किसान आंदोलन के समर्थन में उतरा अब यह इम्प्लाई एसोसिएशन

केंद्र सरकार के किसान बिल के विरोध में देश भर में विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है। ऐसे में ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाईज एसोसिएशन भी अब भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले संघर्षरत किसानों के समर्थन में उतर आया है।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Thu, 03 Dec 2020 09:13 AM (IST) Updated:Thu, 03 Dec 2020 09:13 AM (IST)
किसान आंदोलन के समर्थन में उतरा अब यह इम्प्लाई एसोसिएशन
किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन करते ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाईज एसोसिएशन के सदस्य।

जासं, जमशेदपुर : केंद्र सरकार के किसान बिल के विरोध में देश भर में विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है। ऐसे में ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाईज एसोसिएशन भी अब भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले संघर्षरत किसानों के समर्थन में उतर आया है।

ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाईज एसोसिएशन ने बीते 26 नवंबर को देश भर में केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ एक दिवसीय हड़ताल की घोषणा की थी। किसान-मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ, किसान बिल के विरोध में, सरकारी उपक्रमों के निजीकरण के विरोध में यह प्रदर्शन सह एक दिवसीय हड़ताल का आयोजन किया गया था। एसोसिएशन के जनरल काउंसिल सदस्य हीरा अरकने ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वे आगे आकर राष्ट्र और किसानों के हित में उनकी मांगों का समाधान करें।

बकौल हीरा  किसानों का उत्पादन, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम 2020 के तहत राज्य सरकार के एग्रीकल्चर प्रोडक्शन मार्केट कमेटी (एपीएमसी) अधिनियमों को दरकिनार करें। क्योंकि इसे बाइपास किया जा सकता है। इसके क्षेत्राधिकार मार्केट यार्ड तक सीमित रहता है। जबकि बाजार यार्ड के बाहर संस्थाएं, कृषि उपज में लेन-देन के लिए स्वतंत्र है। जबकि आवश्यक वस्तु (संशोधन) अघिनियम 2020 के तहत अधिनियम यह अधिकार प्रदान करता है कि जब किसी खाद्य की कीमतें 100 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं। इसके कारण भंडारण की सीमा को निर्धारित नहीं करता। ऐसे में बड़े व्यवसासियों को बिना किसी प्रतिबंध के बड़े स्तर पर खाद्यनों का भंडारण कर सकते हैं और बाजार के साथ-साथ कीमत में भी हेर-फेर कर सकते हैं।

इसी तरह मूल्य आश्वासन और फार्म सेवा अधिनियम 2020 के तहत किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता के तहत यह अधिनियम सीमांत किसानों के नुकसान के लिए अनुबंध खेती को प्रेरित करने का खतरा बढ़ता। कॉर्पोरेट घराने किसानों की जमीन हड़प लेंगे। इसके कारण ही किसानों का डर और आशंका बहुत वास्तविक है। वर्तमान सरकार ने खाद-बीज से सब्सिडी वापस ले ली। डीजल के दाम बढ़ा दिए। अब बिजली पर किसानों को मिलने वाली सब्सिडी भी वापस लेने का खतरा बना हुआ है।

उस पर किसान बिल। सरकार किसानों को विश्वास दिलाने के लिए प्रचार प्रसार कर रही है कि ये तीनों बिल किसान के हित मे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जिनके हित में इस बिल को पास किया गया। उन्हें बिल बनाने से पहले विश्वास में क्यों नहीं लिया गया। पूर्ण बहुमत वाली सरकार अपनी मनमानी क्यों कर रही है। आज देश के अन्नदाता दिल्ली की ठंड में सड़कों पर बैठने को मजबूत है। सरकार को यदि किसानों की इतनी ही चिंता है तो वे तत्काल पहल कर उनकी शंकाओं को दूर करें।

chat bot
आपका साथी