देश में जमशेदपुर के मैथिल समाज के कैलेंडर की है अलग पहचान, जानें इसमें क्या होता है खास
वेंकटेश्वर राव जमशेदपुर बिष्टुपुर स्थित परमहंस लक्ष्मीनाथ बिष्टुपुर स्थित परमहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी मंदिर द्वारा कैलेंडर का विमोचन बुधवार को किया जाना है। दरअसल शहर से तीन संस्थाएं मैथिल समाज का कैलेंडर प्रकाशित करती हैं। शहर से प्रकाशित होने वाले मैथिल कैलेंडर की भारत के अन्य प्रदेशों में भी माग है। गोस्वामी मंदिर द्वारा कैलेंडर का विमोचन बुधवार को होना है।
वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर : बिष्टुपुर स्थित परमहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी मंदिर द्वारा कैलेंडर का विमोचन बुधवार को किया जाना है। दरअसल शहर से तीन संस्थाएं मैथिल समाज का कैलेंडर प्रकाशित करती हैं। शहर से प्रकाशित होने वाले मैथिल कैलेंडर की भारत के अन्य प्रदेशों में भी माग है। यहा से हजारों कैलेंडर अन्य प्रदेशों में रहने वाले मैथिल समाज के सदस्यों के यहा भेजे जाते हैं। जमशेदपुर से प्रकाशित कैलेंडर की देश में अलग पहचान है। जमशेदपुर में मैथिल समाज द्वारा सबसे पहले कैलेंडर 1998 में प्रकाशित हुआ। परमहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी के परिसर में मिथिला सास्कृतिक परिषद जमशेदपुर ने विद्यापति का कैलेंडर पंचाग युक्त यानि पर्व त्योहारों के विवरण के साथ देने का निर्णय लिया। एक पृष्ठ का कैलेंडर बनाया गया। शहर के अरुण कुमार झा द्वारा बनाए गए विद्यापति के शैल चित्र को स्थान दिया गया। उसके बाद लगातार परिषद कैलेंडर निकालती रही और 2003 से पहले तक एक पृष्ठ का छपा। 2003 के बाद चार पेज का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। 2007 के बाद यह छह पृष्ठ का छपने लगा। अभी भी परिषद द्वारा छह पृष्ठ का कैलेंडर प्रकाशित होता है। इसमें मिथिला की विभूतियों, मिथिला चित्रकला, अरिपन कला आदि को प्रमुखता दी जाती रही है। इस बार भी यह कैलेंडर छह पृष्ठों का छपेगा। प्रत्येक पृष्ठ पर दो महीने के पर्व त्योहारों का विवरण अंकित रहेगा। इसका लोकार्पण दिसंबर माह में होगा। मिथिला सास्कृतिक कैलेंडर के पश्चात परहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी समिति ने वर्ष 2010 के बाद अपना कैलेंडर का प्रकाशन प्रारंभ किया। इसमें परमहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी का शैल चित्र प्रकाशित होता है। इस पर मिथिला के पर्व त्योहारों का संपूर्ण विवतरण अंकित रहता है। विगत तीन वर्षों से ललित नारायण मिश्र सामाजिक एवं सास्कृतिक कल्याण समिति भी छह पृष्ठ का कैलेंडर छापती रही है, जिसमें ललित नारायण मिश्र के चित्र के अतिरिक्त मिथिला के आध्यात्मिक सास्कृतिक धरोहरों को प्रमुखता दी जाती है। जमशेदपुर के इन कैलेंडरों की माग पूरे देश में रहती है। इनमें पर्व त्योहारों का सटीक विवरण, मुंडन, विवाह की तिथिया आदि उल्लेखित रहती हैं। झारखंड से जमशेदपुर के अलावा राची से चार, बोकारो से एक, सिंदरी से एक कैलेंडर का प्रकाशन होता है। इनमें भी जमशेदपुर के चित्रकार अरुण कुमार झा का सहयोग रहता है। अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद में भी मिथिला राज्य के नक्शे और मिथिला विभूतियों को केंद्रित कर दो वर्ष कैलेंडर का प्रकाशन किया। जमशेदपुर की तीनों संस्थाओं के कैलेंडर का है अलग महत्व
जमशेदपुर से प्रकाशित तीनों संस्थाओं के मैथिल कैलेंडर का अलग-अलग महत्व है। तीनों संस्थाएं अपने-अपने गुरु को आदर्श मानकर कैलेंडर बनाती हैं। परमहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी मंदिर मिथिला की आध्यात्मिक परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके उपदेशों पर यह संस्था कार्य करती है। मिथिला सास्कृतिक परिषद विद्यापति को आदर्श गुरु मानते हुए संपूर्ण मिथिलाचल के लोगों को सामाजिक, साहित्यिक
और सास्कृतिक एकत्व के क्षेत्र में काम करती है। इस आधार पर कैलेंडर का विमोचन करती है। ललित नारायण मिश्र सामाजिक एवं सास्कृतिक कल्याण समिति ललित नारायण मिश्र को आदर्श मानकर कैलेंडर का प्रकाशन करती है। इसे घर-घर में पहुंचाया जाता है।