आज ही के दिन प्रारंभ हुआ था त्रेता युग, शंकराचार्य व भगवान परशुराम की जयंती भी आज, जानिए

Spiritual. वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 14 मई यानी शुक्रवार को है। शायद आपको पता नहीं हो कि आज ही के दिन त्रेता युग का प्रारंभ हुआ था। आज ही के दिन शंकराचार्य और भगवान परशुराम की जयंती भी है। ये रही पूरी जानकारी।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 12:03 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 12:03 PM (IST)
आज ही के दिन प्रारंभ हुआ था त्रेता युग, शंकराचार्य व भगवान परशुराम की जयंती भी आज, जानिए
आज ही के दिन त्रेता युग का प्रारंभ हुआ था।

जमशेदपुर, जासं। वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 14 मई यानी शुक्रवार को है। शायद आपको पता नहीं हो कि आज ही के दिन त्रेता युग का प्रारंभ हुआ था। आज ही के दिन शंकराचार्य और भगवान परशुराम की जयंती भी है।

भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मचंद्र पोद्दार बताते हैं कि विक्रम संवत के अनुसार वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन को हम अक्षय तृतीया के नाम से जानते हैं। इसे आखा तीज भी कहा जाता है। इस शुभ दिन में किया हुआ कार्य अत्यंत ही शुभ होता है। विवाह हेतु यह सबसे उत्तम मुहूर्त कहा जाता है।

गंगा स्नान का विशेष महत्व

पोद्दार बताते हैं कि आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मैंने गंगा जी पर एक लेख लिखा था, जिसे आज यहां प्रस्तुत कर रहा हूं। गंगा स्नान के महात्म्य में जो श्रेष्ठ तिथियां बताई गई हैं, उनमें से एक यह तिथि है। इसी तिथि से त्रेता युग प्रारंभ हुआ था । इस दिन गंगा के जल में स्नान करके श्राद्ध तथा दान आदि करने से पितरों को संतृप्त करने से मनुष्य पुनर्जन्म का भागी नहीं होता। आज भक्तजन चाह कर भी गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त नहीं कर सकते। गोमुख से निकलने वाली भागीरथी गंगा की संपूर्ण जल राशि को सरकार ने टिहरी बांध बनाकर अवरुद्ध कर दिया है। गंगा का एक बूंद भी भक्तजनों को नहीं मिल रहा है। इसके साथ ही कारखानों का प्रदूषित एवं विषैला अवशिष्ट द्रव्य तथा नगरों के सीवर गंगा एवं गंगा की सहायक नदियों में डाले जा रहे हैं। फलस्वरुप गंगा का जल प्रदूषित हो गया है।

गंगा के बिना हालात बिगड़ जाएंगे

शंकराचार्य।

पर्यावरण विशेषज्ञ एवं गंगा एक्शन प्लान के सूत्रधार प्रो. बीडी त्रिपाठी ने सरकार की अदूरदर्शिता को उजागर करते हुए कहा कि जिन लोगों ने कभी गंगा को देखा नहीं, ऐसे आश्रित जीवी सरकार की नजर में वैज्ञानिक हैं, विशेषज्ञ हैं। प्रख्यात भू-वैज्ञानिक प्रो. टी. शिवाजी राव के अनुसार टिहरी बांध सिर्फ एक बांध न होकर विभीषिका उत्पन्न करने वाला एक टाइम बम है।  गंगा के बिना हालात इतने बिगड़ जाएंगे कि भारत की एक तिहाई आबादी जल के बिना ही काल-कवलित हो जाएगी । भारत की आधी भूमि बंजर होगी। अनाज का एक दाना भी उक्त भूमि में नहीं उग सकेगा। आश्चर्य होता है समाज के विभिन्न तबके के लोगों पर, जो एक तरफ तो लाखों रुपया खर्च करते हैं पुण्य कमाने के ध्येय से और दूसरी ओर अपनी मां गंगा को कैद में देखकर भी आंखें मूंदे हैं और पाप का भागी बन रहे हैं।

  भगवान परशुराम।

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