ये हैं साइलेंट हीरोज जो कोरोना से जंग में 24 घंटे निभा रहे बड़ी भूमिका, इनके फौलादी जज्बे को सलाम
Corona warriors इनकी दिन-रात की मेहनत का नतीजा है कि आप थोड़ी राहत की सांस ले रहे हैं। घर बैठ नई-नई जानकारियों से अवगत हो रहे हैं। इनका काम भी किसी डॉक्टर से कम नहीं होता। ये हैं साइलेंट हीरोज जो पर्दे के पीछे बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। ये हैं साइलेंट हीरोज, जो पर्दे के पीछे बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। आपकी जांच रिपोर्ट तैयार करने से लेकर होम आइसोलेशन में रहनेवाले मरीजों पर कड़ी निगरानी रखते हैं। इनका जज्बा ऐसा है कि रोजाना हजारों की रिपोर्ट चुपचाप तैयार कर दे रहे हैं। मरीजों का रिपोर्ट समय पर देने का भी टेंशन रहता है।
इतना ही नहीं, अस्पतालों में बेड दिलाने के लिए भी जूझ रहे हैं। इनकी दिन-रात की मेहनत का नतीजा है कि आप थोड़ी राहत की सांस ले रहे हैं। घर बैठ नई-नई जानकारियों से अवगत हो रहे हैं। इनका काम भी किसी डॉक्टर से कम नहीं होता। खुद को सुरक्षित रख लोगों की जीवन बचाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। लैब तकनीशियन की चुनौती है कि कैसे एक दिन में ज्यादा से ज्यादा रिपोर्ट तैयार कर दिया जाए। कोविड टेस्ट सेंटर से सैंपल लेकर लैब तक पहुंचाना भी चुनौती भरा काम है। इनके जज्बे को सलाम कीजिए आप।
अधिक जांच करने का रहता प्रेशर
जब से लैब खुला है तब से जांच रिपोर्ट तैयार करने में जुटा हूं। शुरुआती दिनों में पूरे झारखंड से सैंपल आता था लेकिन अब सिर्फ कोल्हान से आता है। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ते से सैंपल भी बढ़ रहा है।अधिक से अधिक जांच करने का प्रेशर होता है। ताकि लोगों को सही समय पर रिपोर्ट मिल सकें।
- तरुण कुमार, एमजीएम लैब।
जाने का समय तय, घर लौटने का नहीं
मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में सुबह लैब जाता हूं तो वापस लौटने का समय नहीं होता। जांच के दौरान काफी सावधानी बरतना होता है। थोड़ा भी लापरवाही बरतने से संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। घर-परिवार के लोगों को भी बचाना है। इसका विशेष ख्याल रखना पड़ता है।
- कुबेर चंद्र सेतुआ, एमजीएम लैब।
जांच से लेकर बेड तक करा रहे उपलब्ध
कभी लैब तो कभी कोविड वार्ड। दोनों जगह देखना पड़ता है। लैब में सैंपल की संख्या लगातार बढ़ रही है। वहीं, कोविड वार्ड में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में दोनों जगहों पर निगरानी करना पड़ता है। कोई मरीज को अगर बेड नहीं मिलता तो उसका व्यवस्था किसी तरह से करना पड़ता है।
- लक्ष्मी पति दास, एमजीएम अस्पताल।
24 घंटे वार्ड में गुजर जाता
कर्मचारियों की संख्या कम और मरीजों की संख्या अधिक हो गई है। ऐसे में कई दिन तो 24 घंटे पूरा वार्ड में ही बीत जाता है। इसके साथ ही दवाओं की सूची तैयार करने से लेकर मरीजों व मृतकों की सूची तैयार करना पड़ता है। इसके बाद जिला सर्विलांस विभाग को भेजना पड़ता है।
- देवानंद कुमार, एमजीएम अस्पताल।
सैंपल लेने से लेकर रिपोर्ट देने तक की चिंता
सुबह नौ बजे आता हूं तो वापस घर 12 बजे रात को लौटता हूं। जब से कोरोना आया है तब से यही दिनचर्या बन गई है। सैंपल देने के लिए लंबी लाइन लगती है। सेंटर पर लंबी लाइन लग जाती है। लाइन को ठीक कराने से लेकर सैंपल लेना और रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए जूझते रहता हूं।
- राजीव कुमार, टीबी अस्पताल
फोन करते-करते बीत जाता पूरा दिन
होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों पर कड़ी निगरानी रखनी होती है। रोजाना सभी को फोन कर उनकी स्थिति जानना होता है। ऐसे में सभी को फोन करना होता है। इस दौरान अगर किसी की स्थिति गंभीर पाई जाती है तो एंबुलेंस भेजकर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जाता है।
- डॉ. राजीव लोचन महतो, जिला सर्विलांस विभाग
हर बेड पर रखना होता ध्यान
कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कांतीलाल मेमोरियल अस्पताल में सेवा दे रहा हूं। यहां एक-एक बेड पर ध्यान रखना होता है। मरीजों की किसी तरह की परेशानी नहीं हो, इसका पूरा ख्याल रखा जाता है। बेड खाली होते ही दूसरे मरीजों को भर्ती किया जाता है।
- सुमन कुमार, कांतीलाल कोविड अस्पताल