जानिए, ई कॉमर्स बाजार के बदलते नियम टाटा समूह जैसी कंपनियों की कैसे धड़कनें बढ़ा रही है

भारत में ई कॉमर्स बाजार धीरे-धीरे पांव पसार रहा है। इसी बीच सरकार द्वारा ऑनलाइन मार्केटिंग को लेकर नियम लाने की संभावनाओं के मद्देनजर ई कॉमर्स कंपनियां सकते में है। टाटा समूह से लेकर अमेजन फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां टेंशन में है।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 06:00 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 09:01 AM (IST)
जानिए, ई कॉमर्स बाजार के बदलते नियम टाटा समूह जैसी कंपनियों की कैसे धड़कनें बढ़ा रही है
जानिए, ई कॉमर्स बाजार के बदलते नियम टाटा समूह की कैसे धड़कनें बढ़ा रही है

जमशेदपुर। टाटा समूह ऑनलाइन मार्केटप्लेस को आकार देने वाले नियमों में अधिक मुखर रुचि ले रहा है। ई मार्केट प्लेस में जगह बनाने की चाह रखने वाली टाटा समूह सहित अन्य कंपनियां सरकार द्वारा लाए जा रहे नियमों को लेकर चिंतित है। ऐसे में कंपनियां रिटेल की रणनीति पर फिर से विचार करने को मजबूर है। तीन जुलाई को हुई बैठक में ई-कॉमर्स के अगुआ Amazon.com इंक ने सरकारी अधिकारियों के साथ अपने ब्रांड या सहयोगी सामानों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने जैसे प्रस्तावों के बारे में चर्चा में अधिक मुखर था।

नियमों के भंवरजाल से बड़ी मछलियों को होगी मुश्किल

बैठक में मौजूद सूत्रों के अनुसार, टाटा की उपाध्यक्ष पूर्णिमा संपत ने ऑनलाइन मीटिंग के दौरान बताया कि ई कॉमर्स नियम एक समूह की कई संस्थाओं और हितों के अनुपालन बोझ को बहुत बढ़ा देंगे और उन्हें छोटे प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में कहीं अधिक नुकसान पहुंचाएंगे। हालांकि टाटा ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। दो हफ्ते पहले, सरकार ने ऑनलाइन मार्केटप्लेस ऑपरेटरों और उनके भागीदारों के बीच संबंधों की जांच बढ़ाने का प्रस्ताव देकर उद्योग को हिला दिया था। इस योजना को व्यापक रूप से अमेजन और वॉलमार्ट इंक के फ्लिपकार्ट के प्रभुत्व को रोकने और हाई-स्ट्रीट दुकानों का समर्थन करने के प्रयास के रूप में माना जाता था।

ऑनलाइन मार्केट की अनुभवहीन खिलाड़ी टाटा समूह

153 साल पुराना टाटा समूह भारतीयों के बीचसर्वव्यापी है, इसलिए तीन जुलाई की बैठक में ई-कॉमर्स के पक्ष में इसकी आवाज यह बताती है कि यह किस हद तक अपना रुख बदल रहा है। फर्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रिटिश लक्जरी कार ब्रांड जगुआर लैंड रोवर के मालिक के रूप में जाना जाता है, लेकिन यह अपने ब्रांड के तहत भारत में कार भी बनाती है। टाटा समूह स्टीलमेकिंग, आईटी आउटसोर्सिंग और होटल और एयरलाइन संचालन में भी सक्रिय है। रिटेल में, टाटा के पास एक विस्तृत ऑफ़लाइन पोर्टफोलियो है जिसमें कैफे ऑपरेटर स्टारबक्स कॉर्प के साथ एक संयुक्त उद्यम शामिल है और यह स्टोर इंडिटेक्स फैशन ब्रांड ज़ारा के लिए संचालित करता है। फिर भी यह ऑनलाइन मार्केट में एक मामूली खिलाड़ी है। एक ऐसी स्थिति जिसे सुधारने के लिए दृढ़ संकल्प है।

बिग बास्केट व 1 mg का किया अधिग्रहण

टाटा समूह ने मई में ऑनलाइन ग्रोसर बिगबास्केट को 1 बिलियन डॉलर से अधिक की बोली लगाकर खरीद लिया। साथ ही जून में ऑनलाइन फ़ार्मेसी 1mg पर नियंत्रण कर लिया। जल्द ही टाटा समूह अपना ऑनलाइन एप लांच करने जा रही है, जिसमें उनके मार्की ब्रांड में शामिल होंगे।

पहले से ही बाजार में है Tata Cliq

ई-कॉमर्स टाटा के लिए अगली बड़ी चीज है, और इसे ध्यान में रखते हुए, यह कई और ब्रांड खरीदने की योजना बना रहा है। टाटा ऐप कोई पहला प्रयास नहीं है। टाटा समूह ने 2016 में अपना टाटा क्लिक (Tata Cliq) ऑनलाइन मार्केटप्लेस लॉन्च किया था, जिसने 2019-20 में 36 मिलियन डॉलर की बिक्री की। फिर भी इसकी तुलना 10 बिलियन डॉलर वाली अमेजन से की जाती है, जिसने भारत में अरबों डॉलर का निवेश किया है।

2026 तक 200 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा ई कॉमर्स का बाजार

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि 2026 तक भारत में ई-कॉमर्स बाजार 200 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। ऐसे में टाटा समूह के लिए इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। अपने ऐप के माध्यम से, टाटा ने किराने की खरीदारी, भोजन और दवा वितरण, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की बिक्री और ऑनलाइन फिटनेस पैकेज जैसी सेवाओं की पेशकश करने के लिए अपने ब्रांडों को एक साथ लाने की योजना बनाई है।

सितंबर में लांच हो सकता हा टाटा का ऐप

टाटा अभी भी ऐप की विशेषताओं को विकसित कर रहा है और बाजार में जाने की रणनीति निर्धारित कर रहा है। जल्द ही कुछ बड़े शहरों में ऐप लांच कर दिया जाएगा। सूत्रोें की माने तो बेंगलूर से सितंबर में पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत हो सकती है। ऐप का नेतृत्व टाटा डिजिटल के मुख्य कार्यकारी प्रतीक पाल कर रहे हैं, जिन्होंने आईटी आउटसोर्सिंग इकाई टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड में 28 वर्षों में खुदरा विक्रेताओं के साथ व्यापक अनुभव प्राप्त किया है। बे कैपिटल के मैनेजिंग पार्टनर केयूर मजूमदार का कहना है कि टाटा समूह के आकार के एक समूह में डिजिटल रूप से एकीकृत करना एक कठिन काम है। ई कॉमर्स बाजार विस्तार ले रहा है, ऐसे में सुपर ऐप पर ग्राहकों को बनाए रखना मुश्किल काम होगा। टाटा समूह को सोच में आमूलचूल बदलाव की जरूरत है। वह (डिजिटल एकीकरण) ऐसा कुछ है जो उन्होंने पहले कभी नहीं किया है।

जिस तरह टाटा की नई डिजिटल रणनीति अधिग्रहण और ऐप के विकास के साथ गति पकड़ती है, सरकार ने एक आश्चर्य को जन्म दिया है जिसका मतलब यह हो सकता है कि ऐप के शुरू होने से पहले ही पुनर्विचार किया जाए। संपत ने 3 जुलाई की बैठक में कहा कि सहयोगी कंपनियों के उत्पादों की पेशकश करने वाले बाजारों पर प्रतिबंध क्रोमा इलेक्ट्रॉनिक्स श्रृंखला और स्टारबक्स को टाटा साइटों से रोक सकता है। खुद के ब्रांड के सामान की बिक्री पर प्रतिबंध ने इस सवाल को भी जन्म दे दिया है कि क्या वह अपने घरेलू नामों जैसे टाटा टी या टाटा साल्ट को अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर रिटेल कर पाएगी या नहीं। टाटा ब्रांड नाम उपभोक्ताओं के लिए आश्वासन का एक स्तर जोड़ता है।

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