केबुल कंपनी के पुनरूद्धार को आगे आई टाटा स्टील व वेदांता ग्रुप, विधायक सरयू राय ने बताया स्वागतयोग्य कदम
इंकैब पर कर्ज की राशि इनके पूर्व प्रमोटरों के अनुसार 2 हजार करोड़ के ऊपर और दिल्ली उच्च न्यायालय के अनुसार 21.36 करोड़ रुपये है। ऐसा नहीं हो कि ये इसे बढ़ा कर दिखाएं और इसके परिसंपत्तियों के बराबर दिखाएं वरना श्रमिकों के साथ भीतरघात हो जाएगा।
जमशेदपुर, जासं। करीब 21 वर्ष से बंद पड़ी गोलमुरी स्थित इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केबुल कंपनी) के पुनरूद्धार को टाटा स्टील व वेदांता ग्रुप ने रुचि दिखाई है। इन्होंने एनसीएलटी, कोलकाता में इसका अधिग्रहण करने के लिए लिखित दावा भी पेश किया है। इसे जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने स्वागतयोग्य कदम बताया है।
सरयू राय ने कहा कि केबुल कंपनी के पुनरूद्धार में टाटा स्टील और वेदांता की अभिरूची प्रदर्शित करना सराहनीय पहल है। परंतु यह पहल एक गंभीर पहल के रूप में सामने आनी चाहिए, यह सुनिश्चित करना इंकैब के वर्तमान रिज्युलेशन प्रोफेशनल का दायित्व है। इन्हें चाहिए कि इंकैब की परिसंपत्तियों और दायित्वों का विवरण एनसीएलटी कोलकाता बेंच के सामने रखें और इसे सार्वजनिक करें। परिसंपत्तियों और दायित्वों का विवरण सार्वजनक होगा, तभी इंकैब के पुनरूद्धार की पहल सार्थक रूप ले सकेगी। इंकैब पर बैंको एवं अन्य वित्तीय संस्थानों का कर्ज भी सार्वजनिक होना चाहिए। यह स्पष्ट होना चाहिए कि इंकैब पर कर्ज की राशि इनके पूर्व प्रमोटरों के अनुसार 2 हजार करोड़ के ऊपर और दिल्ली उच्च न्यायालय के अनुसार 21.36 करोड़ रुपये है। ऐसा नहीं हो कि ये इसे बढ़ा कर दिखाएं और इसके परिसंपत्तियों के बराबर दिखाएं, वरना श्रमिकों के साथ भीतरघात हो जाएगा।
श्रमिकों का बकाया भुगतान मेरी प्राथमिकता
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार इंकैब पर श्रमिकों का बकाया 200 करोड़ से अधिक स्वीकार किया गया है। इस मूलधन की राशि पर सूद जोड़ दिया जाए तो यह 400 करोड़ से ऊपर हो जाएगा। श्रमिकों के हित सधे और उनके बकाया का भुगतान हो सके, यह मेरी प्राथमिकता है। साथ ही रिज्युलेशन प्रोफेशनल को बताना चाहिए कि इसके वास्तविक प्रमोटर ‘लीडर यूनिवर्सल’ के शेयर कहां गए और किसको गए। इसके द्वारा नियुक्त तीन प्रबंधकों की स्थिति क्या है और कंपनी के संदर्भ में घमंडी राम गोवानी की स्थिति फिलहाल क्या है। पहले दिल्ली हाईकोर्ट और बीआइएफआर ने भी इन्हें निदेशक पद से हटा दिया था। यह बात भी स्पष्ट होनी चाहिए कि इन्होंने इंकैब के पुणे प्लांट से जुड़े 40 एकड़ जमीन में से कितनी जमीन बेच दी है। इसका हिसाब लगाया जाएगा तभी कंपनी के परिसंपत्तियों का सही आकलन हो पाएगा।
चोरी की गहन जांच करे जमशेदपुर पुलिस
सरयू ने कहा कि मैंने पहले भी झारखंड सरकार से कहा है और आगे भी कहूंगा कि इंकैब की परिसंपत्तियों की लूट और चोरी करने वालों पर सख्ती हो। इंकैब श्रमिक यूनियन ने इस बारे में गोलमुरी थाना में छह माह से अधिक समय पूर्व एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसकी जांच नहीं कर जमशेदपुर पुलिस ने उसे सनहा में बदल दिया। मैं झारखंड के पुलिस महानिदेशक से कहूंगा कि इस प्राथमिकी पर जमशेदपुर के वरीय पुलिस अधीक्षक से एक प्रतिवेदन लेकर इसे सीआइडी की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा को जांच के लिए दे दे, इससे पिछले 20 वर्षों में लूट और चोरी के पीछे पर्दा में रहने वाले सफेदपोशों की पोल खुल जाएगी।
जुस्को नागरिक सुविधा से नहीं भागे
ध्यान देने योग्य है कि 1920 में टाटा स्टील ने इंकैब को 177 एकड़ जमीन लीज पर दी थी। 2019 में इंकैब की लीज समाप्त हो गई। यह भूखंड अब पूरी तरह से सरकार द्वारा टाटा स्टील को दी गयी लीज की भूमि है। इसलिए पानी, बिजली, सीवरेज आदि जनसुविधाएं केबुल कंपनी क्षेत्र में उपलब्ध कराने के लिए एनओसी की जरूरत नहीं है। श्रमिकों के हित में जुस्को सभी नागरिक सुविधाएं केबुल कंपनी क्षेत्र में उपलब्ध कराने के लिए कोई बहाना नहीं बनाए। इसी तरह से टाटा स्टील और वेदांता जिन्होंने इंकैब के पुनरूद्वार में रुचि दिखाई है, केबुल के पुनरूद्धार का प्रस्ताव देते समय यह हित ध्यान में रखे और श्रमिकों के बकाया भुगतान और उनके परिवारों को रोजगार देने की प्राथमिकता को पुनरूद्धार प्रस्ताव का अंग बनाएं।