जांच करने आए प्राथमिक शिक्षा निदेशक, शिक्षकों ने किया घेराव

पूर्वी सिंहभूम में वर्ष 2008 से 2016 के बीच नियुक्त हुए 75 अल्पसंख्यक शिक्षकों की नियुक्ति के अनुमोदन की जांच हुई। जांच के दौरान शिक्षकों ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक का घेराव किया।

By Edited By: Publish:Sun, 17 Feb 2019 07:00 AM (IST) Updated:Sun, 17 Feb 2019 11:35 AM (IST)
जांच करने आए प्राथमिक शिक्षा निदेशक, शिक्षकों ने किया घेराव
जांच करने आए प्राथमिक शिक्षा निदेशक, शिक्षकों ने किया घेराव

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। पूर्वी सिंहभूम में वर्ष 2008 से 2016 के बीच नियुक्त हुए 75 अल्पसंख्यक शिक्षकों की नियुक्ति के अनुमोदन की जांच हुई। प्राथमिक शिक्षा निदेशक विनोद कुमार के नेतृत्व में आई स्क्रीनिंग कमेटी जिला शिक्षा विभाग के कार्यालय पहुंची। प्राथमिक शिक्षा निदेशक विनोद कुमार के नेतृत्व में टीम शिक्षकों के नियुक्ति अनुमोदन से संबंधित सारे कागजातों को खंगाल रही थी। इसी दौरान भोजनावकाश के समय जब टीम बाहर निकली तो शिक्षा विभाग के कार्यालय में धरना दे रहे शिक्षकों ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक का घेराव कर दिया।

शिक्षक वेतन भुगतान के आदेश की मांग कर रहे थे। शिक्षिकाओं में इस बात को लेकर जबरदस्त आक्रोश था कि विभाग कितनी बार जांच कराएगा। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जब वेतन भुगतान का आदेश दिया है तो विभाग अब नियुक्ति की जांच क्यों करा रहा है? शिक्षिकाओं की बातों को सुन प्राथमिक शिक्षा निदेशक भी आक्रोशित हो गए। उन्होंने कहा कि तब वे जांच प्रक्रिया छोड़कर चले जाते हैं। उन्होंने सभी को रांची वापस जाने को कह भी दिया। इसके बाद घेराव कर रहे शिक्षिकाओं ने स्थिति को भांप लिया तथा पुरुष शिक्षकों ने मोर्चा को संभाल लिया। काफी अनुनय विनय के बाद फिर से दोपहर बाद जांच को तैयार हुए। इसके बाद जांच प्रक्रिया पूरी की।

स्क्रीनिंग कमेटी में ये थे शामिल : चेयरमैन प्राथमिक शिक्षा निदेशक विनोद कुमार, सदस्य उप शिक्षा निदेशक मिथिलेश सिन्हा, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के उपसचिव श्याम नारायण राम, जिला शिक्षा पदाधिकारी शिवेंद्र कुमार, जिला शिक्षा अधीक्षक बृजमोहन कुमार।

चौथी बार हुई जांच

पूर्वी सिंहभूम जिला के 75 अल्पसंख्यक शिक्षकों की जांच चौथी बार शनिवार को हुई। पहली जांच पूर्व जिला शिक्षा अधीक्षक इंदू भूषण सिंह, दूसरी जांच वर्ष 2015 में प्राथमिक शिक्षा निदेशक के स्तर से, तीसरी जांच पूर्व जिला शिक्षा अधीक्षक बांके बिहारी के समय हुई थी। इन सभी ने शिक्षकों की नियुक्ति का अनुमोदन कर दिया था। शनिवार को चौथी जांच हुई। पूर्व में किए गए इन शिक्षकों से संबंधित सभी जांच रिपोर्ट निदेशालय से गायब हो गई है।

टेंशन में थी शिक्षिकाएं

जांच के दौरान धरने पर बैठी कई शिक्षिकाएं काफी तनाव में थीं। उन्हें इस बात की चिंता सता रही थी कि पता नहीं स्क्रीनिंग कमेटी क्या करेगी। दरअसल, इन शिक्षकों को विभागीय सूत्रों से पता चला कि जांच कमेटी कई प्रशिक्षण के प्रमाणपत्रों की भी जांच कर रही है। जबकि नियुक्ति के समय इन प्रमाणपत्रों की जरूरत नहीं थी। तत्कालीन नियुक्ति वर्ष में ये नियम लागू नहीं थे। इस कारण जिला शिक्षा विभाग के मुख्यद्वार पर वे धरने पर बैठ गई थी।

पूरी हो गई जांच

जांच प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इससे संबंधित जांच रिपोर्ट विभाग के सचिव को सौंप दी जाएगी। सचिव से निर्देश प्राप्त होने के बाद इन शिक्षकों का अनुमोदन मान्य हो पाएगा।

- विनोद कुमार, प्राथमिक शिक्षा निदेशक सह चेयरमैन स्क्रीनिंग कमेटी।

हमसे भूल हो गई, हमका माफी ..

प्राथमिक शिक्षा निदेशक घेराव के बाद जब भड़क गए और यह कहने लगे कि वे जांच अब नहीं करेंगे तो अल्पसंख्यक शिक्षकों के होश ठिकाने आ गए। इसके बाद अल्पसंख्यक शिक्षकों ने कहा कि सर हमसे भूल हो गई, हमका माफी देई दो। हाथ जोड़कर, पैर छूकर निदेशक को मनाया गया। तब निदेशक जांच को तैयार हो गए। निदेशक ने इसके बाद शिक्षकों को भरोसा दिलाया गया कि नियमत: जिन शिक्षकों की नियुक्ति हुई है, उनकी नियुक्ति का अनुमोदन करने के लिए स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हुई है। इतने सालों से वे स्कूलों में सेवा दे रहे हैं, उनकी सेवा व्यर्थ नहीं जायेगी। उन्हें मेहनत का फल अवश्य मिलेगा। वे शिक्षा विभाग पर भरोसा रखे।

 इंदू ने गलती की है तो क्या मैं भी करूंगा

स्क्रीनिंग कमेटी की जांच के दौरान जब पत्रकारों ने पूछा कि 75 शिक्षकों की नियुक्ति का अनुमोदन जिला शिक्षा अधीक्षक इंदू भूषण सिंह, बांके बिहारी सिंह की ओर से कर दिया था। ऐसे में फिर से जांच क्यों की जा रही है? इस पर प्राथमिक शिक्षा निदेशक विनोद कुमार ने कहा कि अगर इंदू और बांके ने गलती की है तो मैं क्या कर सकता हूं। अगर नियुक्ति गलत तरीके के अनुमोदन हुई है तो उन पदाधिकारियों की भी गर्दन फंसनी तय है।

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