टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारियों को फिर विपक्ष ने घेरा, कहा- इच्छा शक्ति के अभाव में लंबित हैं मामले

टाटा वर्कर्स यूनियन के सभी पदाधिकारी इन दिनों नोवामुंडी माइंस के टूर पर हैं लेकिन अंदरुनी राजनीति चरम पर है। टाटा वर्कर्स यूनियन के सभी 214 कमेटी मेंबरों का एक वाट्सएप ग्रुप है जिसमें विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्ष सत्ता पक्ष को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़त है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 05:18 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 06:52 PM (IST)
टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारियों को फिर विपक्ष ने घेरा, कहा- इच्छा शक्ति के अभाव में लंबित हैं मामले
सुपरवाइजरों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर जुबानी जंग छिड़ी हुई है।

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता।  टाटा वर्कर्स यूनियन के सभी पदाधिकारी इन दिनों नोवामुंडी माइंस के टूर पर हैं लेकिन अंदरुनी राजनीति चरम पर है। टाटा वर्कर्स यूनियन के सभी 214 कमेटी मेंबरों का एक वाट्सएप ग्रुप है जिसमें विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्ष सत्ता पक्ष को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। ताजा मामला गुरुवार का है जिसमें कर्मचारियों और सुपरवाइजरों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर जुबानी जंग छिड़ी हुई है। विपक्ष का कहना है कि यूनियन के शीर्षस्थ नेतृत्व में इच्छा शक्ति का अभाव है जिसके कारण मामले अब तक लंबित हैं।

यूनियन के इस वाट्सएप ग्रुप में कोक प्लांट के कमेटी मेंबर सह पूर्व उपाध्यक्ष आरसी झा ने इस संबंध में एक पत्र भी अध्यक्ष संजीव चौधरी को भेजा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि कर्मचारी व सुपरवाइजर ग्रुप में कई ऐसी सुविधाएं हैं जो मेंटेनेंस ग्रुप के लिए परंपरागत रूप से नहीं है। लेकिन ऑफिसर वर्ग में जिस तरह जॉब रोटेशन और प्रमोशन पॉलिसी है, लगता है कि अगर हमारे यूनियन नेतृत्व में इच्छाशक्ति हो तो हम उन्हें प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए अफसर वर्ग में मेंटेनेंस और ऑपरेशन के पदाधिकारियों के प्रमोशन की पद्धति और लिमिट में कोई अंतर नहीं है। आईएल-6 आने के बाद उस तरह के कई उदाहरण हैं जिन्हें देख कर यह लगता है कि जो कर्मचारी आईएल-6 नहीं बनता उसके लिए मेंटेनेंस ग्रुप में प्रमोशन की उचित पद्धति नहीं है जिस पर यूनियन को काम करने की आवश्यकता है।

यूनियन से सकारात्मक पहल का आग्रह

झा ने कहा कि जैसे कोई मेंटेनेंस का जूनियर इंजीनियर या सुपरवाइजर अगर आईएल-6 बन जाता है तो वह कालांतर में उस स्तर तक जा सकता है जहां तक ऑपरेशन का जूनियर इंजीनियर या सुपरवाइजर आईएल-6 जा सकता था। उसी प्रकार अगर कोई मेंटेनेंस में काम करने वाला जूनियर इंजीनियर या सुपरवाइजर अगर चाहे तो ऑपरेशन में आईएल-6 बन जाता है और उसके लिए प्रमोशन के रास्ते खुलते जाते हैं। इन दोनों उदाहरणों से लगता है कि यूनियन नेतृत्व अगर सामूहिक प्रयास करे तो यह कार्य बिल्कुल संभव है। इसीलिए मेरा यूनियन अध्यक्ष से अनुरोध है कि इस विषय पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए उचित समाधान किया जाए। वर्तमान में मेंटेनेंस विभागों और कुछ कम महत्व के ऑपरेशन विभागों में सुपरवाइजर और एनएस-7 के कर्मचारियों को वी-14 और एनएस-9 से ऊपर प्रमोशन का स्कोप नहीं है। कर्मचारी इन पदों पर आकर स्टेगनेशन यानि उनके प्रमोशन का रास्ता बंद हो जाता है। जबकि जबकि ऑपरेशन के कई विभागों में वी-20 और एनएस-12 तक प्रमोशन का स्कोप है। हमारी मांग बस इतनी है कि हर विभाग में कर्मचारियों के प्रमोशन में एकरुपता हो।

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