जलमीनार से ग्रामीणों को नहीं मिल रहा एक बूंद पानी

इसे सरकारी राशि का दुरुपयोग कहें या फिर विभागीय पदाधिकारियों की उदासीनता। पेयजलापूर्ति के लिए 51 लाख 58 हजार 920 रुपये की लागत से निर्मित जलमीनार से चार वर्षों में लोगों को एक बूंद पानी नहीं मिला।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 09:00 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 09:00 AM (IST)
जलमीनार से ग्रामीणों को नहीं मिल रहा एक बूंद पानी
जलमीनार से ग्रामीणों को नहीं मिल रहा एक बूंद पानी

संवाद सहयोगी, घाटशिला : इसे सरकारी राशि का दुरुपयोग कहें या फिर विभागीय पदाधिकारियों की उदासीनता। पेयजलापूर्ति के लिए 51 लाख 58 हजार 920 रुपये की लागत से निर्मित जलमीनार से चार वर्षों में लोगों को एक बूंद पानी नहीं मिला। यह योजना किसी सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में नहीं, बल्कि घाटशिला प्रखंड कार्यालय से महज कुछ कदमों की दूरी पर है। विभागीय अधिकारियों के पास इस योजना की सुधि लेने तक की फुर्सत नहीं है। वर्तमान में जलमीनार झाड़ियों में घिर चुकी है। वर्ष 2016 में नीर निर्मल परियोजना (ग्रामीण जलापूर्ति एवं स्वच्छता परियोजना) के तहत पावड़ा ग्राम में जलापूर्ति के लिए जलमीनार का शिलान्यास किया गया था। वर्ष 2017 में योजना का काम पूरा हो गया। विभागीय फाइलों में योजना को पूरा दिखा दिया गया। जबकि धरातल पर लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। जलमीनार बनने के बाद भी जलापूर्ति शुरू नहीं हुई। योजना पूर्ण हुए चार वर्ष बीत गए, लेकिन अब तक इसे पंचायत को हैंडओवर नहीं किया गया। पाइपलाइन से 178 घरों में होनी थी जलापूर्ति : नीर निर्मल परियोजना के तहत पावड़ा में बनाए गए जलमीनार से 178 घरों में पाइपलाइन से जलापूर्ति का लाभ देना था। इससे 1115 लोगों को जलापूर्ति का लाभ मिलता। जलमीनार बनने के बाद पाइपलाइन का काम भी पूरा हो चुका है। परंतु अब तक जलापूर्ति शुरू नहीं हो सकी। जलमीनार बनने के बाद कुछ दिनों तक ट्रायल के तौर पर जलापूर्ति हुई। उसके बाद नियमित जलापूर्ति बंद है। जलमीनार में पानी भरने में लग रहा तीन दिन : पावड़ा पंचायत के मुखिया बैजू मुर्मू ने बताया कि जलमीनार से जलापूर्ति बंद है। जलमीनार बनने के बाद से ही ग्रामीणों को पानी नहीं मिल रहा है। जलमीनार में मोटर से पानी भरने में तीन दिन लगता है। जबकि नियमित पानी सप्लाई होने पर आधे घंटे में ही जलमीनार का पानी खत्म हो जाएगा। ऐसे में लोगों को नियमित रूप से जलापूर्ति कैसे की जाएगी। संवेदक को इस समस्या को दूर करने का निर्देश दिया गया था। विभागीय बैठक में कई बार इस मुद्दे को उठाया गया। पिर भी अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हुआ। इसलिए पंचायत के माध्यम से अब तक इस योजना का हैंडओवर नहीं लिया गया है। विभागीय पदाधिकारी इस समस्या के प्रति गंभीरता से ध्यान दें। लाखों रुपये की लागत से बनी जलमीनार शोभा की वस्तु बनी हुई है।

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