रोआम के ग्रामीणों ने उद्यमियों को जमीन देने का किया विरोध

रोआम के ग्राम प्रधान मनोरंजन महतो समेत कई ग्राम वासियों ने जियाडा द्वारा उद्यमियों को उनकी जमीन दिए जाने का विरोध किया जा रहा है एवं अपनी जमीन के कागजात संग अंचल अधिकारी के समक्ष अपनी दावेदारी पेश किया गया। ग्राम वासियों का कहना है कि वर्ष 1972 में यह जमीन हिदुस्तान कॉपर लिमिटेड ने अधिग्रहण किया था मगर इसका कोई न तो उचित मुआवजा दिया गया और ना ही जमीन पर कोई कार्य किया गया..

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 07:30 AM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 07:30 AM (IST)
रोआम के ग्रामीणों ने उद्यमियों को जमीन देने का किया विरोध
रोआम के ग्रामीणों ने उद्यमियों को जमीन देने का किया विरोध

संसू, जादूगोड़ा : रोआम के ग्राम प्रधान मनोरंजन महतो समेत कई ग्राम वासियों ने जियाडा द्वारा उद्यमियों को उनकी जमीन दिए जाने का विरोध किया जा रहा है एवं अपनी जमीन के कागजात संग अंचल अधिकारी के समक्ष अपनी दावेदारी पेश किया गया। ग्राम वासियों का कहना है कि वर्ष 1972 में यह जमीन हिदुस्तान कॉपर लिमिटेड ने अधिग्रहण किया था मगर इसका कोई ना तो उचित मुआवजा दिया गया और ना ही जमीन पर कोई कार्य किया गया। जमीन हमारे दखल में रही। हम तब से लेकर आज तक इस जमीन पर खेती करते हैं। हमारे पास जमीन का खतियान भी है एवं हम जमीन का लगान भी देते है। ऐसे में एचसीएल ने वर्ष 2005 में यह जमीन राज्य सरकार को वापस कर दी थी एवं राज्य सरकार ने जियाडा के तहत उद्यमियों को दी जा रही है जो गलत है। इस बाबत उन्होंने अंचला अधिकारी को एक पत्र भी दिया है। महतो के अनुसार पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी भूमि का अधिग्रहण के लिए ग्राम सभा के निर्णय सबसे महत्वपूर्ण हैं। लेकिन कंपनी द्वारा जमीन को गलत ढंग से लेकर उसे सरकार को वापस करना एवं सरकार द्वारा पुन: जियाडा को देना गलत है तथा जियाडा द्वारा उधमियो को दिया जाना गलत है। जबकि हमारे साथ अनेक आदिवासी परिवार है। उनके जमीन का हस्तांतरण भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूवी की धारा 5 के उपधारा 2 (1) का स्पष्ट उल्लंघन है ।

तत्कालीन सरकार द्वारा गलत ढंग से हमारे भूमि का अधिग्रहण कर लिया और 2018-19 के बाद कुछ भुमि का लगान भी काटना बन्द कर दिया और ना तो ग्राम सभा से अनुमति सरकार ने प्राप्त किया और ना ही इसकी जानकारी प्रशासन द्वारा रैयत को दी गयी जिससे रैयत/ विस्थापित परिवार अपने जमीन से विधि के प्रतिकूल बेदखल हो जायेंगे। उनकी पुनर्वास भी नहीं हुई तथा हिदुस्तान कॉपर लिमिटेड द्वारा विस्थापितों को नौकरी भी नहीं दी गई।

chat bot
आपका साथी