Tata Motors : जगुआर मोटरसाइकिल से बन गई दुनिया की सबसे प्रसिद्ध कार, जानते हैं कैसे हुआ चमत्कार

Tata Motors वर्ष 2008 में दुनिया की प्रतिष्ठित ब्रांडों में से एक जगुआर लैंडरोवर को टाटा मोटर्स ने अधिग्रहण कर सबको चौंका दिया। लेकिन क्या आपको पता है कि जगुआर कंपनी कभी बाइक बनाती थी। आइए इस कंपनी के बारे में पढ़िए ऐसी ही रोचक जानकारियां....

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 06:04 AM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 06:12 PM (IST)
Tata Motors : जगुआर मोटरसाइकिल से बन गई दुनिया की सबसे प्रसिद्ध कार, जानते हैं कैसे हुआ चमत्कार
जगुआर मोटरसाइकिल से बन गई दुनिया की सबसे प्रसिद्ध कार, जानते हैं कैसे हुआ चमत्कार

जमशेदपुर, जासं। जगुआर लैंड रोवर का नाम तो आपने सुना ही होगा, यह आज दुनिया की सबसे लोकप्रिय या प्रसिद्ध कार में से एक है। लेकिन इसकी शुरुआत कैसे हुई, जानेंगे तो चौंक जाएंगे।  जी हां, इस कंपनी की नींव मोटरसाइकिल के शौकीन दो भाई विलियम वाल्म्सली व विलियम लियोन ने 1922 में की थी।

दोनों भाइयों ने इंग्लैंड के ब्लैकपूल में एक छोटी सी दुकान खोली थी, जिसमें स्टाइलिश एल्यूमीनियम कोटिंग के साथ ज़ेपेलिन के आकार की मोटरसाइकिल साइडकार का उत्पादन शुरू किया था। देखते ही देखते इनकी स्वॉलो नामक साइडकार इंग्लैंड में लोकप्रिय हो गई। इसके बाद इन्होंने छोटे ऑस्टिन सेवन्स जैसी कारों के लिए और बाद में स्टैंडर्ड, स्विफ्ट, मॉरिस और वॉल्सलीज़ के लिए स्टाइलिश खुली और बंद बॉडी बनाने लगे।

निगल कोच बिल्डिंग कंपनी खोली

जब इनके डिजाइन किए गए साइड कार चर्चित होने लगे, तो इन्होंने 1928 में अपनी कंपनी को कोवेंट्री में बदल दिया। कार निर्माण में अलग पहचान देने के लिए कंपनी का नाम निगल कोच बिल्डिंग कंपनी रखा। यही कंपनी 1934 में एसएस कार्स लिमिटेड बन गई और द्विेतीय विश्व युद्ध के बाद जगुआर कार्स लिमिटेड हो गई।

1936 का जगुआर SS1 क्लासिक लॉन्ग, लो प्रोफाइल दिखाता है। प्रतिष्ठित ब्रिटिश कार कंपनी का स्वामित्व 2008 से भारत की टाटा मोटर्स के पास है।

स्टैंडर्ड कार से लेते थे ढांचा

जब स्वॉलो कोच बिल्डिंग कंपनी ने अपनी एसएस बैज वाली कारों का निर्माण शुरू किया, तब तक ये स्टैंडर्ड मोटर कंपनी की चेसिस व इंजन का इस्तेमाल करते थे। 1931 में स्टैंडर्ड-16 के मॉडल में पेश किया गया पहला एसएस-आइ एक संकेत था कि कंपनी का इरादा खुद को एसएस कार्स के रूप में स्थापित करना था। एसएस-1 में स्टैंडर्ड का दो-लीटर, साइड-वाल्व छह था, जो कंपनी की छह सिलेंडर इंजनों की शुरुआत थी। जबरदस्त स्टाइल की वजह से एसएस-1 में लंबे लोवर वाले हुड, फ्रंट साइकिल फेंडर, रूज-व्हिटवर्थ सेंटर-लॉक वायर व्हील, रियर-माउंटेड कांटिनेंटल स्पेयर टायर और कोई रनिंग बोर्ड नहीं था। इसे टू-प्लस-टू कहा जाता था, जिसमें आगे दो वयस्क और पीछे दो बच्चे या छोटे यात्री हों।

इसकी लो प्रोफाइल 1,422 मिमी (56 इंच) ऊंचाई चेसिस को कम करके और फ्रेम रेल के बाहर स्प्रिंग को माउंट करके हासिल की गई थी। इंजन को चेसिस में वापस ले जाया गया और व्हीलबेस स्टैंडर्ड मॉडल से थोड़ा लंबा था। एक छोटा एसएस-2 चार सिलेंडर इंजन के साथ बनाया गया था। एसएस-1 जल्द ही एक बड़े 2.5 लीटर मानक छह के साथ उपलब्ध हो गया, जिसने प्रदर्शन में काफी सुधार किया, जिससे शीर्ष गति 113 किमी/ घंटा (70 मील प्रति घंटे) से बढ़कर 129 किमी / घंटा (80 मील प्रति घंटे) हो गई।

1936 में बनी पहली जगुआर नाम वाली कार

जगुआर नाम वाली पहली कार 1936 में निर्मित एसएस जगुआर थी। यह 1.5 या 2.5 लीटर मॉडल के रूप में आई थी। 2.6 लीटर इंजन डिजाइन में जगुआर का पहला उत्पाद था, हालांकि इसे अभी भी स्टैंडर्ड मोटर कंपनी के ढांचे पर बनाया गया था। नया सिक्स स्टैंडर्ड के साइड-वाल्व इंजन पर आधारित था, जिसे ओवरहेड वाल्व में बदल दिया गया था। हॉर्स पावर 102 थी, जो 145 किमी/घंटा (90 मील प्रति घंटे) से अधिक गति के लिए पर्याप्त थी। इसमें सात लेयर वाला क्रैंकशाफ्ट, लाइट अलॉय कनेक्टिंग रॉड्स, एल्युमिनियम पिस्टन और दो एसयू कार्बोरेटर थे। वर्टिकल-बार ग्रिल और लंबे समय तक बहने वाले फेंडर ने एसएस जगुआर को 1930 के दशक की क्लासिक शैली में एक सुंदर कार बना दिया, जो इतनी खूबसूरत थी कि बहुत जल्द लोकप्रिय हो गई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जगुआर एक्सके-120 को अधिक खूबसूरत बनाया गया। 1938 में 3.5 लीटर के साथ 125 हॉर्सपावर के मजबूत इंजन वाली कार ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, जो 161 किमी / घंटा से अधिक गति से चल सकती थी।

 

1960 में हुआ विलय

1960 में जगुआर का ब्रिटिश मोटर कारपोरेशन में विलय हो गया, जो ब्रिटिश मोटर होल्डिंग्स बन गया, फिर ब्रिटिश लीलैंड मोटर कारपोरेशन, जिसका 1975 में राष्ट्रीयकरण किया गया। जगुआर अंततः 1984 में फिर राष्ट्रीयकृत नौकरशाही से अलग हो गया। हालांकि, इसकी स्वामित्व यात्रा पूरी नहीं हुई थी। जगुआर को 1989 में फोर्ड मोटर कंपनी द्वारा खरीदा गया था और फोर्ड के प्रीमियम ऑटोमोटिव समूह का सदस्य बनाया गया था। लेकिन यात्रा यहीं खत्म नहीं हुई।

टाटा ने 2008 में कर लिया अधिग्रहण

2008 में ब्रिटिश साम्राज्य के भाग्य के एक विडंबनापूर्ण मोड़ में जगुआर को टाटा मोटर्स द्वारा खरीदा गया। हालांकि चेयरमैन रतन टाटा ने अपना वादा निभाया कि टाटा इस भव्य ब्रिटिश ब्रांड के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा। इस तरह मोटरसाइकिल से चलकर लोकप्रिय कार ब्रांड जगुआर टाटा के पास रहते हुए भी दुनिया की लोकप्रिय कार बनी हुई है।

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