बालिका वधू प्रत्युषा बनर्जी के माता-पिता दाने-दाने को मोहताज, चार साल बाद भी नहीं मिला न्याय
जमशेदपुर के सोनारी के रहने वाले बालिका वधू प्रत्युषा बनर्जी के माता-पिता आज दाने-दाने को मोहताज है। वह पिछले चार साल से न्याय के लिए दर-दर भटक रहे है। इसके बावजूद प्रत्युषा के माता-पिता हिम्मत नहीं हारी है।
जमशेदपुर, जासं। टीवी धारावाहिक बालिका वधू में मुख्य भूमिका निभाने वाली प्रत्युषा बनर्जी की मौत को चार साल से ज्यादा हो गए। तब से प्रत्युषा के पिता शंकर बनर्जी व मां सोमा बनर्जी मुंबई में ही रहकर न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं। माता-पिता का कहना है कि प्रत्युषा की हत्या की गई है। उसे मौत के मुंह में धकेलने वाले दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। अब इन्हें वहां रहने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है, क्योंकि आर्थिक तंगी के शिकार हो गए हैं।
यहां बता दें कि बाल विवाह पर आधारित इस शो को दर्शकों को खूब प्यार मिला था। आनंदी से लेकर जगिया और दादीसा समेत इसके हर किरदार दर्शकों के दिल में आज भी बसे हुए हैं। प्रत्युषा ने अविका गौर के बाद बड़ी आनंदी का किरदार निभाया था। एक अप्रैल 2016 को प्रत्युषा की मौत की खबर आई तो दर्शक सन्न रह गए। पुलिस के मुताबिक प्रत्युषा बनर्जी की मौत आत्महत्या थी। वह अपने कमरे में फंदे से झूलती हुई मिली थी। माता-पिता प्रत्युषा की मौत के लिए उनके ब्वायफ्रेंड राहुल राज सिंह पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था। हालांकि इस मामले में राहुल को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी। इसके बाद राहुल ने अभिनेत्री सलोनी शर्मा से शादी भी कर ली है।
अपने माता-पिता के साथ प्रत्युषा बनर्जी।
केस लड़ते-लड़ते एक-एक पैसे के मोहताज हो गए
सोनारी निवासी प्रत्युषा बनर्जी के पिता शंकर बनर्जी व मां सोमा बनर्जी अब एक-एक पैसे के मोहताज हो गए हैं। उनका जमशेदपुर में रहने वाला परिवार तो सदमे में जी ही रहा है, मां-बाप आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। शंकर बनर्जी कहते हैं कि उन्हें ऐसा लगता है मानो बेटी की मौत के बाद कोई बड़ा तूफान आया हो और सबकुछ लेकर चला गया हो। उन्होंने कहा कि केस लड़ते-लड़ते वो अपना सबकुछ गंवा बैठे हैं। उनके पास अब एक रुपया भी नहीं बचा है।
एक कमरे के मकान में रहने को मजबूर
दोनों पति-पत्नी एक कमरे में रह रहे हैं। अब उनकी जिंदगी बहुत मुश्किल से कट रही है। इस बीच वे कई बार कर्ज ले चुके हैं। प्रत्युषा की मां सोमा बनर्जी एक चाइल्ड केयर सेंटर में काम कर रही हैं। वहीं शंकर बनर्जी फिल्मों व धारावाहिक के लिए कहानियां लिख रहे हैं। उन्हें लगता है कि यदि उनकी कोई कहानी चुन ली गई, तो जीने का सहारा मिल जाएगा। इतनी तंगी के बावजूद वे न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है। मरते दम तक प्रत्युषा के लिए लड़ते रहेंगे। मुझे यकीन है कि हम एक दिन जरूर जीतेंगे।
सोनारी में हर साल मनती जयंती-पुण्यतिथि
प्रत्युषा की दादी व परिवार के अन्य सदस्य अब भी सोनारी स्थित आदर्श नगर के पास उसी घर में रहते हैं, जहां कभी प्रत्युषा व उनके माता-पिता रहते थे। यहां प्रत्युषा के परिवार वाले हर साल प्रत्युषा की जयंती व पुण्यतिथि मनाते हैं। इन्हें भी लगता है कि प्रत्युषा की मौत के गुनहगारों को जेल की सजा होगी।