उपराष्ट्रपति ने मौद्रिता को दिया आशीर्वाद, जानिए कौन है यह असाधारण बच्ची Jamshedpur News
उपराष्ट्रपति ने मौद्रिता द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना कहते हुए कहा कि बेटा स्वच्छता को जन आंदोलन बनाना है। इसके लिए मौद्रिता को आशीर्वाद दिया।
जमशेदपुर,जासं। यह बच्ची दिखने में आम बच्चियों की तरह ही है, लेकिन इसकी सोच इसे और बच्चे-बच्चियों से अलग करती है। यही वजह है कि जब उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू झारखंड दौरे पर जमशेदपुर आए तो बच्ची से मिलने और उसे आशीर्वाद देने में तनिक देरी न की।
अपने गुल्लक के पैसे से शौचालय बना चुकी जमशेदपुर की मौद्रिता सोमवार को उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू से डायरेक्टर्स बंगलो में मिली। उनके साथ में झारखंड के राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू भी थी। उपराष्ट्रपति ने मौद्रिता द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना कहते हुए कहा कि बेटा स्वच्छता को जन आंदोलन बनाना है। इसके लिए मौद्रिता को आशीर्वाद दिया। मौद्रिता की पहल पर टेल्को स्थित गरुड़बासा के मानव विकास स्कूल में पूर्वी भारत का पहला पर्यावरण स्नेही (इको फ्रेंडली) शौचालय बना है। इस मौके पर मौंद्रिता के पिता अमिताभ चटर्जी भी उपस्थित थे। अमिताभ चटर्जी ने बताया कि मौद्रिता ने उपराष्ट्रपति से मिलने की इच्छा जाहिर की थी। इसे लेकर उनको पत्र लिखा गया था।
चुना गया था स्वच्छता चैंपियन, मिला था राज्यस्तरीय पुरस्कार
तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के हाथों सम्मान पाती मौद्रिता।
पिछले दिनों टेल्को की मौद्रिता चटर्जी को पूर्वी सिंहभूम जिले का स्वच्छता चैंपियन चुना गया था। राज्य स्तरीय स्वच्छता सम्मेलन में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मौद्रिता को सम्मानित भी किया था और सूबे के लोगों को इस छात्रा से सीख लेने की बात कही थी। मौद्रिता टेल्को के हिलटॉप स्कूल छात्रा है। मौद्रिता चटर्जी टेल्को के रिवर व्यू इंक्लेव में रहने वाले अमिताभ चटर्जी और स्वीटी चटर्जी की इकलौती बेटी है। अमिताभ चटर्जी आदित्यपुर स्थित मेडिट्रिना अस्पताल के निदेशक हैं। मोंद्रिता की मां स्वीटी चिन्मया भारती टेल्को स्कूल में अध्यापक हैं।
बचत करना मौद्रिता का शौक
बचत करना मौद्रिता का शौक था। वह अपने पिता से रुपये लेकर इसकी बचत करती थी। तब यह सोचा भी नहीं था कि एक दिन वह इन रुपये से समाज के लिए शौचालय बनाएगी। गुल्लक में रुपये एकत्र होते थे। कई गुल्लक भर गए थे लेकिन, अक्टूबर 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन का ऐलान किया तो उसने ठान लिया कि अपने बचत के रुपये से वह ऐसे स्कूलों में शौचालय बनवाएगी जहां छात्राओं के लिए शौचालय नहीं है। इसके बाद वह पिता से आए दिन रुपये लेने लगी। कभी पांच सौ तो कभी एक हजार रुपये। इस पर पिता ने एक दिन उसे डांटा कि तुम इतने पैसे का क्या करती हो।