Tata Group अब Satellite Broadband के क्षेत्र में उतरने की तैयारी, Starlink व अमेजन को मिलेगी टक्कर
वर्तमान में ब्रॉडबैंड सेवा लेने के लिए केबुल (तार) की जरूरत होती है। लेकिन अब Satellite Broadband का जमाना आ गया है। टाटा ग्रुप अब इस क्षेत्र में उतरने की तैयारी कर रही है। इसके लिए उसने कनाडाई कंपनी से समझौता भी किया है।
जमशेदपुर। Tata Group और Telesat भारत में जल्द ही सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस लांच करने जा रही है। भारतीय बाजार में Starlink और OneWeb जैसी कंपनियों के उतरने की घोषणा के बाद इस क्षेत्र में प्रतिद्वंद्विता बढ़ गई है। जाहिर है विभिन्न कंपनियों के सैटकॉम में उतरने का सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा।
टाटा समूह दुनिया भर में सबसे सफल भारतीय व्यापार समूहों में से एक है। समूह की अर्थव्यवस्था का आधार विभिन्न क्षेत्रों में कई संस्थाएं और सहायक कंपनियां हैं। टाटा समूह टेलीसैट के साथ साझेदारी में भारतीय उपग्रह ब्रॉडबैंड बाजार में अपना हिस्सा हासिल करने के लिए नजरें गड़ाए हुए है। Tata Group और Telesat दोनों ही भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं की पेशकश के लिए अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं। यहां बताते चले कि टेलीसैट एक कनाडाई उपग्रह संचार सेवा कंपनी है।
टाटा समूह और टेलीसैट स्टारलिंक, वनवेब के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगे
Tata Group और Telesat जल्द ही भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं की पेशकश की अपनी योजनाओं के बारे में कुछ ठोस लेकर आने वाले हैं। Starlink और OneWeb जैसी कंपनियों ने भारतीय बाजार में आने के अपने इरादे की घोषणा के साथ, सैटकॉम उद्योग के प्रति उत्साह बढ़ा दिया है।
2020 में नेल्को ने किया था टेलीसैट से समझौता
जब से सरकार ने निजी खिलाड़ियों को सैटकॉम क्षेत्र में कूदने की अनुमति दी है, तब से कई कंपनियां भारतीय बाजार में आने की योजना बना रही हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि टाटा समूह की सहायक कंपनी नेल्को सितंबर 2020 में ही टेलीसैट के साथ साझेदारी की थी, ताकि कंपनियां मिलकर टेलीसैट के लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) उपग्रहों का लाभ उठाकर अपनी उपग्रह ब्रॉडबैंड सेवाओं की पेशकश कर सकें।
स्पैक्ट्रम नीलाम हो या नहीं, इस पर हो रही बहस
इंडस्ट्री में चल रही सबसे बड़ी बहसों में से एक यह है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी होनी चाहिए या नहीं। कुछ लोगों का मानना है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नियमित नीलामी में की जानी चाहिए और कुछ का मानना है कि सैटेलाइट सेवाओं के लिए माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम की नीलामी का कोई मतलब नहीं है।
जो भी हो, भारत सरकार द्वारा आवश्यक नीतियों के साथ आने का इंतजार अभी भी है। अमेजन से वनवेब, स्टारलिंक और प्रोजेक्ट जुनिपर सहित कंपनियां भारत में उपग्रह ब्रॉडबैंड सेवाओं की पेशकश करने की अपनी योजना पर काम कर रही हैं, एक बार सरकार नीतियों के साथ आती है। अगर भविष्य की बात करें तो ऐसा लगता है कि सैटकॉम क्षेत्र को भारत में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा दिखाई देगी।