World Organ Donation Day 2021: वीर कुंवर सिंह की परपौत्री टाटा में जगा रही अंगदान की अलख

भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के हीरो रहे वीर कुंवर सिंह की पड़पोती रेणु सिंह जमशेदपुर के माधवबाग कालोनी में रहती हैं। वह अपने देह को दान करने की घोषणा कर चुकी हैं। इससे पूर्व वे अपने पति विनोद सिंह के शव को एमजीएम कॉलेज को सौंप चुकी हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Fri, 13 Aug 2021 04:52 PM (IST) Updated:Fri, 13 Aug 2021 06:05 PM (IST)
World Organ Donation Day 2021: वीर कुंवर सिंह की परपौत्री टाटा में जगा रही अंगदान की अलख
एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक के साथ बैठक करती रेणु सिंह व अन्य।

अमित तिवारी, जमशेदपुर । भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के हीरो रहे वीर कुंवर सिंह की पड़पोती रेणु सिंह जमशेदपुर के पारडीह स्थित माधवबाग कालोनी में रहती है। वह अपने देह को दान करने की घोषणा कर चुकी हैं। इससे पूर्व वे अपने पति विनोद सिंह के शव को महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज को सौंप चुकी हैं। वर्ष 2016 में उनके पति की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। उस दौरान वह एयर फोर्स में तैनात थे। हालांकि, इसके छह माह पूर्व ही दोनों पति-पत्नी ने देहदान करने का संकल्प ले चुके थे।

इसी तरह, गोलमुरी निवासी किशोर कुमार मिश्रा भी देहदान कर चुके हैं। इसके लिए वह फॉर्म भी भरकर जमा कर चुके हैं। गुरुवार को ये लोग एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अरुण कुमार से मिले और इस मिशन को आगे बढ़ाने में सहयोग मांगा। अधीक्षक ने भी उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि इस नेक कार्य में मदद के साथ-साथ अंगदान को लेकर पहल भी करेंगे। चूंकि अंगदान को लेकर सरकार भी सक्रिय है ऐसे में एक बेहतर टीम हो तो परिणाम भी अच्छे निकलकर सामने आएगी। एमजीएम अस्पताल में जल्द ही आई बैंक शुरू होगी।

राज्य में एक भी अस्पताल एनटीओआरसी से रजिस्टर्ड नहीं

रेणु सिंह कहती हैं कि झारखंड में एक भी अस्पताल एनटीओआरसी (नन ट्रांसप्लांट ऑर्गेन रेट्राइबल सेंटर) से रजिस्टर्ड नहीं है, जहां लोग अंग दान कर सकें। ऐसी परिस्थिति में हमारे पास सिर्फ एक विकल्प है देहदान करने की, जो एमजीएम कॉलेज को दिया जाता है और उसके सहारे ही एमबीबीएस छात्रों की पढ़ाई पूरा होती है।

काश! हमारी अंग दान से बच पाती आठ लोगों की जान

रेणु सिंह अंगदान व देहदान को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाती है। वे कहती हैं कि अंगदान को लेकर लोगों में जागरूक काफी बढ़ी है। काश उनके शरीर का हर अंग दूसरों की जान बचाने में उपयोग हो सकें। ऐसी उनकी सपना है लेकिन इसके लिए सरकार को विशेष प्रयास करनी होगी। एक व्यक्ति अपना दिल, दो फेफड़े, दो किडनी, आंखें, पैंक्रियाज और आंत दान कर आठ लोगों की जान बचा सकता है। एमजीएम सहित टाटा मुख्य अस्पताल, टाटा मोटर्स, ब्रह्मानंद अस्पताल में अंगदान शुरू हो सकती है लेकिन इसके लिए इन्हें तैयार करना होगा और एनटीओआरसी से रजिस्टर्ड कराना होगा।

अंग खराब होने से हर साल पांच लाख लोगों की हो जाती मृत्यु

वैश्विक स्तर पर अंगदान में भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है। यहां प्रति दस लाख पर 0.15 लोग ही अंगदान करते हैं। जबकि अमेरिका में 27 और स्पेन में 36 लोग अंगदान करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, अंगदान की कमी के कारण भारत में प्रति वर्ष पांच लाख लोग मर जाते हैं। लीवर प्रत्यारोपण की जरूरत वाले मरीजों की संख्या प्रति वर्ष 85 हजार होती है लेकिन इसमें से तीन प्रतिशत से भी कम का ही प्रत्यारोपण हो पाता है। इसी तरह, प्रति वर्ष दो लाख किडनी प्रत्यारोपण के लिए पंजीकरण कराते हैं लेकिन इनमें से केवल आठ हजार का ही प्रत्यारोपण हो पाता है।

जमशेदपुर में अबतक 150 लोगों ने किया नेत्रदान

नेत्रदान के लिए काम करने वाली संस्था रोशनी के सदस्य ने बताया कि जमशेदपुर में वर्ष 1994 से नेत्रदान की शुरुआत हुई है। तब से लेकर अभी तक लगभग 150 लोगों ने नेत्रदान किया है। हालांकि, बीते चार साल से होम कलेक्शन की सुविधा बंद हो गई है, जिसे फिर से शुरू करने की जरूरत है। होम कलेक्शन में यह होता था कि अगर किसी व्यक्ति की मौत हो गई तो उसके घर से फोन आता था और हमारी टीम जाकर कॉर्निया ले लेती थी लेकिन अब हमारे पास डॉक्टर व टेक्नीशियन नहीं होने की वजह से यह बंद हो गई है। अब सिर्फ उन्हीं लोगों का कॉर्निया लिया जाता है जिनकी मौत अस्पताल में होती है।

यह है प्रक्रिया

65 वर्ष तक के व्यक्ति जिनका ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया हैं वे अंगदान कर सकते हैं। ऐसे व्यक्ति का 4 घंटे तक दिल एवं फेफड़े, 6 से 12 घंटे तक किडनी, 6 घंटे तक लिवर, 24 घंटे तक पैंक्रियाज एवं 5 साल तक टिश्यू को सुरक्षित रखा जा सकता है। प्राकृतिक मौत पर दिल के वाल्व, कॉर्निया, त्वचा एवं हड्डी जैसे ऊतकों का दान किया जा सकता है।

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