सिदूरखेला के बाद मां को दी गई अश्रुपूरित विदाई

शारदीय नवरात्र के दौरान नौ दिनों तक देवी दुर्गा की आराधना के बाद दशहरा यानी विजयादशमी के दिन अश्रुपूरित नयनों से भक्तों ने मां को विदाई दी। कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए बगैर किसी तामझाम अथवा जुलूस के सादगी पूर्ण तरीके से जलाशय में सभी मूर्तियों को विसर्जित कर दिया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 08:00 AM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 08:00 AM (IST)
सिदूरखेला के बाद मां को दी गई अश्रुपूरित विदाई
सिदूरखेला के बाद मां को दी गई अश्रुपूरित विदाई

संवाद सूत्र, चाकुलिया : शारदीय नवरात्र के दौरान नौ दिनों तक देवी दुर्गा की आराधना के बाद दशहरा यानी विजयादशमी के दिन अश्रुपूरित नयनों से भक्तों ने मां को विदाई दी। कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए बगैर किसी तामझाम अथवा जुलूस के सादगी पूर्ण तरीके से जलाशय में सभी मूर्तियों को विसर्जित कर दिया गया। विसर्जन के दौरान प्रशासन एवं पुलिस के साथ शांति समिति के सदस्य सजग रहें। विसर्जन से पूर्व परंपरा के मुताबिक महिलाओं ने पंडाल में जाकर देवी दुर्गा की पूजा कर सिदूरखेला किया। विवाहित महिलाओं ने एक दूसरे को सिदूर लगाकर अखंड सौभाग्यवती होने की कामना की। इससे पहले महा अष्टमी की तरह महानवमी को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु कोरोना की आशंकाओं को धता बताते हुए देवी दर्शन के लिए पंडालों में उमड़े। इस दौरान पूजा कमेटियों को कोविड गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित करने में पसीने छूट गए।

मां तारा मंदिर में हुआ कन्या पूजन व भोज : महानवमी के दिन शहर के गौड़ पाड़ा स्थित मां तारा धाम मंदिर में नवकन्या पूजन व भोज का आयोजन किया गया। इस अवसर पर छोटी-छोटी बच्चियों को देवी का रूप देकर मात्री पूजन किया गया इसके बाद उन्हें बिठाकर भोजन कराया गया इसका शुभारंभ स्थानीय विधायक समीर महंती ने बच्चियों को भोजन परोस कर किया। कार्यक्रम के आयोजन में मंदिर के पुजारी गोपाल पति, बबलू साहू, मुनेश्वर पोलाई, वार्ड पार्षद मलय रोहिदास, देवाशीष दास, तापस राय, गौतम दास, डोला साहू, उमा कटारी आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई। भक्तों ने मां दुर्गा को नम आंखों से दी विदाई : नम आंखों से भक्तों ने मां दुर्गा को विदाई दी। पूजा पंडालों में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमाओं का तालाब में विसर्जन किया गया। रजलाबांध, ईचड़ाशोल, पाठपुर, खंडामौदा, आरंग, जगन्नाथपुर, केशरदा, मानुषमुडि़या के पूजा पंडालों में स्थापित प्रतिमाओं का भी विसर्जन किया गया। पूजा पंडालों में सिदूर दान की परंपरा हुई। महिलाओं ने मां दुर्गा की प्रतिमा पर सिदूर लगा कर पूजा की व विदाई दी। इसके बाद महिलाओं ने सिदूर खेला। महिलाओं ने एक-दूसरे को सिदूर लगाकर उत्सव मनाया। नदी तट पट प्रतिमाओं के विसर्जन घाट पर सुव्यवस्थित तरीके से पुलिस बल के साथ प्रशासनिक टीम भी उपस्थित थी।

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