ताकि बेहतर हो कलः जेल की चारदीवारी में बन रहे हुनरमंद

घाघीडीह सेंट्रल जेल में इसी साल अगस्त को कौशल विकास केंद्र की शुरुआत की गई है। मकसद है स्वरोजगार के लिए उन्हें प्रशिक्षित करना।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Tue, 25 Sep 2018 12:51 PM (IST) Updated:Wed, 26 Sep 2018 01:51 PM (IST)
ताकि बेहतर हो कलः जेल की चारदीवारी में बन रहे हुनरमंद
ताकि बेहतर हो कलः जेल की चारदीवारी में बन रहे हुनरमंद

जमशेदपुर (अन्वेष अम्बष्ठ)। पूर्वी सिंहभूम जिले का घाघीडीह सेंट्रल जेल प्रशासन इन दिनों कौशल विकास केंद्र के जरिये तमाम कैदियों के भविष्य को संवारने में जुटा है। इसमें कुछ कैदी भी प्रशिक्षक बनकर अहम किरदार निभा रहे हैं। घाघीडीह सेंट्रल जेल में इसी साल अगस्त को कौशल विकास केंद्र की शुरुआत की गई है। मकसद है स्वरोजगार के लिए उन्हें प्रशिक्षित करना ताकि जेल से बाहर जाने के बाद वे अपराध की दुनिया में न जाकर रोजी-रोटी की व्यवस्था कर सकें।

पसंद के अनुसार विषय चयन का मौका

यहां कैदियों को अपनी रुचि के अनुसार प्रिंटिंग, पेंटिंग, हस्तशिल्प, कंप्यूटर और चित्रकारी का चुनाव करने का मौका दिया गया। रोचक बात यह है कि साथी बंदियों को प्रशिक्षण देने के लिए भी कई कैदियों ने खुद ही हाथ बढ़ाया और वे शिद्दत से इस काम में भी जुटे हैं। जेल सुपरिंटेंडेंट सत्येंद्र चौधरी के अनुसार हत्या के आरोप में जेल में वर्ष की सजा काट चुके शादाब कैदियों को चित्रकारी सिखा रहा है। उसने अपनी लगन से जेल में ही चित्रकारी सीखी और अब साथियों को भी प्रशिक्षण दे रहा है। उसके इस शौक को पूरा करने में जेल प्रशासन ने भी मदद की।

न्यायाधीश हुए थे प्रभावित

बीते दिनों शादाब ने जेल में कौशल विकास केंद्र का उद्घाटन करने आए झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह की तस्वीर मिनटों में उतार दी थी। तस्वीर को उसने न्यायाधीश को सप्रेम भेंट किया। इसे देख न्यायाधीश काफी खुश हुए थे। शादाब सरायकेला-खरसावां जिले के कपाली ओपी क्षेत्र गौसनगर का रहने वाला है। हत्या के मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। जब वह जिले के साकची मंडल उपकारा में बंद था तो वह एक दूसरे बंदी को हमेशा चित्रकारी करते देखता था। यह देख उसकी भी इच्छा चित्रकारी कीे हुई। बंदी से उसने सादा कागज और पेंसिल मांगा, लेकिन बंदी ने उसे नहीं दिया था। तभी उसने ठान लिया था कि वह भी अच्छी चित्रकारी करेगा व अपने हुनर का परिचय वह दे रहा है।

शादाब को मान रहे प्रेरणास्रोत

उसके हुनर से जेल में बंद दूसरे कैदियों में भी उत्साह है। उनके अंदर भी ऐसा की कुछ बेहतर करने की इच्छा जागृत हुई है। वे शादाब को प्रेरणस्रोत मान रहे हैं। इसी तरह मजदूर नेता वीजी गोपाल हत्याकांड में सजायाफ्ता कुणाल जेना कैदियों को शिक्षित कर रहा है। साथ ही योगाभ्यास प्रतिदिन कराता है। कैदियों के बीच उसके नाम की चर्चा होती है। हत्या में वर्ष की वह सजा काट चुका है। वीजी गोपाल हत्याकांड में सीबीआइ कोर्ट ने दोषी पाते हुए 25 जून 2006 को कुणाल जेना, अमरेंद्र सिंह और ललितचंद्र विश्वास को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।  

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