Air India Sale : एयर इंडिया खरीद के पीछे इस व्यक्ति का है श्रेय, रतन टाटा भी मानते हैं उसका लोहा

Air India Sale कर्ज के बोझ से कराह रही एयर इंडिया को टाटा समूह ने 18000 करोड़ रुपए में खरीदकर इसे संजीवनी बूटी दे दी है। लेकिन क्या आपको पता है कि टाटा समूह को इतनी बड़ी डील के पीछे किसका हाथ है....

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 06:22 AM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 08:52 AM (IST)
Air India Sale : एयर इंडिया खरीद के पीछे इस व्यक्ति का है श्रेय, रतन टाटा भी मानते हैं उसका लोहा
एयर इंडिया खरीद के पीछे इस व्यक्ति का है श्रेय, रतन टाटा भी मानते हैं उसका लोहा

जमशेदपुर : टाटा समूह ने पिछले दिनों ही एयर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी 1800 करोड़ रुपये में खरीदी है। टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा भी एयर इंडिया की बोली लगाने के और विमानन सेवा को हासिल करने के लिए एक व्यक्ति को श्रेय देते हैं और वो है टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन का। जिनके नेतृत्व में टाटा समूह ने पूरी प्रक्रिया का न सिर्फ अध्ययन किया बल्कि सही निष्कर्ष पर भी पहुंचे।

कहा जाता है कि समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने भी इसके चेयरमैन एमेरिटस रतन टाटा से सलाह मांगी थी, जबकि उसमें सफल बोली लगाई थी। निस्संदेह एयर इंडिया का प्रबंधन और अधिग्रहण टाटा समूह के सबसे वर्तमान प्रशासन के प्रबंधन के तहत सबसे बड़े अधिग्रहणों में से एक है।

अधिग्रहण के बाद रतन टाटा ने कही ये बात

एयर इंडिया के अधिग्रहण के बाद रतन टाटा ने कहा कि मुझे विमान उड़ाना पसंद है। मैंने कई तरह के विमान उड़ाए हैं और उसका मजा भी लिया है। हालांकि भावनात्मक लगाव के अलावा एयर इंडिया के लिए बोली लगाने के फैसले में मेरी कोई भागीदारी नहीं है। लेकिन इस अधिग्रहण के बाद मैं बेहद खुश हूं। हम एयर इंडिया को फिर से उस स्तर पर स्थापित करेंगे जहां उसकी असली मुकाम है।

वर्ष 1932 में रतन दादाभाई टाटा ने स्थापित की थी कंपनी

आपको बता दें कि टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा उर्फ जेआरडी टाटा ने ही देश में पहली बार वर्ष 1932 में विमानन सेवा टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी। जिसे वर्ष 1946 में टाटा संस के विमानन सेवा को एयर इंडिया का नाम दिया गया। वर्ष 1948 में एयर इंडिया इंटरनेशनल को यूरोप के लिए उड़ान सेवा शुरू की। विश्वव्यापी इस विमानन सेवा को भारत पीपीपी मॉडल में शुरू किया गया पहला प्रोजेक्ट कहा जा सकता है। इसमें केंद्र सरकार का 49 जबकि टाटा की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी थी जबकि शेष का मालिक आम जनता थी।

1953 में हुआ था एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण

भारत की तत्कालीन सरकार ने वर्ष 1953 में एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया था जिससे जेआरडी टाटा काफी नाखुश थे। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु को इस संबंध में एक पत्र लिखकर अपनी नाराजगी प्रकट की। जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि इस विमानन सेवा का राष्ट्रीयकरण होता है तो यात्रियों को वो सुविधा नहीं मिलेगी, जिसकी वे आशा करते हैं। एक दिन ऐसा समय आएगा जब यह कंपनी दिवालिया हो जाएगी। जेआरडी टाटा के ये कथन 68 साल बाद सच हो गए।

वेलकम बैक एयर इंडिया

केंद्र सरकार द्वारा विनिवेश में कई एयर इंडिया के लिए कई कंपनियों ने बोली लगाई। जब सरकार की ओर से एयर इंडिया के लिए सबसे सफल बोली टाटा समूह द्वारा लगाए जाने की घोषणा की तो रतन टाटा ने कहा वेलकम बैक एयर इंडिया। इस कथन का तात्पर्य है कि अब टाटा समूह एयर इंडिया के पुनर्निर्माण के लिए काफी प्रयास करेगा। उम्मीद है कि यह विमानन सेवा टाटा समूह की उपस्थिति के लिए एक बहुत मजबूत बाजार का अवसर प्रदान करेगा।

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