विश्व प्रसिद्ध सारंडा के जंगल में कभी धरती पर नहीं पहुंचती थी सूरज की रोशनी, फिर सीडबॉल से लहलहाएगी

बेहिसाब खनन होने और इसके बाद इसे छोड़ देने के साथ ही जंगलों की कटाई ने विश्व प्रसिद्ध सारंडा की तस्वीर पूरी तरह उलट कर रख दी। अब एक बार फिर इसे हरा-भरा करने की मुहिम शुरू हुई है। आइए जानिए क्या है योजना।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 12:05 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 10:27 PM (IST)
विश्व प्रसिद्ध सारंडा के जंगल में कभी धरती पर नहीं पहुंचती थी सूरज की रोशनी, फिर सीडबॉल से लहलहाएगी
मिट्टी के गोले में भरे गए जामुन, नीम, पीपल, इमली आदि के पौधे नमी पाकर उगेंगे।

जमशेदपुर, जासं। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम का इलाका पहले जंगल के लिए ही जाना जाता था। यहां का सारंडा जंगल इतना सघन था कि सूर्य की किरणें धरती तक नहीं पहुंच पाती थी। अब हयह बातें इतिहास में सिमट गई हैं। बेहिसाब खनन होने और इसके बाद इसे छोड़ देने के साथ ही जंगलों की कटाई ने तस्वीर पूरी तरह उलट कर रख दी। अब एक बार फिर इसे हरा-भरा करने की मुहिम शुरू हुई है, जिसका बीड़ा जमशेदपुर की स्वयंसेवी संस्था उर्विता ने उठाया है।

संस्था की योजना एक से आठ अगस्त तक 95,000 सीड बॉल फेंकने की है। इसके लिए संस्था ने जो योजना बनाई है, उसमें पश्चिमी सिंहभूम जिले के 19 स्कूल चुने गए हैं। प्रत्येक स्कूल से 20 छात्र होंगे, जिनमें से हर छात्र एक सप्ताह में 250 सीडबॉल अपने आसपास के इलाकों में फेंकेगे। यह स्थान नदी किनारे के नमी वाले इलाके, रेलवे ट्रैक के पास, बंजर जमीन, खनन के बाद खाली पड़े क्षेत्र व पहाड़ होंगे। मिट्टी के गोले में भरे गए जामुन, नीम, पीपल, इमली आदि के पौधे नमी पाकर उगेंगे। संस्था की सचिव नीना शर्मा ने बताया कि यह प्रक्रिया अगले वर्ष भी दोहराई जाएगी। यह संस्था इस तरह का अभियान पूर्वी सिंहभूम जिले में चला चुकी है।

दो शिक्षक व दो छात्र होंगे प्रशिक्षक

संस्था ने मंगलवार काे वेबिनार कराया, जिसमें इन स्कूलों से दो शिक्षक व दो छात्र को प्रशिक्षक के रूप में चुना गया है। यह अपने स्कूल के शेष 18 छात्र को सीड बॉल बनाने का तरीका और इसे फेंकने के बारे में बताएंगे। वेबिनार में पश्चिमी सिंहभूम के प्रशिक्षु आइएएस रवि जैन व डीएफओ-पोड़ाहाट नीतीश कुमार के अलावा जमशेदपुर से माइनर फारेस्ट प्रोड्यूशर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक मौन कुमार जुड़े थे। इस तरह सारंडा की धरती को फिर हरा-भरा बनाने की योजना को गति मिलेगी। सारंडा की सूरत बदली नजर आएगी।

chat bot
आपका साथी