सीएम तक पहुंचा सड़क नहीं बनाने का मामला
नगर पंचायत क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति हेतु पाइप लाइन बिछाने के लिए सड़क खोदकर छोड़ने का मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है। आरटीआइ कार्यकर्ता विक्रम सिंह चौहान ने 26 अक्टूबर को दैनिक जागरण में छपी खबर बीत गई डेडलाइन नहीं बनी सड़क को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त को टैग करते हुए ट्वीट किया है।
संवाद सूत्र, चाकुलिया : नगर पंचायत क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति हेतु पाइप लाइन बिछाने के लिए सड़क खोदकर छोड़ने का मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है। आरटीआइ कार्यकर्ता विक्रम सिंह चौहान ने 26 अक्टूबर को दैनिक जागरण में छपी खबर 'बीत गई डेडलाइन, नहीं बनी सड़क' को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त को टैग करते हुए ट्वीट किया है। इसके साथ ही पूरे महकमे में खलबली मच गई है। इधर, चाकुलिया में पाइप लाइन बिछाने वाली कंपनी जुस्को ने निर्माण में विलंब के लिए पथ निर्माण विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। दैनिक जागरण में छपी खबर पर जुस्को के परियोजना प्रबंधक अनिल शर्मा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पाइप लाइन बिछाने के लिए खोदी गई सड़क के पुनर्निर्माण में जो भी विलंब हुआ उसके लिए पथ निर्माण विभाग ही जिम्मेवार है। शर्मा के मुताबिक यह पूरा मामला आरसीडी एवं जुडको के बीच का है। इसमें जुस्को प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं है। दरअसल नगर विकास विभाग ने चाकुलिया में पेयजल आपूर्ति का काम जुडको को आवंटित किया था। जुडको ने यह काम जुस्को को दिया। अनिल शर्मा ने बताया कि पाइप लाइन बिछाने एवं जल प्रवाह की जांच करने के बाद जुस्को ने बिरसा चौक से सड़क का पुनर्निर्माण प्रारंभ किया था। लेकिन आरसीडी के अभियंता ने प्राथमिकी दर्ज करने की धमकी देते हुए काम बंद करा दिया। वे जिस तरीके से सड़क बनाने के लिए कह रहे थे, वह जुस्को एवं जुडको के बीच हुए करार से अलग था। इस तरीके से सड़क बनाने पर करीब दो करोड़ रुपए का खर्च आता जबकि जुडको उन्हें केवल 41 लाख रुपए ही देने को तैयार था। लिहाजा काम बंद कर देना पड़ा। इसके बाद जुडको एवं आरसीडी के बीच विवाद सुलझाने में लंबा समय लग गया, जिसकी वजह से निर्माण में देरी हुई। आखिरकार, बीते 21 सितंबर को चाकुलिया नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी जेपी यादव की मध्यस्थता में दोनों पक्षों के बीच बैठक हुई। इसमें बीच का रास्ता निकाला गया। यह तय हुआ कि अलकतरा की बजाय ढलाई वाली सड़क ही बनेगी जिसकी मोटाई 10 इंच होगी। जबकि पहले जुडको 8 इंच मोटाई की सड़क ही बनाने की बात कह रहा था। लेकिन इन सबके बावजूद यह सवाल अब भी कायम है कि जब 21 सितंबर को निर्माण के नए प्रारूप पर सहमति बन गई थी तो सवा महीने बाद भी काम क्यों नहीं शुरू किया गया? बहरहाल विलंब के लिए जिम्मेदार चाहे आरसीडी हो, जुडको हो या फिर जुस्को, इससे जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता। उसे तो फर्क पड़ता है सड़क के गड्ढे से।