Top Jamshedpur News of the day, 17th September 2019, विश्वकर्मा पूजा, एनएमएल की थर्मल पावर तकनीक, आयुष्मान योजना का मिला लाभ, एमजीएम में बिफरी एमसीआइ टीम
धूमधाम से की गई देवशिल्पी विश्वकर्मा की पूजा एनएमएल की तकनीक से थर्मल पावर में आधी हुई कोयले की खपत।
जमशेदपुर (जेएनएन)। पूरे इलाके में देवशिल्पी विश्वकर्मा की पूजा विधि-विधान से की गई। एनएमएल ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे कोयले की खपत और प्रदूषण दोनो आधा हो जाएगा। दो गरीब छात्रों की पढ़ाई इसलिए छूट गई थी क्योंकि उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे। आयुष्मान भारत योजना उनके लिए जीवनरक्षक बना। एमजीएम अस्पताल की हालत देख एमसीआइ की टीम काफी निराश हुई।
अनुष्ठानपूर्वक पूजे गए आदिशिल्पी विश्वकर्मा
भगवान विश्वकर्मा की पूजा शहर में विभिन्न स्थानों, कल-कारखानों में धूमधाम से की गई। सोनारी, साकची समेत कई स्थानों में विश्वकर्मा पूजा को लेकर आकर्षक पूजा पंडाल बनाए गए हैं। इनमें देवशिल्पी की प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधान से पूजा की गई। वहीं मशीनरी दुकानों जैसे आटा चक्की, कंप्यूटर, मोबाइल, साइकिल व मोटर साइकिल की दुकानों, मोटर गैराज, बस व ऑटो स्टैंड, पेट्रोल पंप समेत ट्रैक्टर व कार आदि वाहन एजेंसियों में कर्मचारी व मालिक सफाई व दुकानों की सजावट में जुटे रहे। लोगों ने भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर व प्रतिमाओं की भी खरीदारी की। पूजा स्थलों में सफाई व सजावट को लेकर लोगों में उत्साह दिखा। सोनारी हवाई अड्डा के सामने ऑटो स्टैंड में, साकची गोलचक्कर में कदमा और बारीडीह ऑटो स्टैंड, मिनी बस स्टैंड, मानगो बस स्टैंड, बारीडीह में ऑटो स्टैंड, स्टेशन के सामने ऑटो स्टैंड आदि समेत शहर में करीब 35 पूजा पंडाल का निर्माण कराया जाता है।
आधी हुई थर्मल पावर प्लांट में कोयले की खपत, लागत भी कम
थर्मल पावर प्लांट में ईंधन के रूप में कोयले के इस्तेमाल से पैदा होने वाला प्रदूषण देश ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी चिंता का सबब है। प्रदूषण कम करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव के बीच जमशेदपुर के राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) के वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित करने में सफलता हासिल कर ली है, जिससे थर्मल पावर प्लांट में कोयले की खपत आधी हो जाएगी। कई देशों में इस तकनीक पर काम किया जा रहा था, लेकिन सफलता नहीं मिली। चीन और जापान जैसे देशों ने भी शोध शुरू किया था, लेकिन बीस साल तक समय लगने और काफी खर्च करने के बाद शोध को बंद कर दिया। केंद्र सरकार की ओर से जिम्मेदारी मिलने के बाद एनएमएल जमशेदपुर के वैज्ञानिकों ने इसका समाधान ढूंढने की कोशिश की, ताकि कोयले की खपत और कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके। दो साल की मेहनत के बाद कामयाबी मिली। इस तकनीक से कोयले की खपत कम होने के कारण लागत के साथ-साथ अब प्रदूषण भी आधा हो गया।
छूट गयी थी पढ़ाई, अभिषेक की लौटी रोशनी, रीना जाने लगी कॉलेज
बागबेड़ा स्थित गणेश नगर निवासी राज कुमार श्रीवास्तव के पुत्र अभिषेक श्रीवास्तव की है। उनके बाए आंख में चोट लगने की वजह से दिखाई देने बंद हो गया था। एक नजदीकी नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क किया तो उन्होंने हायर सेंटर ले जाने की सलाह दी। परिजन के पास उतना पैसा था नहीं कि वे लेकर जाते। आयुष्मान भारत योजना के बारे में जानकर उसका सहारा लिया और आंखों की रोशनी बच गई। वहीं आदित्यपुर बस्ती निवासी रीना सामद (19) के पेट में 13 किलोग्राम का ट्यूमर था। आर्थिक तंगी के कारण वह इलाज नहीं करा पा रही थी। पढ़ाई भी छुट गई। रीना के पिता राम सहाय सामद इलाज के लिए जमीन बेचने की तैयारी में थे। तभी इस योजना की जानकारी मिली, जो उम्मीद की किरण बनी। योजना के तहत ब्रह्मïानंद नारायणा अस्पताल में रीना की सर्जरी हुई।
एमसीआइ की टीम ने कहा-एमजीएम में कुछ भी ठीक नहीं
महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज में पीजी की पढ़ाई शुरू होनी है। इसकी जांच करने को लेकर सोमवार को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की टीम पहुंचेगी। इस दौरान टीम को जरूरत के अनुसार न तो संसाधन दिखा और न ही आंकड़ा मिला। इससे नाराज टीम के सदस्य डॉ. राज्जना बी ने कहा कि यहां कुछ भी ठीक नहीं है। सर्जरी ओपीडी के रुम नंबर 16 में मरीजों की जगह मशीन पैक कर रखा हुआ था। वहीं पुरुष ड्रेसिंग रूम में कोई ड्रेसर तैनात नहीं था। इसके बाद विभागाध्यक्ष डॉ. दिवाकर हांसदा ने उसे महिला ड्रेसिंग रूम से बुलाकर लाया। उसके बावजूद भी संतुष्ट जवाब नहीं मिला। इसके बाद टीम सेंट्रल रजिस्ट्रेशन पहुंची। यहां पर भी जून माह का मरीजों का आंकड़ा नहीं मिला। कर्मचारियों ने बताया कि उस दौरान सेंट्रल रजिस्ट्रेशन सिस्टम काम नहीं कर रहा था। जिसके कारण मरीजों के नाम, पता व विभाग मैनुअल ही दर्ज किया जा रहा था।