रियो डि जनेरो व लंदन से ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा टोक्यो ओलंपिक : दीपिका

दीपिका कुमारी व अतनु दास भारत की पहली जोड़ी जो किसी ओलंपिक में भाग लेने जा रही है। इस जोड़ी पर टोक्यो ओलंपिक में पदक लेने का अतिरिक्त दवाब है। फिलहाल दोनों पुणे में चल रहे राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर का हिस्सा हैं।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 04:19 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 04:19 PM (IST)
रियो डि जनेरो व लंदन से ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा टोक्यो ओलंपिक : दीपिका
रियो डि जनेरो व लंदन से ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा टोक्यो ओलंपिक : दीपिका

जमशेदपुर : दीपिका कुमारी व अतनु दास, भारत की पहली जोड़ी जो किसी ओलंपिक में भाग लेने जा रही है। इस जोड़ी पर टोक्यो ओलंपिक में पदक लेने का अतिरिक्त दवाब है। फिलहाल दोनों पुणे में चल रहे राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर का हिस्सा हैं। दीपिका कहती हैं, बेहतर प्रदर्शन के लिए मन को नियंत्रण में रखना जरूरी होता है। उन्होंने कहा, रियो डि जनेरो व लंदन से ज्यादा चुनौतीपूर्ण टोक्यो ओलंपिक होगा।

सपने को पोडियम पर चढ़कर पूरा करना जानती है दीपिका

दीपिका कड़ी मेहनत व दृढ़संकल्प की प्रतिमूर्ति हैं। वह अपने सपने को पोडियम पर चढ़कर पूरा करना जानती हैं। किसी विजेता की तरह पोडियम पर चढ़ना हमेशा उन्हें प्रेरित करती है। वह कहती हैं, मैंने 13 साल की उम्र में तीरंदाजी को करियर के रूप में चुना। मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उस समय मेरा उद्देश्य परिवार पर वित्तीय दबाव को कम करना था। वह कहती हैं, लोग सोचते हैं कि तीरंदाजी बहुत आसान है। बस तीर तो मारना है। लेकिन परफेक्ट शॉट को हासिल करने के लिए तकनीक पर काफी मेहनत करनी होती है। मुझे उम्मीद है कि हम इस साल पदक जीतेंगे और खेल को और भी ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।

कोरोना हर खिलाड़ियों के लिए दुस्स्वप्न से कम नहीं

हाल ही में ग्वाटेमाला सिटी विश्वकर तीरंदाजी स्टेज-1 में स्वर्ण हासिल करने वाली दीपिका कहती हैं, मैं विश्वकप में जीत हासिल कर खुश हूं। लंबे अंतराल के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली इस जीत ने व्यक्तिगत व टीम दोनों स्तर पर आत्मविश्वास बढ़ाया है। हम पूरे एक साल के बाद किसी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग ले रहे थे और हमारे लिए यह जानना जरूरी था कि एक खिलाड़ी के तौर पर हम कहां खड़े हैं, किस क्षेत्र में सुधार करने की जरूरत है।

वैश्विक महामारी कोरोना 26 साल की इस ओलंपियन तीरंदाज के लिए भी किसी दुस्स्वप्न से कम नहीं रहा। जून 2020 में अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज अतनु दास के साथ वैवाहिक बंधन में बंधने के बाद सब कुछ ठीक रहा। वह कहती हैं, कोरोना के बाद लॉकडाउन। उसी समय हमारी शादी हुई थी। शुरुआत में तो काफी अच्छा लग रहा था। लंबे समय के बाद परिवार के साथ समय बिताने का मौका मिला था। घर में पका खाना मिल रहा था। हर कोई खुश था। लेकिन कुछ दिन बाद जिंदगी बोरिंग लगने लगी। भविष्य को लेकर तनाव होने लगा। महामारी के दौरान कोई योजना नहीं थी। और एक खिलाड़ी के तौर पर बिना किसी ठोस योजना के आगे बढ़ना अजीब लग रहा था।

ओलंपिक क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय जोड़ी

दीपिका कुमारी व अतुन दास टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं और यह कारनामा करने वाला देश की पहली जोड़ी भी हैं। वर्तमान में दीपिका पुणे स्थित आर्मी स्पोट्र्स इंस्टीट्यूट में ट्रेनिंग हासिल कर रही हैं। दीपिका कहती है, हम पहली जोड़ी हैं, यह सुनकर हम रोमांचित हो सकते हैं, लेकिन यह हमें प्रभावित नहीं करता। ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करने का हमारा व्यक्तिगत दबाव होता है। हम प्रशिक्षण स्थल पर साथ प्रैक्टिस करते हैं। लेकिन मैदान पर हम सिर्फ टीम के साथी होते हैं। जब घर वापस लौटते हैं तो एक साधारण पति पत्नी की तरह रहते हैं। ट्रेनिंग से वापस आने के बाद हम कभी-कभी तीरंदाजी के बारे में भी चर्चा कर लेते हैं।

तीरंदाजी मानसिक गेम, दिमाग को नियंत्रित करना जरूरी

15 साल की उम्र में दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक हासिल कर सुर्खियों में आने वाली दीपिका विश्वास के साथ कहती हैं, टोक्यो ओलंपिक पिछले दो ओलंपिक से अलग होगा। इस साल चुनौती ज्यादा होगी। हर ओलंपिक के पहले हमें ज्यादा से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेलने को मिला था, लेकिन इस बार वैसा नहीं है। भारत किसी भी ओलंपिक में अभी तक तीरंदाजी में पदक नहीं जीता है। इसका अलग दबाव होता है। वह मुस्कुराते हुए कहती हैं, लेकिन मैं अपने विचारों को नियंत्रित करना सीख रही हूं। इस खेल की यही विशेषता है, अगर आपको बेहतर प्रदर्शन करना है तो दिमाग को नियंत्रित रखना होगा। तनाव का सामना करते हुए शांत रहना बहुत महत्वपूर्ण है। आपके ऊपर हार का दबाव होता है, दर्शक आपको विचलित कर सकते हैं। वैसी परिस्थिति में एक शांत दिमाग ही आपके लक्ष्य को हिट करने में मदद कर सकता है।

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