शौचालय अब भी अधूरे, फिर भी पोटका ओडीएफ घोषित

पोटका प्रखंड के कई ऐसे गांव हैं जहां शौचालय अधूरे पड़े हुए है। कई शौचालय तो जमींदोज हो चके हैं। बावजूद इसके शौचालय बनवाने वालों पर अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अधूरे शौचालय के कारण ग्रामीण बाहर खेत में शौच करने को जाने को मजबूर हैं।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Sun, 12 Sep 2021 04:02 PM (IST) Updated:Sun, 12 Sep 2021 04:02 PM (IST)
शौचालय अब भी अधूरे, फिर भी पोटका ओडीएफ घोषित
पोटका में अधूरा पड़ा शौचालय, यह ओडीएफ की हकीकत को बताती है।

पाेटका, संवाद सूत्र। पूर्वी सिंहभूम जिला को 2018 -19 में ओडीएफ घोषित कर दिया गया, लेकिन आज भी कई ऐसे गांव हैं, जहां शौचालय नहीं बन पाया। यही नहीं पोटका प्रखंड के गांवों का पड़ताल करने पर पाया गया कि कई गांवों में आज भी सैकड़ों शौचालय है जो अधूरा पड़ा हुआ है। उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है और जर्जर होकर गिर रहा है। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के आंकड़े के मुताबिक पोटका प्रखंड के 34 पंचायतों में अब तक 18185 शौचालय का निर्माण विभिन्न योजनाओं जैसे बेसलाइन, स्वच्छ भारत मिशन, जेएसएलपीएस एवं टाटा स्टील द्वारा किया गया है। पोटका प्रखंड के कई पंचायत के मुखिया शौचालय घोटाले में जेल में बंद है। प्रखंड में कई ऐसे पंचायत है, जहां शौचालय का निर्माण नहीं हुआ और पूरे पैसे की निकासी कर ली गई। इस मामले को लेकर कई मुखिया को नोटिस भेजा गया है। शौचालय निर्माण में बड़े पैमाने पर पोटका में घोटाला हुआ है जिसके कारण आधा अधूरा पड़ा शौचालय जमींदोज हो चुके हैं। यही नहीं कई शौचालय के सिर्फ दीवार नजर आ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हम सब शौच करने के लिए मजबूरी में बाहर खेतों में जाते हैं। जबकि प्रशासन ने पोटका को दो साल पहले ही ओडीएफ घोषित कर दिया है। शौचालय निर्माण को लेकर किसी तरह की मॉनिटरिंग कमेटी नहीं होने से बड़े पैमाने पर शौचालय घोटाला हुआ है। कोरोना के कारण जांच में आगे प्रगति नहीं हो पाई और कई मुखिया ऐसे हैं जिन्होंने पैसे की निकासी तो कर ली, लेकिन शौचालय का निर्माण नहीं किया। प्रशासन ने सभी मुखिया को पर्याप्त समय दिया। यदि शौचालय का निर्माण गुणवत्ता पूर्ण नहीं किया जाता है तो पैसा की वसूली के लिए नोटिस भेजी जाएगी।

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