकई और स्वर्णरेखा नदी का पानी सूख गया था। इस वजह से रेलवे जलापूर्ति योजना को भी पानी नहीं मिल पा रहा था। हालात कितने भयावह थे ये इससे समझा जा सकता है कि टाटा नगर रेलवे स्टेशन के लिए रेलवे अपने ट्रेन टैंकर के जरिए ओडिशा से पानी मंगा रहा था।

हर साल नीचे जा रहा भूगर्भ जल स्तर चिंता का विषय है। इसे रोकने के लिए बरसात का पानी भूगर्भ में रिचार्ज करने के इंतजाम करने होंगे।

सदानंद मंडल, अधीक्षण अभियंता पेयजल एवं स्वच्छता विभाग

कब कितना था भूजल स्तर

1960>>10 मीटर

1965 >>15 मीटर

1970 >>20 मीटर

1975>>25 मीटर

1980>>50 मीटर

1985>> 55 मीटर

1990>> 60 मीटर

1995>> 65 मीटर

2000>>80 मीटर

2005>>100 मीटर

2010>>110 मीटर

2015>> 120 मीटर

2016>> 132 मीटर

2017>>135 मीटर

2018>> 142 मीटर

2019>>145 मीटर

हवा उगल रहे शहर के हैंडपंप

भूगर्भ जल स्तर सरक जाने की वजह से शहर के हैंडपंप जवाब दे चुके हैं। जमशेदपुर में तकरीबन आठ हजार हैंडपंप लगे हैं। इनमें से 90 फीसद हैंडपंप खराब पड़े हैं। बागबेड़ा में 300 हैंडपंप खराब हैं। खासमहल में जमशेदपुर प्रखंड कार्यालय परिसर में लगा हैंडपंप कई दिनों से खराब है। जुगसलाई नगर पालिक, मानगो नगर निगम और जमशेदपुर अक्षेस में हर साल हैंडपंप की मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये हड़प लिए जाते हैं। लोगों ने भी हैंडपंपों से आस छोड़ दी है।

बागबेड़ा में भूगर्भ जल स्तर काफी नीचे चला गया है। यहां बोरिंग कराने पर जल्दी पानी नहीं मिलता। बड़ी दिक्कत है।

संजय झा, बागबेड़ा

जब तीन महिलाओं ने खोद डाला कुंआ

जासं, जमशेदपुर : जमशेदपुर से 45 किलोमीटर दूर पटमदा प्रखंड के जरकी गांव की तीन महिलाओं ने जल संकट से लड़ने की मिसाल कायम की है। गांव वाले चार किमी दूर जाकर नाले का पानी भरकर घर लाते थे। एक दिन घर में पानी नहीं था और बच्चे प्यास से बिलबिला रहे थे।

बागबेड़ा में कई साल से जल संकट है। इलाके के हैंडपंप खराब हैं। पानी की किल्लत दूर होने का नाम नहीं ले रही है।

पारस मिश्र, बागबेड़ा

20 साल पहले बागबेड़ा में पानी की कोई किल्लत नहीं थी। लेकिन, जल स्रोत की तरफ ध्यान नहीं दिया गया। डीप बोरिंग कर पानी का खूब दोहन हुआ। इस वजह से जल संकट शुरू हुआ।

पीएन पांडेय, बागबेड़ा

20 साल पहले बागबेड़ा में कई कुएं थे। 10-20 फीट पर पानी मिल जाता था। लेकिन, जब से डीप बोरिंग की शुरुआत हुई। लोगों ने आपसी प्रतियोगिता में डीप बोरिंग खोदनी शुरू की। किसी ने 100 फीट की बोरिंग कराई तो दूसरे ने 150 फीट की। इस वजह से भूगर्भ जल स्तर नीचे सरकता चला गया ।

सुबोध झा, अध्यक्ष बागबेड़ा महानगर समिति

सरकार ने बागबेड़ा जलापूर्ति योजना तो दे दी लेकिन, विभाग इसका निर्माण तेजी से नहीं करा पा रहा है। जलापूर्ति प्लांट का निर्माण तेजी से होना चाहिए।

धनंजय मिश्र, बागबेड़ा

टैंकर से जलापूर्ति के भरोसे इलाका

बागबेड़ा का पूरा इलाका अभी टैंकर से होने वाली जलापूर्ति के भरोसे है। अभी इस इलाके में तारापोर कंपनी अपने टैंकर के जरिए चार टिप पानी की आपूर्ति करती है। जबकि, जुस्को के टैंकर के जरिए दो टिप जलापूर्ति की जाती है। ये टैंकर मुहल्ला वार पानी बांटते हैं। जब ये ट्रैंकर इलाके में पहुंचते हैं तो काफी भीड़ लग जाती है।

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