पीडि़ता ने पुलिस महानिरीक्षक की रिपोर्ट पर उठाए सवाल, कहा-सीबीआइ जांच हो Jamshedepur News
पूरे मामले मे पुलिसिया कार्यवाही पर सवाल उठ रहे हैं और इसी कारण सीबीआइ से जांच कराने की आवश्यकता जताई जा रही है।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर एक आवासीय क्षेत्र में नाबालिग से 2018 में हुए दुष्कर्म के मामले में झारखंड ह्यूमन राइट़स कांफ्रेंस (जेएचआरसी) की टीम ने मामले के पीडि़ता और पीडि़ता की मां से मुलाकात की।
राष्ट्रीय मानवाधिकार द्वारा उपलब्ध कराये गए झारखंड के पुलिस महानिरीक्षक (मानवाधिकार) की जांच रिपोर्ट को पढ़कर सुनाई। मंतव्य भी प्राप्त किया। अबतक हुई जांच एवं कार्रवाई की जानकारी ली आगामी 11 जुलाई तक मनोज मिश्रा को आयोग के समक्ष पूरे मामले मे अपना मंतव्य देना हैं। पीडि़ता के संरक्षक नानक चंद्र सेठ का भी बयान लिया गया।
आइजी की रिपोर्ट में डीएसपी और थानेदार को दी गई थी क्लीन चिट
गौरतलब हैं कि आइजी की रिपोर्ट में पटमदा के तत्कालीन डीएसपी अजय केरकेट्टा और एमजीएम थानेदार इमदाद अंसारी को क्लीन चिट दिया हैं। तीन आरोपी इंद्रपाल सैनी, शिव कुमार महतो, श्रीकांत महतो को जेल भेजे जाने और अन्य किसी भी आरोपी के विरुद्ध साक्ष्य नहीं मिलने की बात कही गई है। मनोज मिश्रा ने बताया पुलिस महानिरीक्षक की जांच रिपोर्ट पर पीडि़ता एवं उनकी माता ने असंतोष व्यक्त करते हुए कई सवाल उठाये है।
पीडि़ता ने पक्ष रखते कहा कि उनके द्वारा प्रस्तुत किये गए अनेक तथ्यों, साक्ष्यों को जांच रिपोर्ट मे शामिल ही नहीं किया गया है, जो नेचर ऑफ जस्टिस के खिलाफ है।
मां ने कहा - बेटी को न्याय दिलाने के लिए जारी रहेगा संघर्ष
पीडि़ता की मां ने कहा अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करेंगी। रिपोर्ट मे नानक सेठ को फास्ट कार्गो ट्रांसपोर्ट के मालिक सुभाष घोष का पार्टनर बताया है, जिसे नानक सेठ ने सिरे से $खारिज कर दिया है, जेएचआरसी ने सभी पक्षो का बयान दर्ज कर लिया है, जल्द ही टीम द्वारा सभी के बयानों की समीक्षा के बाद रिपोर्ट आयोग को भेज दी जाएगी। मनोज मिश्रा ने बताया प्राप्त रिपोर्ट मे सीआइडी कि रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है जबकि सीआइडी जांच के आदेश संस्था के आवेदन पर ही मुख्यमंत्री ने दिया था। पूरे मामले मे पुलिसिया कार्यवाही पर सवाल उठ रहे है जिस कारण सीबीआइ जांच की आवश्यकता हैं।