देखिए ! जनता के रुपये की बर्बादी, करोड़ों के भवन बेकार पड़े

जनता का पैसा बर्बाद कैसे हो रहा है यह देखना है तो झारखंड में सरकारी योजनाओं को देखकर आसानी से पता लग जाएगा। यहां जनता की सुविधा के लिए नगर विकास विभाग हो या सांसद-विधायक निधि से कई पानी की टंकी व सुलभ शौचालय तो बने लेकिन जनता इसका उपयोग कर सके यह सुनिश्चित करना शायद सरकार भूल गई। इसके अलावा कई योजनाओं से बने भवन बेकार पड़े हुए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 30 Sep 2020 01:46 AM (IST) Updated:Wed, 30 Sep 2020 05:15 AM (IST)
देखिए ! जनता के रुपये की बर्बादी, करोड़ों के भवन बेकार पड़े
देखिए ! जनता के रुपये की बर्बादी, करोड़ों के भवन बेकार पड़े

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जनता का पैसा बर्बाद कैसे हो रहा है यह देखना है तो झारखंड में सरकारी योजनाओं को देखकर आसानी से पता लग जाएगा। यहां जनता की सुविधा के लिए नगर विकास विभाग हो या सांसद-विधायक निधि से कई पानी की टंकी व सुलभ शौचालय तो बने, लेकिन जनता इसका उपयोग कर सके, यह सुनिश्चित करना शायद सरकार भूल गई। इसके अलावा कई योजनाओं से बने भवन बेकार पड़े हुए हैं। इसलिए अब जनता के टैक्स के पैसे से बने इन सभी सरकारी योजनाओं पर कहीं ताले लटक रहे हैं तो कहीं वे अपनी बर्बादी का रोना रो रहे हैं। कई ऐसे स्थानों पर बनाए गए हैं जहां तक जनता का पहुंचना दूभर है।

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गोविदपुर जलापूर्ति परियोजना पर ग्रहण, कोष के अभाव में रूका काम

छोटा गोविदपुर जलापूर्ति परियोजना, जिसे नीर निर्मल परियोजना के तहत संचालित किया जाना था, वह योजना आज तक धरातल पर नहीं उतर सकी है। विश्व बैंक के सहयोग से बनने वाली इस परियोजना का काम पांच साल से ज्यादा दिनों से चल रहा है, लेकिन अब कोष के अभाव में बंद है। बूंद-बूंद पानी को तरसने वाले ग्रामीण व जन प्रतिनिधि अब आंदोलन के मूड में हैं। सरकार का यह पैसा अभी तक पानी में बह रहा है। छोटा गोविदपुर वृहद ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना का जलस्त्रोत स्वर्णरेखा नदी है। जल उपचार संयंत्र हुडको पार्क टेल्को आशा किरण स्कूल के निकट है। पांच जलमीनार हैं, जिसमें छोटा गोविदंपुर, गदरा, सरजामदा, हलुदबनी व परसुडीह है। एकरारनामा की राशि 108 करोड़ निर्धारित है।

गोविदपुर एलिवेटेड कॉरीडोर का वर्षो से चल रहा काम

गोविदपुर का एलिवेटेड कॉरीडोर है जिसका वर्षों से काम चल रहा है लेकिन आज भी अधूरा है। सड़क निर्माण कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है। राहगीरों को परेशानी होती है, कोई सुनने वाला नहीं है। यहां का फ्लाईओवर करीब 130 करोड़ में बनना है।

उत्तरी छोटा गोविदपुर का बंद रहता है पंचायत भवन

उत्तरी छोटा गोविदपुर स्थित पंचायत भवन बराबर बंद ही रहता है। विधानसभा या लोकसभा चुनाव के समय ही यह भवन खुलता है। सरकार के लाखों रुपए के कोष से बने पंचायत भवन की साफ-सफाई भी नहीं होती है। कभी-कभार ही भवन खुलता है। इसके आगे-पीछे गंदगी का अंबार लगा हुआ है। छह नवंबर 2018 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यहां चारदीवारी निर्माण का शिलान्यास किया था।

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टेल्को के सुलभ शौचालय का उपयोग नहीं

टेल्को स्थित आजाद बस्ती में विधायक निधि से सुलभ शौचालय बनकर तैयार है, लेकिन इसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है। यह बराबर बंद ही रहता है। शौचालय के आगे-पीछे गंदगी का अंबार लगा हुआ है। छोटे-बड़े पेड़-पौधे जंगल से दिख रहे हैं। शौचालय के आगे पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है तो उसके गोबर की वजह से वहां ठहरना मुश्किल है।

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दाईगुट्टू के सामुदायिक भवन में होती है अड्डेबाजी

मानगो नगर निगम के दाईगुट्टू में सामुदायिक भवन काफी दिनों पहले बनाया गया है, विडंबना यह है कि इस भवन तक जाने के लिए रास्ता ही नहीं है। इस तरह बस्ती के लोग तो भवन तक नहीं पहुंच पाए उल्टे इस भवन में जुआड़ी, शराबियों का अड्डेबाजी होती है। आजतक दाईगुट्टू निवासी इस भवन का उपयोग किसी भी कार्यक्रम के लिए नहीं कर पाए।

कुंवरबस्ती के सामुदायिक शौचालय में कोई नहीं जाता

कुंवरबस्ती ओल्ड पुरुलिया रोड में नदी के किनारे 22 लाख रुपये से अधिक की लागत से सामुदायिक शौचलाय का निर्माण कराया गया। शौचालय की देखरेख के लिए नगर निगम से उर्मिला महिला समिति को दिया गया है। शौचालय देखने से तो चकाचक लग रहा था, लेकिन यहां बमुश्किल कोई आदमी आता है।

भालूबासा शौचालय की टंकी व दरवाजा गायब

भालूबासा ब्रिज के ऊपर लोगों की सुविधा के लिए शौचालय का निर्माण किया गया था। इस शौचालय के ऊपर एक टंकी भी लगाई गई थी, ताकि पानी की सुविधा लोगों को मिलती रहे। देखरेख के अभाव में इस शौचालय के ऊपर से पानी की टंकी गायब हो चुकी है और दरवाजा भी गायब है। यहां तक कि पानी की पाइप में लगे नल तक किसी ने चोरी कर लिए। इसके बावजूद यहां मल-मूत्र की साफ सफाई नहीं की जा रही है। इसके कारण चारों ओर बदबूदार माहौल हो गया है।

भालूबासा में लाखों की लागत से बनी दुकानों में लटक रहे ताले

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में भालूबासा चौक के पास दर्जनों दुकानें सरकारी फंड से बनाए गए थे, लेकिन इन दुकानों की बंदरबाट की गई थी। रघुवर सरकार जाते ही जिला प्रशासन एक्शन में आया और इन दुकानों की चाबियां जब्त कर अपने पास सुरक्षित रख ली है। दुकानों का निर्माण हुए करीब तीन वर्ष से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन अब तक इन दुकानों के शटर में ताले ही लटक रहे हैं। सरकारी फंड का दुरुपयोग चौक पर खुलेआम दिखाई दे रहा है।

एग्रिको ट्रैफिक सिग्नल के पास के शौचालय में पानी नहीं

एग्रिको ट्रैफिक सिग्नल के पास सरकार ने शौचालय तो बना दिया, लेकिन साफ-सफाई का अभाव दिखाई दे रहा है। बदबूदार माहौल में लोगों को यहां से गुजरना पड़ता है। इतना ही नहीं शौचालय की छत पर 500 लीटर की टंकी तो लगा दी गई है, लेकिन इस टंकी में पानी ही नहीं है। इसके कारण इस शौचालय का उपयोग लोग नहीं करते हैं। अगर इस शौचालय की साफ-सफाई व पानी की व्यवस्था के साथ इसकी देखभाल शुरू कर दी जाए तो राहगीरों को फायदा होगा।

ग्रामीणों को बगैर पानी पिलाए ही सूख गई कीताडीह की जलमीनार

उत्तरी कीताडीह के बनियाकोचा में जर्जर हालत में जलमीनार खड़ी है। है। ग्रामीणों के घर-घर तक पाइपलाइन के जरिए पानी पहुंचाने के लिए 2003 में विधायक निधि से बनकर तैयार जलमीनार बगैर चालू हुए जर्जर हो गई। करीब सात लाख रुपये की लागत से बने जलमीनार के पानी का लोगों ने स्वाद तक नहीं चखा और यह योजना नष्ट हो गई। उक्त जलमीनार से क्षेत्र के करीब सौ घरों में पानी की सप्लाई की जानी थी, मगर टंकी में आई दरार व रिसाव के कारण यह योजना अधर में लटक गई। जलमीनार के भवन के साथ-साथ घरों तक पानी पहुंचाने के लिए पाइपलाइन तक बिछा दी गई थी। स्थानीय लोगों ने कई वर्षों तक नल से पानी मिलने की आस लगा रखी थी, जो 17 वर्ष बाद टूट गई। जलमीनार का निर्माण ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के तत्कालीन कनीय अभियंता महेशचंद्र वर्मा की देखरेख में बनी थी। ग्रामीणों के हो-हल्ला करने के बावजूद जलमीनार चालू नहीं हो पाई है।

मेरीन ड्राइव के अगल-बगल दो सुलभ शौचालय, दोनों बंद

कदमा स्थित मेरीन ड्राइव में ग्रीन श्रीनाथ रेसीडेंसी से आगे सड़क पर ही अगल-बगल दो सामुदायिक सुलभ शौचालय बने हुए हैं। हालत देखकर स्पष्ट हो रहा है कि एक पुराना और दूसरा नया है। लेकिन सवाल उठता है कि जब पुराना बेहतर स्थिति में है, तो नए की जरूरत क्या थी। और जब नया बनकर तैयार हो गया है, तो उसे जनता के लिए खोला क्यों नहीं गया। वहां ताला क्यों लटक रहा है। बेवजह जनता के पैसे को बर्बाद करने की शायद यह एक बानगी है। दोमुहानी में बंद मिला सुलभ शौचालय दोमुहानी नदी तट के ठीक ऊपर लाल और पीले रंग में रंगा बेहद सुंदर दोमंजिला सुलभ शौचालय बना हुआ है। इसे अक्षेस के पूर्व विशेष पदाधिकारी संजय पांडेय के कार्यकाल में बनाया गया था। लेकिन निर्माण पूरा होने के बाद से यहां ताला लटक रहा था। स्थानीय निवासी बेदू सरदार का कहना है कि कुछ दिन तक तो यह सुलभ शौचालय खुला रहा, लेकिन अब यह काफी दिनों से बंद है। पता नहीं इसे क्यों बंद करके रखा गया है।

दोमुहानी में बंद पड़ा है वाटर टावर

सोनारी के दोमुहानी स्थित रूपनगर के पास सड़क पर ही विधायक निधि से यहां पानी की टंकी लगी है। चार फीट ऊंचे सीमेंट के चबूतरे के ऊपर पानी की टंकी को पाइप से जोड़ा गया है। चारों तरफ नल के पाइप हैं, लेकिन अब ये बंद है। सही रखरखाव नहीं होने के कारण अब यहां झाड़ियां उग आई हैं। टंकी में पानी सप्लाई के लिए लगी सभी टोटियों की भी चोरी हो चुकी है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि 50 मीटर की दूरी पर ऐसी ही दूसरी टंकी विधायक निधि से बनाई गई है, जहां से अब लोग पानी भरते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब पहली वाली पानी की टंकी ठीक थी तो दूसरी की जरूरत क्यों।

रामजनम नगर के रास्ते में बने शौचालयों के दरवाजे गायब

मेरीन ड्राइव से रामजनम नगर जाने वाले रास्ते पर दो सीट का एक शौचालय बना है। खास बात ये है कि शौचालय का शिलापट और उसमें लिखे विधायक का नाम तो सुरक्षित और पूरी तरह से चमक रहा है, लेकिन शौचालय के दरवाजे गायब हो गए। स्थानीय लोगों से पता चला कि यहां शौचालय तो बना, लेकिन सरकार इसमें पानी का कनेक्शन ही जोड़ना भूल गई। इसलिए स्थानीय निवासी इसका इस्तेमाल नहीं करते। अब टोंटी की भी चोरी हो गई है। वहीं, दो सीट पर गंदगी का अंबार है। समुचित रखरखाव के अभाव में अब स्थानीय निवासी यहां कचरा फेंकते हैं। स्थानीय निकाय की उदासीनता ही है कि वे स्वच्छ भारत अभियान को को पलीता लगा रहे हैं।

दक्षिणी कालीमाटी में बनने के बाद से पंचायत मंडप का अब तक नहीं खुला ताला

जमशेदपुर प्रखंड के दक्षिणी कालीमाटी पंचायत का मंडप पिछले तीन वर्ष से खुलने की बाट जोह रहा हैं। पंचायत की मुखिया सिगो टुडू पूर्वी कालीमाटी पंचायत भवन से तो कभी प्रधान टोला के विकास भवन से अपना सचिवालय चला रही हैं। पंचायत के पूर्व मुखिया कालीदास टुडू ने बताया कि भवन निर्माण का कार्य वर्ष 2012 में आरंभ हुआ था। घटिया निर्माण की शिकायत के बाद उपायुक्त ने जांच का आदेश दिया था। उसके बाद से निर्माण कार्य रोक दिया गया था। भवन का कार्य पूरा करने में संवेदक ने पांच वर्ष लगा दिया। 22 लाख 78 हजार रुपये से बना सरकारी भवन यू ही धूल फांक रहा हैं। वही अपना पंचायत भवन होने के बावजूद मुखिया को दूसरे पंचायत भवन के सहारे लोगों की समस्या का समाधान किया जा रहा है। कुछ वर्षों तक तो अधूरे भवन में नशेड़ियों का जमावड़ा लगा रहता था। इससे आसपास के लोग परेशान थे। कुछ दिन पूर्व ही मुखिया को भवन की चाबी दी गई है। इससे उम्मीद है कि जल्द ही यह भवन लोगों के लिए खोल दिया जाएगा।

पटमदा प्रखंड की पंचायतों में बने तहसील कचहरियों के भवन बदहाल

पटमदा व बोड़ाम प्रखंड की पंचायतों में अंचल कर्मचारियों को जमीन की दाखिल-खारिज व अंचल से संबंधित विभिन्न योजनाओं की जानकारी देने,फार्म जमा करने सहित कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए पंचायत स्तर पर तहसील कचहरी बनाई गई थी। इसमें प्रतिदिन पंचायतों के संबंधित अंचल के कर्मचारियों को नियमित बैठने व उनके रहने के लिए लिए आवास का भी प्रबंध किया गया था, ताकि जनता छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान पंचायत स्तर पर ही कर सकें। पटमदा प्रखंड के बिडरा पंचायत के दगड़ीगोड़ा गांव के बाहर लाखों की लागत से तैयार तहसील कचहरी भवन दो साल पूर्व बनकर तैयार होने के बाद उपयोगिता के अभाव में झाड़ियों में तब्दील हो चुका है। वहीं सांसद आदर्श ग्राम बांगुडदा में पंचायत मंडप के पास एक साल पूर्व बना तहसील कचहरी परिसर में ताला लटका हुआ है। जहां न कोई पदाधिकारी आते न कर्मचारी कुछ साल में ये भी बदहाली का रोना हो रहा होगा।

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