झारखंड में आरटीई नियमों का हवाला देते हुए स्कूलों को बंद करने की साजिश का होगा विरोध, संघ ने चेताया

झारखंड के स्कूलों को निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीइ) 2009 के तहत मान्यता लेने संबंधी आदेश से तमाम निजी विद्यालयों के संचालकों के बीच खलबली मची हुई है। इन विद्यालयों में लाखों विद्यार्थी अध्ययनरत है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 05:37 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 05:37 PM (IST)
झारखंड में आरटीई नियमों का हवाला देते हुए स्कूलों को बंद करने की साजिश का होगा विरोध, संघ ने चेताया
झारखंड गैर सरकारी विद्यालय संघ के प्रतिनिधि। जागरण

जमशेदपुर, जासं। झारखंड के स्कूलों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीइ) 2009 के तहत मान्यता लेने संबंधी आदेश से तमाम निजी विद्यालयों के संचालकों के बीच खलबली मची हुई है। इन विद्यालयों में लाखों विद्यार्थी अध्ययनरत है। पूर्वी सिंहभूम के शिक्षा विभाग द्वारा सभी 500 से अधिक स्कूलों को आरटीई के तहत मान्यता लेने का आदेश दिया गया है। अब तक इसके लिए 164 स्कूलों ने अपनी संचिकाएं भेजी है।

इन स्कूलों का सत्यापन विभाग को करना है। अन्य स्कूल भी अपनी संचिकाएं तैयार कर रहे हैं। 30 अक्टूबर तक इन संचिकाओं को शिक्षा विभाग के पास जमा करना है। बिना मान्यता के स्कूलों को बंद करने का आदेश है। इधर इसका विरोध भी शुरू हो गया है। झारखंड गैर सरकारी विद्यालय संघ के अध्यक्ष मो. ताहिर हुसैन व कोल्हान अध्यक्ष डा. अफरोज शकील ने जिला प्रशासन को चुनौती देते हुए कहा है कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत मान्यता लेने से संबंधित मामला उच्च न्यायालय, झारखंड में विचाराधीन है। ऐसी परिस्थिति में झारखंड राज्य के कोई भी जिला शिक्षा पदाधिकारी अथवा जिला शिक्षा अधीक्षक किसी भी विद्यालय के विरूद्ध किसी प्रकार की कार्रवाई की अनुशंसा नही कर सकते। अगर ऐसा होता है तो संघ उन्हें इसका जवाब देने को तैयार है। ऐसे पदाधिकारी अंजाम भुगतने को तैयार रहेंगे।

संघ का कहना है कि यही निजी विद्यालय और आज विभाग की प्रतिष्ठा बचाए हुए हैं। विभाग और सरकार तो गरीबों को लूटने में लगी हुई है, लेकिन वास्तविक में यह निजी विद्यालय समाज और राज्य के लिए पूर्ण रूप से समर्पित हैं। ये खुद भूखा रहकर भी राज्य को शिक्षित करने का कार्य कर रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में विभाग का अथवा सरकार का इनके विरुद्ध ऐसी मानसिकता एवं दृष्टिकोण रखना किसी भी तरह से उचित नहीं है। सरकार एवं विभाग को चाहिए इन विद्यालयों के प्रति ऊंची सोच रखें एवं उनके बलिदानों को देखते हुए इन्हें सम्मानित करने का काम करना चाहिए। वर्तमान में जो कार्य हो रहा है इन स्कूल के शिक्षकों को सड़क पर लाकर भूखा मारने का है। इस अवसर पर संघ की ओर से मुख्य रूप से ललन प्रसाद यादव, चंद्र भूषण मिश्रा एवं अन्य विभिन्न विद्यालयों के प्रबंधक उपस्थित थे।

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