सर्विस बुक नहीं ई हमलोकोन का कुंडली है, पढिए आदित्यपुरनामा

यह जिला शिक्षा विभाग हैं। यहां साहब की नहीं मास्टर साहब की मर्जी चलती है। साहब लाख आदेश निकालते रहे गुरुजी के कान में जूं तक नहीं रेंगता। कुछ दिन पहले शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी शिक्षकों को सर्विस बुक जमा करने का फरमान जारी किया था। लेकिन...

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 09:02 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 08:34 AM (IST)
सर्विस बुक नहीं ई हमलोकोन का कुंडली है, पढिए आदित्यपुरनामा
सर्विस बुक जमा करने का मतलब जिदंगिए गिरवी रखना होगा।

जमशेदपुर, जितेंद्र सिंह। यह सरायकेला-खरसावां का जिला शिक्षा विभाग हैं। यहां साहब की नहीं मास्टर साहब की मर्जी चलती है। साहब लाख आदेश निकालते रहे, गुरुजी के कान में जूं तक नहीं रेंगता। कुछ दिन पहले शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी शिक्षकों को सर्विस बुक जमा करने का फरमान जारी किया था। लेकिन किसी ने जमा नहीं किया।

एक सरकारी शिक्षक ने कहा, देख बाबू, ई सर्विस बुकवा जो है ना, हमलोकोन का कुंडली है। ई भुला गया तो समझो सब गया। जब ज्वाइनिंग हुआ था तो दु गो सर्विस बुक मिला था। एक तो ऑफिस में रखा गया था, दूसरका हमलोकोन को मिला था। आफिसवा वाला तो दीमक चाट गया। विभाग चाह रहा है कि घरवा वाला भी सर्विस बुकवा जमा कर दे। ईहो सड़ा देगा तो हम का करेंगे। सर्विस बुक जमा करने का मतलब जिदंगिए गिरवी रखना होगा। मास्टर साहब का तर्क तगड़ा है। विभाग को दर्द समझना चाहिए।

बदरा आए, दिल धड़काए

जब जब इंद्र भगवान गरजते हैं, आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों का दिल धड़कने लगता है। एक तरफ तो लॉकडाउन के कारण उत्पादन ठप है दूसरा सिवरेज ड्रेनेज सिस्टम की चिंता। बिन मौसम बरसात ने उद्यमियों पर कहर ढा रहा है। आयडा में लगभग 1200 से अधिक कंपनियां हैं और यहां का मेंटनेंस का काम भी इसी कंधे पर है। लेकिन इसका मालिक मुख्तार जियाडा है, जिसका कार्यालय रांची में हैं। आयडा के पास फूटी कौड़ी नहीं है। सिवरेज साफ कराने व मरम्मत का काम के लिए जियाडा को प्रस्ताव भेजा गया है। अब राम जाने, कब प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लगेगी, कब काम शुरू होगा। तबतक सिवरेज का गंदा पानी कंपनी से निकालते रहिए, वरना लाखों का माल यूं ही बर्बाद हो जाएगा। एक उद्यमी ने कहा, क्या कहे यार, रात में जब बारिश होती है तो कंपनी की ओर दौड़ लगाना प़ड़ता है। साहब ऐसे ही चलता है सिस्टम।

मंदिर छोड़ भागे ''भगवान'', कहां जाए इंसान

अदृश्य कोरोना वायरस के खौफ इंसान तो इंसान, धरती के ''भगवान'' भी पाताललोक में छुप गए हैं। आदित्यपुर क्षेत्र में दो दर्जन से ज्यादा चिकित्सक सुबह शाम अपनी क्लीनिक में मरीजों का इलाज किया करते थे। लेकिन संक्रमण की दूसरी लहर ने इन्हें भी डरा दिया है। जो क्लीनिक सुबह शाम ''भक्तों'' (मरीजों) से भरा पड़ा रहता है, वह आज सूना पड़ा है। डॉक्टर साहब को कभी एक पल फुर्सत नहीं मिलती थी। जब फुर्सत मिली तो यही अब काटने दौड़ रही है। कुछ टेक्नो फ्रेंडली चिकित्सक हैं जो वाट्सएप, वीडियो चैट से माध्यम से मरीजों का इलाज कर आनलाइन फी भी वसूल रहे हैं। इस कोरोना काल में वैसे वैसे बुजुर्ग डॉक्टर साहब पर शामत आन पड़ी हैं, जो तकनीकी रुप से दक्ष नहीं है। वाट्सएप, फेसबुक से उनका कोई वास्ता नहीं है। वैसे भी डॉक्टर साहब हैं, जिनके घर मरीज पहुंचते हैं तो खिड़की से झांककर ही नौकर को कह देते हैं, बोल दो साहब नहीं हैं।

ना बैंड ना बारात, फिर कैसे हो नागिन डांस

आदित्यपुर आशियाना मोड़ के पास के रहने वाले मनोज कुमार अपने बेटे हेमंत राज की शादी की तैयारी कर रहे हैं। 25 मई को शादी है। लोगों को कार्ड भी भेजा जा चुका है। बैंड-बाजा बारात, सब तैयारी हो चुकी है। जमशेदपुर के कदमा में ही बारात जाना है। लेकिन लॉकडाउन ने पूरे घर की खुशियां लॉक कर दी। झारखंड सरकार ने आदेश दिया है कि अगर 16 से 27 मई के बीच आप शादी की तैयारी कर रहे हैं तो संबंधित थाना को तीन दिन पहले यह सूचना देनी होगी कि आपके यहां शादी है। सूचना भी मौखिक नहीं। लिखित आवेदन के साथ शादी कार्ड भी अटैच करना होगा। शादी में सिर्फ 11 लोग। अब मनोज साहब को यह डर सता रहा है कि बैंड पार्टी ही 11 से ज्यादा है। शादी हो तो कैसे हो। दोस्तों ने नागिन डांस करने की योजना बनाई थी। सब प्लान फेल।

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